‘ताईवान को लेकर इसराईल की चीन को खुली चुनौती’

punjabkesari.in Saturday, Dec 26, 2020 - 05:16 AM (IST)

चीन का पड़ोसी देश ताईवान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के निशाने पर रहता है, चीन ताईवान को अपना हिस्सा मानता है लेकिन ताईवान खुद को स्वतंत्र राष्ट्र मानता है। अगर कोई भी दूसरा देश ताईवान के साथ अपने राजनयिक और रणनीतिक संबंध बनाना चाहता है तो चीन उसे सीधे तौर पर युद्ध की धमकी देता है। बावजूद इसके अमरीका न सिर्फ खुले तौर पर ताईवान के साथ खड़ा दिखता है बल्कि उसके साथ राजनयिक और रणनीतिक संबंध भी बनाए हुए है। 

अमरीका चीन के विरोध के बावजूद ताईवान को खुलेआम हथियारों की खेप बेचता रहता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि अमरीका ने भविष्य में भी ताईवान के साथ द्विपक्षीय संबंध बनाए रखने और हथियार देने का वादा भी किया। अब तो इसराईल ने भी खुले तौर पर ताईवान के साथ अपने राजनयिक और रणनीतिक संबंध बनाने शुरु कर चीन को खुले तौर पर चुनौती देने का काम किया है। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विज्ञान तकनीक में इसराईल दुनिया के अव्वल देशों में आता है और उसने ताईवान के साथ आॢटफिशियल इंटैलीजैंस के क्षेत्र में ताईवान को सपोर्ट करने का वादा किया है और ताईवान में आॢटफिशियल इंटैलीजैंस के क्षेत्र में निवेश भी करने जा रहा है। दरअसल, ताईवान और इसराईल में एक बात सामान्य है कि दोनों ही देशों को दुनिया के कई देशों ने मान्यता नहीं दी है। हालांकि दोनों देशों के बीच नए-नए बने द्विपक्षीय संबंधों के पीछे ये वजह नहीं है बल्कि दोनों देश चीन से नाराज चल रहे हैं। इसराईल ने ताईवान में रोबोट के क्षेत्र में निवेश कर साझा निर्माण पर काम करने का समझौता भी किया है। इससे विनिर्माण के क्षेत्र में चीन के रोबोट को पछाड़ते हुए दोनों देश आगे निकलने का दमखम भी रखते हैं। 

हालांकि इसराईल ने अमरीका का साथी होते हुए भी चीन को कभी सीधी चुनौती देने का काम नहीं किया इसीलिए इसराईल के इस कदम से दुनिया के देश हैरान हैं। वहीं इसराईल के इस कदम को लेकर चीन ने दावा किया है कि यह सब इसराईल अमरीका की शह पर कर रहा है, पहले अमरीका ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को चीन के खिलाफ खड़ा किया और अब इसराईल को भी इस खेमे में शामिल कर रहा है। रोबोट के क्षेत्र में इसराईल और ताईवान के साझा काम करने से चीन को इस बात की दहशत हो गई है कि इससे ताईवान को रोबोटिक्स वाले हथियार बनाने में बढ़त मिलेगी जो आने वाले दिनों में चीन के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगा। 

इसराईल के इस कदम के पीछे असल वजह कुछ और है, इसराईल के विरोध के बावजूद चीन ने ईरान के मिसाइल कार्यक्रम में सहयोग दिया और उसे आगे बढ़ाने में तेजी से काम कर रहा है इसीलिए इसराईल ने भी चीन के तोते को पकड़ लिया और उसे सबक सिखाने के लिए ताईवान के साथ द्विपक्षीय साझेदारी बनाने का मन बना लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि चीन-ताईवान के बीच इसराईल की एंट्री के बाद चीन इसराईल को ताईवान से दूर करने के लिए क्या प्रपंच रचता है, और अगर वाकई इसराईल ने अमरीका की शह पर ताईवान में धमाकेदार एंट्री मारी है तो फिर तो यह खेल की शुरूआत है और चीन के लिए इसराईल को ताईवान से दूर करना बहुत मुश्किल होगा। 


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