चीन के खिलाफ जापान भारत का साथ देगा

punjabkesari.in Tuesday, Jan 31, 2023 - 06:18 AM (IST)

इस समय भारत को पाकिस्तान से भी बड़ी चुनौती चीन की तरफ से मिल रही है, इसे देखते हुए भारत अपनी रक्षा प्रणाली में बदलाव कर रहा है। इसके लिए मिसाइल, अत्याधुनिक हथियार और उपकरणों की आवश्यकता तो होती है साथ ही स्टेल्थ विमानों की जरूरत भी है। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत अपना 5वीं जैनरेशन का स्टेल्थ लड़ाकू विमान ए6केए बना रहा है लेकिन इसमें तकनीक, शोध और फिर उसे जमीनी स्तर पर पूरा करने के लिए बहुत सारा समय लगेगा साथ ही ऐसी तकनीक को खुद विकसित करने में 35 से 40 अरब अमरीकी डॉलर का खर्च आता है। ऐसे में भारत को जापान का साथ मिला है। जापान के भारत के साथ आने के पीछे दो कारण हैं-पहला भारत तकनीकी रूप से इतना विकसित हो चुका है कि देश में ही विमान बनाने की क्षमता रखता है, यहां पर मौजूद प्रशिक्षित तकनीशियन और कम लागत में श्रम मौजूद है। 

दूसरा कारण इससे बहुत बड़ा है, वह है जापान का पड़ोसी देश चीन जो उसका सबसे बड़ा और संभवत: इकलौता दुश्मन है, इस समय भारत का भी सबसे बड़ा दुश्मन चीन है। चीन की आक्रामकता और विस्तारवाद से दोनों देश परेशान हैं। चीन ने दोनों देशों की जमीन पर अपनी आंख गड़ा रखी है। ऐसे में दोनों देश मिलकर अपनी रक्षात्मक प्रणाली को मजबूत करना चाहते हैं। जापान भी अपनी सुरक्षा के लिए अब अमरीका पर निर्भर रहने की जगह खुद अपने हथियार बनाना चाहता है। जापान ने ए6केए के लड़ाकू विमान की तकनीक में भारत की मदद करने की पेशकश की है। इसके लिए भारत में जापान के राजदूत सातेशी सुजुकी ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि जापान भारत के साथ उसके आत्मनिर्भर अभियान में जुडऩा चाहता है, और भारत के साथ मिलकर हथियारों के डिजाइन, रिसर्च और उत्पादन करने के लिए तैयार है। 

जापान का एफ-2 लड़ाकू विमान अगले 14-15 वर्षों में रिटायर होने वाला है और इसकी जगह जापान पांचवीं श्रेणी के विमानों को तैयार करना चाहता है, जिसके लिए वह भारत के साथ सहयोग करने को तैयार है। इसके साथ ही जापान भारत के साथ मिलकर भविष्य की तकनीक पर आधारित नेवी के वेसेल, युद्धक बेड़े और पनडुब्बियां विकसित करने के लिए भी तैयार है। दरअसल जापान का पड़ोसी चीन इस समय संख्या के आधार पर दुनिया की सबसे बड़ी नेवी बना चुका है जिसमें 69 पनडुब्बियां हैं और उसके पास 3 एयरक्राफ्ट करियर हैं। वहीं जापान ने हाल ही में अपनी सुरक्षा पंक्ति को मजबूत करने की पहल की है।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान ने अपना रक्षा बजट बहुत कम कर दिया था क्योंकि अमरीका ने जापान की रक्षा करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन हाल के दिनों में चीन और अमरीका में बढ़ती तनातनी के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध में सारी पश्चिमी शक्तियों के आश्वासन के बावजूद रूस ने यूक्रेन को बर्बाद कर दिया। जापान चीन के हाथों अपना वैसा हाल नहीं देखना चाहता है इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री शिन्जो आबे ने चीन से अपने देश को खतरा देखते हुए जापान के संविधान में संशोधन कर जापान के रक्षा बजट को बढ़ाया था। वर्तमान जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा उसी काम को आगे बढ़ा रहे हैं। 

आज जो देश एक साथ 5वीं और छठी श्रेणी के विमान और उसकी तकनीक विकसित करना चाहते हैं उसके पीछे कुछ देशों के लिए चीन एक खतरा है जिससे वे अपने देशों की सुरक्षा व्यवस्था को चौकस रखना चाहते हैं। जैसे-जैसे भारत की विश्व में स्थिति मजबूत हो रही है और उसकी आर्थिक शक्ति बढ़ रही है वैसे-वैसे पश्चिमी और विकसित देश भारत के साथ सहयोग करने के लिए आगे आ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ चीन एकदम अकेला पड़ता जा रहा है। 

इस समय चीन ने रूस का दामन थाम रखा है। इसके अलावा उसके सिर्फ दो दोस्त हैं-पाकिस्तान और तुॢकये। इस समय इन दोनों देशों की हालत भी बहुत खराब है। वहीं अपनी खराब हालत के चलते चीन कुछ ज्यादा आक्रामकता दिखा रहा है जिससे बचने के लिए न सिर्फ भारत बल्कि चीन के बाकी पड़ोसी देश भी आपसी सहयोग कर रहे हैं जिससे अगर चीन आक्रामकता दिखाए और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को एकतरफा बदलने की कोशिश करे तो उसे करारा जवाब दिया जा सके। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News