क्या चीन भारत को पुनरुत्थानशील अफ्रीकी बाजार से बाहर निकाल रहा है

punjabkesari.in Sunday, Dec 19, 2021 - 06:05 AM (IST)

भारतीय कंपनियां 117 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का दावा करते हुए एक सदी से भी अधिक समय से अफ्रीकी महाद्वीप को निर्यात कर रही हैं। हालांकि, हम भारत द्वारा अफ्रीकी महाद्वीप को निर्यात के संदर्भ में परेशान करने वाले शुरूआती रुझानों को देख रहे हैं, एक ऐसे समय में, जब हम इसकी अर्थव्यवस्था और प्रति व्यक्ति आय में पुनरुत्थान की उम्मीद कर रहे हैं। यदि हम उन संकेतों का अध्ययन करते हैं, जो आसन्न खतरों को दर्शाते हैं तो यह अवसरों का लाभ उठाने या बदलती स्थिति से उत्पन्न होने वाले खतरों को दूर करने के लिए रणनीतियों में मदद कर सकता है। 

पहला संकेत यह कि अफ्रीका में सिरेमिक टाइलों की मांग 2019 में बढ़ कर एक अरब वर्ग मीटर से अधिक हो गई है, जो 2008 से 46 प्रतिशत बढ़ी है। हालांकि, 2019 में अफ्रीकी उत्पादन 759 मिलियन वर्ग मीटर था जो इसकी कुल मांग का 76 प्रतिशत है। 2020 के दौरान, भारत ने अफ्रीका में कुल टाइल आयात का 12.54 प्रतिशत निर्यात किया, जो 1.18 बिलियन डॉलर था। हालांकि, जिस दर से चीनी उद्यमी उप-सहारा अफ्रीका में सिरेमिक टाइल कारखाने स्थापित कर रहे हैं, कुल भारतीय आयात निश्चित रूप से 2025 के बाद कम हो सकता है। 

वर्तमान में, 10 चीनी ग्रीनफील्ड कारखाने (या संभवत: 13) पाइपलाइन में हैं और 6 पहले ही तंजानिया, केन्या, युगांडा और घाना (2 संयंत्र) में चालू हो चुके हैं। भारत में सिरेमिक टाइल निर्यातक और अन्य हितधारक, जो दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक और चौथे सबसे बड़े निर्यातक हैं, इस विकास का संज्ञान लेने के लिए अनजान या अनिच्छुक हैं। नाइजीरिया ने 2014 में चीन से 7.40 करोड़ वर्गमीटर का आयात किया, लेकिन 2018 में यह गिरकर 50 लाख वर्गमीटर हो गया, घरेलू उत्पादन तेजी से बढ़ कर 100 मिलियन वर्गमीटर/ वर्ष तक पहुंच गया। केन्या, अंगोला, घाना, तंजानिया और युगांडा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चीनी निवेश के कारण 1 करोड़ वर्गमीटर/वर्ष से 3 करोड़ वर्गमीटर/वर्ष उत्पादन तक पहुंच गए हैं। 

भारत से एक और बड़ा निर्यात फार्मास्यूटिकल्स है और इस क्षेत्र में भी चीन से इसी तरह के संकेत मिल रहे हैं। चीन ने पहले कदम के तौर पर इथियोपिया में एक फार्मा औद्योगिक पार्क का निर्माण किया है। यहां की सरकार चाहती है कि यह देश अफ्रीका का फार्मास्यूटिकल हब बने। दो चीनी कंपनियों ने इथियोपिया में विश्व स्तरीय आधुनिक बिलियन टैबलेट/कैप्सूल प्लांट बनाए हैं, जो पहला विदेशी उद्यम है। जल्द ही ये कंपनियां दवाओं के आयात को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार के पास याचिका दायर करेंगी। केन्या जैसे अन्य देशों में भी इसी तरह के कदमों पर विचार किया जा रहा है। दो भारतीय कंपनियां- कैडिला फार्मा और किलिच के इथियोपिया में संयंत्र हैं लेकिन ये चीनी निवेश की तुलना में छोटे हैं। 

भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं और टीकों के स्वदेशी उत्पादन और उच्च मूल्य वाले उत्पादों के निर्यात के माध्यम से कुल महाद्वीपीय बाजार का कम से कम 30-40 प्रतिशत हिस्सा बरकरार रखे। भारतीय दवा कंपनियां दशकों से इस महाद्वीप में उत्पादों का निर्माण कर रही हैं लेकिन वे बड़े पैमाने पर दक्षिण अफ्रीका में ही केंद्रित हैं।

आकर्षण का केंद्र अब उप-सहारा में स्थानांतरित हो गया है और इसके विकास के इंजन- नाइजीरिया, घाना, आइवरी कोस्ट, इथियोपिया, केन्या, युगांडा और तंजानिया इस परिवर्तन का नेतृत्व करेंगे। एक पुनरुत्थानशील अफ्रीका हाल ही में हस्ताक्षरित और कार्यान्वित ‘अफ्रीका महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र’ से विकसित होगा। यह 1.2 अरब लोगों की एक सीमाहीन महाद्वीप-व्यापी एकल व्यापार इकाई बनाएगा और स्वदेशी विनिर्माण अवसरों को बढ़ावा देगा। 2015 में, अफ्रीका में 50 लाख से अधिक आबादी के साथ केवल 6 शहर थे, जबकि 2030 में 17 होंगे, जिनमें से 5 की आबादी 1 करोड़ से अधिक होगी। 

चूंकि अफ्रीका इस दशक के अंत तक कई उत्पादों में आत्मनिर्भरता विकसित कर लेगा, इसलिए भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह महाद्वीप में विनिर्माण गतिविधियों का एक प्रमुख भागीदार है। भारत को अपनी सहायता रणनीति में भी बदलाव करना चाहिए और स्वास्थ्य सुविधाओं, चिकित्सा और फार्मेसी कॉलेजों, आई.टी., बुनियादी ढांचे, अफ्रीकी उद्यमिता आदि जैसी ‘दृश्यमान’ सहायता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो हजारों अफ्रीकियों को रोजगार देगा और उनकी कौशल व्यवस्था में सुधार करेगा और दशकों तक ‘दृश्यमान’ रहेगा। भारत बड़े बुनियादी ढांचे में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता लेकिन ‘अदृश्य’ परियोजनाओं जैसे बांध, रेलवे और बिजली उत्पादन आदि के साथ भारत को अफ्रीका में अधिक उद्यमी तैयार करने में मदद करनी चाहिए जो महाद्वीप में धन बनाने के लिए भारतीय विशेषज्ञता का उपयोग कर सकें।-सुहैल आबिदी/मनोज जोशी


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