क्या प्रियंका वाड्रा ‘राजनीति’ में उभरने के लिए तैयार हैं

punjabkesari.in Thursday, Aug 13, 2020 - 03:34 AM (IST)

लगता है राजस्थान में कांग्रेस के भीतर राजनीतिक संकट खत्म हो चुका है। मगर यह समझौता अस्थायी प्रतीत होता है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच एक माह तक रही खटास को उतनी जल्दी भुलाया नहीं जा सकेगा। 

राजस्थान में इस संकट का एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण नतीजा निकला है। वह यह है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अब सक्रिय राजनीति में भूमिका अदा करने के लिए उभरी हैं। पार्टी के मामलों में खुले तौर पर भाग लेने के लिए प्रियंका अभी तक शर्माती ही रही हैं तथा अपने भाई राहुल गांधी को पार्टी का नेतृत्व करने के लिए कहती रही हैं। यहां तक कि पूर्व चुनावों के लिए जब वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी की प्रभारी बनाई गई थीं, तब से वह एक सकारात्मक भूमिका में थीं। पूर्वी क्षेत्र की प्रभारी बनाने के बाद जब प्रियंका ने उत्तर प्रदेश की यात्रा की थी तो उन्होंने शायद ही कोई रोड शो किया हो और न ही जनता को संबोधित किया और न ही कोई प्रैस वार्ता आयोजित की है। 

कांग्रेस से संबंधित सभी प्रमुख घटनाओं के दौरान वह कम ही सामने दिखाई दीं, इसके बावजूद कि वह पार्टी के महासचिवों में से एक हैं। मगर यह प्रत्यक्ष तौर पर दिख रहा है कि वह पर्दे के पीछे एक अहम भूमिका अदा करती रही हैं। मगर वह ज्यादा सामने नहीं आना चाहती थीं। राजस्थान में संकट को सुलझाने के प्रयास में प्रियंका वाड्रा ने सचिन पायलट के साथ एक विस्तृत बातचीत की तथा उन्हें सचिन पायलट मुद्दे को सुलझाने के लिए एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय कमेटी का मैम्बर भी बनाया गया। कांग्रेस ने भी यह जाना कि प्रियंका वाड्रा मुद्दे को सुलझाने के लिए काफी सक्रिय थीं। पार्टी के प्रति प्रियंका का योगदान बेहद अहम है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हालांकि अपने आपको कुछ हद तक छिपाए रखा। 

राजस्थान संकट से एक अन्य महत्वपूर्ण बात उभरी, वह यह है कि पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी फिर से उभर रहे हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी का स्तर गिरने से अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इसके बावजूद कि कांग्रेस पार्टी के एक बड़े वर्ग ने उन्हें जिम्मेदारियां संभालने के लिए आग्रह किया था। मगर वह अपने स्टैंड पर अडिग थे। पार्टी अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव आयोजित करने के लिए एक असफल प्रयास किया गया था। 

किसी भी दिग्गज या पार्टी नेता ने चुनाव नहीं लड़ा जोकि अंतत: एक तमाशा बन कर रह गया है। आधुनिक जमाने की कांग्रेस के लिए यह एक त्रासदी है कि ज्यादातर कांग्रेसी नेता गांधी परिवार के विकल्प को देखते ही नहीं। हालांकि पार्टी में कुछ अनुभवी तथा योग्य नेता हैं। विचारों के मतभेद के चलते कई पार्टी नेता कांग्रेस को छोड़ चुके हैं। इसमें कई केंद्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री तथा पूर्व राज्य अध्यक्ष शामिल हैं। 

ताजा संकेत यह है कि राहुल गांधी फिर से अध्यक्ष पद लेने के लिए विचार कर सकते हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा का उभरना पार्टी में एक नई ऊर्जा भरेगा। प्रियंका ने सब कुछ अपने भाई के आगे समर्पण कर दिया था। हालांकि उन्हें अंधेरे से उजाले की ओर उभरना है। प्रियंका वाड्रा में अपनी दादी जैसा करिश्मा दिखाई पड़ता है। मगर अभी भी उन्हें एक प्रभावी स्पीकर या नेता बनना है, जो अपने सभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का सामना कर सके। 

इन सबके लिए प्रियंका गांधी वाड्रा को राजनीति के लिए विस्तृत यात्राएं करनी होंगी। उन्हें अपने पति राबर्ट वाड्रा की भूमि डील से संबंधित बातों से भी पार पाना होगा। उनके आधे दृष्टिकोण से पार्टी को कोई फायदा होने की संभावना नहीं है।-विपिन पब्बी
 


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