सिखों के लिए जरूरी कि संसार को पहचानें और अपनी पहचान बनाएं

punjabkesari.in Tuesday, Nov 09, 2021 - 04:57 AM (IST)

पिछले सप्ताह स्कॉटलैंड में वैश्विक स्तर पर ‘क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रैंस’ हो रही थी। यही सप्ताह था जब नवम्बर 1984 में सिखों का दिल्ली में सरेआम कत्लेआम किया गया था। यू.के. में कुछ तथाकथित सिख नेताओं ने इन दोनों मुद्दों से हटकर एक बेतुके, फिजूल नॉन-बाइंडिंग रैफरैंडम में गुमराह किया। अधिकतर लोग इसे एक पड़ोसी मुल्क की साजिश कह रहे हैं कि सिखों को अपनी ऐतिहासिक विरासत से अलग करके तोड़ा जाए ताकि सिख अपनी सैद्धांतिक सोच के साथ अपने फैसले खुद न करके एक अच्छी पहचान न बना सकें। 

 

वर्ना एक अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्र के अनुसार इस रैफरैंडम में पाकिस्तानियों, अफगानियों, कश्मीरियों के अस्तित्व बारे क्यों लिखा गया। मेरी राय है कि सिखों को क्लाइमेट के मुद्दे पर एक बड़े समूह के तौर पर एकत्रित होकर दुनिया के साथ सहयोग करना चाहिए था। इसके साथ ही वे 1984 के दंगों की दरिंदगी को भी संसार के सामने रख सकते थे। सारी दुनिया पर्यावरण को प्रमुख रख कर चिंतित है और यह ग्रह धरती, जिस पर हम रह रहे हैं उसको भविष्य में खतरनाक पर्यावरण के कारण किसी आने वाली तबाही से बचाने के लिए एकजुट हो रही है। प्रश्न उठता है कि सिख किस अच्छी समझ के साथ अपने मुद्दों की बजाय प्रदर्शनों का चयन करके संसार के आगे सांझे बनते हैं? 

 

मगर जो लोग हथ-ठोका बन कर गुमराह करते हैं वे संसार की तबाही से भी चिंतित नहीं और न ही वे दिल्ली के 1984 के सिख कत्लेआम की बात दुनिया को बता सके। विश्व के सामने अपनी पहचान तथा दुखी दास्तान पेश करने के लिए अच्छे तरीकों का सहारा लेना चाहिए। जो नेता इस नवम्बर, 2021 के पहले सप्ताह में किसी साजिशी रुझान के अंतर्गत व्यस्त रहे, उन्होंने सिख कौम की अच्छी सैद्धांतिक सोच को विश्व से दूर रखा है। ये नेता एक ऐसी  गैर-जिम्मेदारी तथा अलगाव के लिए जिम्मेदार हैं। 

 

क्लाइमेट (पर्यावरण) के अतिरिक्त विश्व की कई कौमों की समस्याएं हमारे सिखों की तरह ही हैं। वे कौमें अपने चिंताजनक मुद्दों पर भी विचार करती हैं और हर अच्छे समाधान का रास्ता अपनाती हैं। वे हमारे कुछ नेताओं की तरह अपनी ही कौम के दुख को व्यापार नहीं बनातीं। संघर्ष करती कौमें कभी भी किसी भी साजिश को नहीं कबूलतीं। सिखों की अपनी पहचान की विरासत है। हम विश्व के प्रत्येक धर्म तथा जाति को हमेशा दिल से सम्मान देते हैं। हमें अपनी पहचान की दर किसी आधार पर कायम रखनी अति आवश्यक है।-परमिंद्र सिंह बल


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