‘चीन के निशाने पर भारतीय बिजली सुविधाएं’

punjabkesari.in Tuesday, Mar 02, 2021 - 03:53 AM (IST)

एक नए अध्ययन में पता चला है कि हिमालय में हुए युद्ध के दौरान दो दर्जन जानें गईं। वहीं चीनी मालवेयर नियंत्रण प्रणाली में बह रहा था जो पूरे भारत में एक उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन सब स्टेशन तथा एक कोल फायर्ड पावर प्लांट के साथ-साथ बिजली की आपूर्ति का संचालन करती है। 

सीमा पर तनाव बढऩे के कारण चीनी हैकरों ने भारत और भारत की तकनीक और बैंकिंग इंफ्रा में पांच दिनों के दौरान 40,300 हैकिंग प्रयासों को पूरा कर लिया। पिछली गर्मियों में गलवान घाटी में चीनी तथा भारतीय सैनिक एक आश्चर्यजनक युद्ध में भिड़ गए। एक-दूसरे को चट्टानों और लोहे की छड़ों से मारा गया। चार माह के बाद मुम्बई में ट्रेनें खड़ी हो गईं और स्टॉक मार्कीट बंद हो गई क्योंकि शहर में बिजली गुल हो गई। 20 मिलियन लोग इससे प्रभावित हुए। अस्पतालों ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान एमरजैंसी जैनरेटरों को ऑन किया ताकि वैंटीलेटर चलते रहें। 

अब एक नए अध्ययन ने इस विचार को वचन दिया है कि उन दोनों घटनाओं को आपस में जोड़ा जा सकता है। भारत के पावर ग्रिड के खिलाफ एक व्यापक चीनी साइबर अभियान चलाया गया। चीन ने यह संदेश भेजने का प्रयास किया कि अगर भारत अपने दावे को और ज्यादा शक्तिशाली तरीके से बढ़ाएगा तो बिजली पूरे देश में जा सकती है। 

मालवेयर का प्रवाह रिकाॢडड फ्यूचर कम्पनी द्वारा किया गया था जो सरकार द्वारा इंटरनैट के इस्तेमाल का शोध करती है। यह पाया गया कि ज्यादातर मालवेयर कभी भी सक्रिय नहीं थे क्योंकि रिकाॢडड फ्यूचर भारत की बिजली प्रणाली में प्रवेश नहीं कर सकता था इसलिए यह उस कोड के विवरण की जांच नहीं कर सका जिन्हें देश भर में रणनीतिक बिजली वितरण प्रणालियों में रखा गया था। हालांकि इसने भारतीय अधिकारियों को सूचित किया है कि अब तक वे रिपोर्ट नहीं कर पा रहे कि उन्होंने क्या पाया है। 

रिकॉर्डिड फ्यूचर के प्रमुख आप्रेटिंग अधिकारी स्टुअर्ट सोलोमन ने कहा कि रैड इको नाम के चीनी सरकार द्वारा समर्थित ग्रुप ने भारतीय पावर जैनरेशन और ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर में लगभग एक दर्जन महत्वपूर्ण नोड्ज के द्वारा चुपचाप पैर जमाने के लिए उन्नत साइबर घुसपैठ तकनीकों का उपयोग किया। इस खोज से यह सवाल उठता है कि क्या देश के सबसे व्यस्ततम व्यापारिक केंद्रों में से एक मुम्बई में 13 अक्तूबर को आक्रोष पैदा हुआ था? चीन द्वारा इसका यह संकेत देना था कि यदि भारत अपनी सीमाओं के दावों को बहुत जोर से आगे बढ़एगा तो पेइङ्क्षचग क्या कर सकता है। 

उस समय की समाचार रिपोर्टों में भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा गया था कि इसका कारण नजदीकी बिजली लोड प्रबंधन केंद्र पर चीनी मूल का साइबर हमला था। अधिकारियों ने इसकी एक औपचारिक जांच शुरू की जिसकी रिपोर्ट आने वाले सप्ताहों में आनी बाकी है। इस घटना के बाद भारतीय अधिकारी चीनी कोड के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं कि क्या इसने मुम्बई को ब्लैकआऊट कर डाला। रिकाॢडड फ्यूचर द्वारा उनको उपलब्ध करवाए गए प्रमाण बताते हैं कि देश के इलैक्ट्रिक ग्रिड के कई तत्व चीनी हैकिंग का लक्ष्य थे। 

यह संभव है कि भारतीय अभी भी कोड की सर्च कर रहे हैं। एक पूर्व भारतीय राजनयिक ने इसकी प्रविष्ठि को स्वीकार करते हुए कहा कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी और उनके भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर के बीच सीमा तनाव को कम करने के प्रयास में हाल के दिनों में कूटनीतिक प्रक्रिया जटिल बन सकती है। 

रिकार्डिड फ्यूचर शोध को लिखने वाले जांचकत्र्ताओं का कहना है कि खोज इस बात का नवीनतम उदाहरण है कि किसी प्रतिकूल बिजली ग्रिड या अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में मालवेयर का विशिष्ठ स्थान कैसे आक्रामकता से सबसे नया रूप बन गया है। एक ऐसी चेतावनी जो दूर की चीजों को आगे धकेल सकती है और जिससे लाखों लोग पीड़ित हो सकते हैं। 

सेवानिवृत्त लैफ्टीनैंट जनरल डी.एस. हुड्डा जोकि एक साइबर एक्सपर्ट हैं, का मानना है कि उन्हें लगता है कि चीन द्वारा संकेत दिया जा रहा है कि, ‘‘चीन कर सकता है और उसके पास संकट के समय में ऐसा करने की क्षमता है।’’  हुड्डा पाकिस्तान के साथ भारतीय सीमाओं की निगरानी करते हैं। चीन भारत को चेतावनी भेजना पसंद करता है कि उसके पास वे सारी क्षमताएं मौजूद हैं जो भारत को निशाना बना सकती हैं। भारत और चीन के पास मध्यम आकार के परमाणु शस्त्रागार हैं लेकिन दोनों पक्ष यह नहीं मानते कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) पर खूनी विवादों के जवाब में एक परमाणु आदान-प्रदान का जोखिम होगा। 

अमरीका में भी इसी तरह के संकेत मिले थे कि अमरीकी पावर ग्रिड को रूसी हैकरों द्वारा हैक करने की कोशिश की गई। अमरीका ने रूसी ग्रिड में कोड भेजा जो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक चुनौती थी। अब बाइडेन प्रशासन यह वायदा करता है कि एक सप्ताह के भीतर वह एक अन्य घुसपैठ करेगा। वहीं चीनी सुरक्षा कम्पनी 360 सिक्योरिटी टैक्नोलॉजी ने भारत समर्थित हैकरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने अस्पतालों तथा मैडीकल रिसर्च संगठनों को निशाना बनाया। -डेविड ई.सेंगर तथा एमिल श्मल्ल


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