भारत डेल्टा वेरिएंट से निपटने के लिए तैयार नहीं था, क्या इस बार कुछ अलग होगा

punjabkesari.in Thursday, Jan 06, 2022 - 06:18 AM (IST)

जनसंख्याओं के टीकाकरण, यहां तक कि अस्पतालों में दाखिल होने की कम दर के साथ-साथ कोविड-19 वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के तेजी से फैलने के चलते बहुत से देशों में अस्पताल तथा स्वास्थ्य प्रणालियां बड़ी संख्या में संक्रमणों के कारण दबाव में हैं। यह अनुमान लगाना जायज है कि भारत में भी ओमिक्रॉन के मामलों में तेजी तथा लोगों के अस्पतालों में दाखिल होना स्वाभाविक है। 

भारत में आई पहले की लहरों तथा ओमिक्रॉन से बुरी तरह से प्रभावित देशों से मिलने वाले आंकड़ों के आधार पर दिसम्बर 2021 में आई.आई.टी. कानपुर के एक अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया कि भारत में फरवरी में ओमिक्रॉन के मामले चरम पर पहुंच जाएंगे। अब यह भविष्यवाणी संभव दिखाई देती है, लेकिन संक्रमण में इससे पहले ही तेजी आ सकती है। भारत फरवरी-जून 2021 में डेल्टा वेरिएंट से निपटने के लिए तैयार नहीं था। क्या हम सुनिश्चित हो सकते हैं कि इस बार कुछ अलग होगा? 

चिकित्सीय मूलभूत ढांचा : अंतिम ‘युद्ध’ में भारत ने अभी अपना टीकाकरण अभियान शुरू ही किया था, जब देश में डेल्टा ने कोहराम मचाया हुआ था। मूलभूत मुद्दा था चिकित्सीय मूलभूत ढांचा-बैड, ऑक्सीजन, एम्बुलैंसें आदि, जो जल्दी ही संक्रमणों की अत्यधिकता के कारण चरमरा गया। दरअसल कई क्षेत्रों, विशेषकर ग्रामीण, ने लहर के चरम पर पहुंचने से काफी पहले ही अपनी क्षमताओं की बाध्यताओं को छू लिया था। 8 भारतीय जिलों के आंकड़े के हमारे पहले के अध्ययन में खुलासा हुआ कि स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता के अभाव में मृत्युदर में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हो सकती है। मरीज सिर्फ बीमारी की बजाय चिकित्सा सहायता, जैसे कि ऑक्सीजन के अभाव में मर सकते हैं। 

हमारा अध्ययन यह भी दर्शाता है कि क्षमता प्रबंधन ‘माइक्रो’ स्तर पर ही होना चाहिए। यह स्थानीय है, जिला अथवा ताल्लुक स्तर। वास्तव में राज्य तथा राष्ट्रीय स्तरों पर क्षमताओं का आकलन करना राहत की एक भ्रमित करने वाली भावना पैदा कर सकता है, यह देखते हुए कि युद्ध को स्थानीय स्तर पर शुरू करना होगा। इस साधारण लेकिन महत्वपूर्ण बिंदू को समझना चिकित्सीय आधारभूत ढांचे के स्तर पर ओमिक्रॉन की लहर से निपटने के लिए एक चैकलिस्ट बनाने तथा उस पर काम करने में मदद कर सकता है : 

टीकाकरण, टीकाकरण, टीकाकरण : योग्य जनसंख्या के 60 प्रतिशत से अधिक के पूर्णत: टीकाकरण होने के चलते 15-18 आयु वर्ग के किशोरों का टीकाकरण करने का निर्णय, आपातकालीन इस्तेमाल के लिए अतिरिक्त वैक्सीन्स को स्वीकृति तथा बुुजुर्ग लोगों को बूस्टर डोज देना सही दिशा में लिए गए निर्णय हैं। सूचना का एक महत्वपूर्ण स्थान ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना है जो सर्वाधिक संवेदनशील हैं। 

स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता का सटीक निर्धारण : आई.आई.टी. कानपुर जैसे माडल जिला स्तर पर कुछ सप्ताहों के लिए मामलों को प्रदर्शित करने में सक्षम हैं। ओमिक्रॉन पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर जो कोई भी जानकारी प्राप्त होती है उसे तुरन्त उसी समय उपलब्ध करवाना चाहिए। 

पहले से तैयारी : स्थानीय अधिकारी सटीक तौर पर जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता-जैसे कि अस्पताल, बैड, टैस्ट, मोबाइल टेस्टिंग वैन्स, डाक्टर, नर्सें, दवाइयां, ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन की आपूर्ति, ठेकेदार तथा वैंटीलेटर आदि का निर्धारण करने के लिए संभावनाओं तथा आंकड़ों को मिला सकते हैं। इससे दबावों के स्तर का पता लगाने तथा उनसे स्थानीय प्रतिक्रिया का तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी। 

स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में लचीलापन लाना : स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवा की क्षमता बारे जानकारी यह निर्धारित करती है कि संक्रमणों में कितनी वृद्धि के साथ प्रभावपूर्ण तरीके से निपटा जा सकता है। कौन से जिले ‘अत्यंत महत्वपूर्ण’ हैं जिनमें टीकाकरण की जा चुकी जनसंख्या के मुकाबले स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता कमजोर है? इस क्षमता को मजबूत करने के लिए स्रोतों को कैसे गतिशील किया जा सकता है? यदि लहर के चरम पर स्रोतों का अभाव है, जैसा कि डेल्टा लहर के दौरान देखा गया था, दवाओं की जमाखोरी, कीमतों में वृद्धि तथा कालाबाजारी देखने को मिलती है। इसलिए क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार आवश्यक सामग्रियों के वितरण की हरेक कुशल व्यवस्था होनी चाहिए। 

सामाजिक दूरी जैसे कुछ प्रयासों को शुरू करने से संक्रमणों में तेजी के किसी भी तरह के संकेतों में कमी लाने में मदद मिल सकती है। यदि संक्रमणों की संख्या में तेजी से पहले या बाद में मामलों के वक्र को समतल करने के लिए लॉकडाऊन की जरूरत है तो ऐसा करने से अर्थव्यवस्था में गिरावट आ सकती है। चूंकि इस तरह की गिरावट से निपटने के लिए नीतियों में बहुत कम जगह है, स्वास्थ्य सेवाओं की पर्याप्त तैयारी अनिवार्य दिखाई देती है।-विराल वी.आचार्य/तुषार गोरे


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