अच्छा होता जया शाप देने की बजाय क्षमा करना जानतीं

punjabkesari.in Thursday, Dec 23, 2021 - 05:37 AM (IST)

दशकों पहले सईद मिर्जा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ देखी थी। कल जब राज्यसभा में जया बच्चन का बिफरना देखा तो इस फिल्म का शीर्षक कानों में लगातार गूंजने लगा। फिल्म में गरीबों को गुस्सा आता था, यहां नवधनाढ्य गुस्से से विवेक खो रहे हैं। 

कबीर का वह दोहा सुना है न कि ‘दुर्बल को न सताइए जाकी मोटी हाय, मरी खाल की सांस से लौह भसम हो जाय’। दोहे का अर्थ है कि गरीब की हाय नहीं लेनी चाहिए। वरना जैसे कि बकरी की खाल से बनी धौंकनी को चलाते थे तो आग में पड़ा लोहा तक भस्म हो जाता था, वैसे ही नुक्सान हो सकता है। अब सोचने की बात है कि जया बच्चन गरीब तो हैं ही नहीं, मगर स्त्री हैं तो सोच रही होंगी कि जिस तरह स्त्री के शाप (द्रौपदी) से हस्तिनापुर का नाश हो गया था, तो किसी दल की क्या बिसात। क्या पता संसद बचेगी कि नहीं? दिलचस्प है कि आज की संसद तथा आज की राज्यसभा सांसद जया बच्चन और बीच में ले आईं वह शाप को, जैसे कि भस्म ही कर देंगी। इसके अलावा यह पहली बार है कि कोई बेहद धनाढ्य महिला किसी दल को शाप दे रही हैं। शिवसेना के संजय राऊत कह रहे हैं कि जया के शाप में बहुत दम है। 

अब तक तो यही माना जाता रहा है कि जो ज्ञानी है, या साधनहीन है, उसी के कहे वचन सत्य होते हैं, उसी की हाय लगती है। इसीलिए ऋषि-मुनियों और गरीबों को शाप देते देखा जाता था। काश कि शाप देने से पहले जया ने कुछ पोथियों को खंगाल लिया होता। उन्होंने कहा कि वह शाप दे रही हैं और भाजपा के बुरे दिन आने वाले हैं। अब सोचिए कि मान लो भाजपा जीत गई तो बेचारा शॉप व्यर्थ ही जाएगा न। हो सकता है कि आगे कोई किसी को शाप देने की हिम्मत ही नहीं करे। इस संदर्भ में गांव में रहने वाली वे महिलाएं भी याद आती हैं, जो अक्सर अपने परिवार से इतर और कभी-कभी अपने परिवार को शाप देती रहती थीं, कि तेरा वंश मिट जाए। कि तू दर-दर की भीख मांगे। तू कल सूरज न देखे, कि आखिरी वक्त तेरे मुंह में कोई पानी डालने वाला न हो। 

एक ऐसे पतले-दुबले मरियल आदमी की भी याद है, जो प्राय: दूसरों को जरा-जरा सी बात पर धमकी देता था कि ब्राह्मण का बेटा हूं, शाप देकर भस्म कर दूंगा। जाहिर है कि इन बातों को यूं ही उड़ा दिया जाता था। कोई इन्हें गंभीरता से नहीं लेता था क्योंकि अगर ऐसे किसी के कहने भर से कोई मरने लगे तो इस दुनिया में कोई न बचे क्योंकि जगत में हर किसी के शत्रु होते हैं, जो उसका बुरा चाहते हैं। इसके अलावा कहां अमिताभ बच्चन की शालीन छवि और कहां जया का पल-पल भड़कता गुस्सा। अमिताभ को विपरीत परिस्थिति में शायद ही किसी ने धैर्य खोते देखा हो। अगर उन्हें कोई बात अच्छी न भी लगे तो वह नाराज होने की बजाय चुप लगा जाते हैं। 

जया के टैम्परामैंटल होने के किस्से मशहूर रहे हैं। सालों पहले अंग्रेजी के एक अखबार ने खबर छापी थी कि दिल्ली के एक 5 सितारा होटल में अमिताभ, जया खाना खा रहे थे। वहां एक बच्चे ने जब इन्हें देखा तो वह इनकी तरफ दौड़ा चला आया। अमिताभ तो उसे देखकर मुस्कुराए, मगर जया ने उसे डांटकर भगा दिया। यदा-कदा पत्रकारों को डांटने के किस्से, हाल ही में बंगाल के चुनाव के दौरान एक टी.एम.सी. समर्थक को धक्का देने का किस्सा, ऐसी न जाने कितनी बातें, उनके बारे में सब जानते आए हैं। यह भी बताया जाता है कि जया गणेश जी की भारी भक्त हैं। तो गणेश जी तो खुद विघ्न विनाशक हैं, ऐसे में उन्हें इतना गुस्सा करने और शाप देने की जरूरत क्यों आन पड़ी। अपने समय में वह अच्छी अभिनेत्री रही हैं, लेकिन कोई अच्छा अभिनेता या अभिनेत्री अच्छा मनुष्य भी हो, जरूरी नहीं। 

पुरानी कहानियों में अक्सर शापों का जिक्र आता है कि फलां ऋषि ने फलां से नाराज होकर शाप दे दिया। किसी को जानवर बना दिया, किसी की शाप से मृत्यु हो गई। पिता का शाप, मां का शाप, गुरु के शाप के भी जिक्र मिलते हैं। हालांकि शाप देने वालों को कभी अच्छा नहीं माना गया। यह भी कहा गया कि क्रोध के वशीभूत होकर किसी का नुक्सान नहीं करना चाहिए। वरना अपना ही नुक्सान होता है। अच्छा होता कि जया शाप देने की बजाय क्षमा करना जानतीं। किसी के शाप से कोई नहीं मरा करता मैडम। सब अपने ही कर्मों से मरते हैं।-क्षमा शर्मा
 


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