गिलगित-बाल्तिस्तान के दर्जे को ‘चुनौती’ दे भारत

punjabkesari.in Tuesday, Jul 14, 2020 - 04:28 AM (IST)

पाकिस्तान सरकार की ओर से गिलगित-बाल्तिस्तान में 18 अगस्त को आम चुनाव करवाने का फैसला जटिल रणनीतिक चाल है जिसका सबसे ज्यादा लाभ चीन को होगा तथा नुक्सान भारत को। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की नैशनल सिक्योरिटी कौंसिल (एन.एस.सी.) के फैसले के उपरांत वहां की सुप्रीम कोर्ट द्वारा 30 अप्रैल को सरकार को वर्ष 2018 वाले प्रबंधकीय आदेशों को तबदील करने की अनुमति देने के उपरांत वहां के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने 18 अगस्त को चुनाव करवाने बारे अपनी मोहर लगा दी है। स्मरण रहे कि वर्ष 1947 के बंटवारे के अनुसार पूरा जम्मू-कश्मीर (पी.ओ.के. तथा गिलगित-बाल्तिस्तान  सहित) भारत का अभिन्न अंग है। पी.ओ.के. के किसी भी हिस्से के दर्जे को बदलने का पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं। 

भारत सरकार के पास पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत तथा इमरान खान की सरकार के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के बारे कई विकल्प खुले हैं तथा योग्य कार्रवाई करने के अधिकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास हैं। इससे पहले कि अक्साई चिन तथा लक्ष्म घाटी जैसा हाल न हो जाए, जहां पर चीन ने भारत का गैर-कानूनी तौर पर करीब 43000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र हथिया लिया था तथा हमने कोई भी कार्रवाई नहीं की। हमें इस बात का कोई ज्ञान नहीं कि वुहान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तथा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच इस मुद्दे पर कोई बातचीत हुई या नहीं? 

अब जरूरत इस बात की है कि पाकिस्तान के इस अनुचित फैसले के खिलाफ अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस (आई.सी.जे.) में अपील कर रोक लगाई जाए। इसके साथ ही पी.ओ.के. को हासिल करने की बढ़-चढ़कर बातें करने वाले राजनीतिज्ञों को चाहिए कि कूटनीतिक, राजनीतिक तथा सैन्य स्तर पर कार्रवाई करने के लिए एकजुट हो जाएं। इसी में देश की भलाई होगी। अब जबकि चीन ने पी.ओ.के. के भीतर अपनी मौजूदगी स्वीकार कर ली है तो क्या यह चीन-पाकिस्तान की फिर कोई साजिश तो नहीं? कश्मीर के इस उत्तरी क्षेत्र की महत्ता को मुख्य रखते हुए गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। 

रणनीतिक महत्ता
पाकिस्तान के उत्तर की ओर पड़ते नाजायज कब्जे वाले 72,971 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के अधीन गिलगित एजैंसी, लद्दाख वजारत का जिला बाल्तिस्तान तथा पहाड़ी रियासतेंहुंजा तथा नगर को मिलाकर इसका नाम गिलगित-बाल्तिस्तान रखा गया है। इसको 14 जिलों में बांटा गया है तथा इसकी कुल आबादी 12.5 लाख के करीब है। उत्तर की ओर इसकी सीमा अफगानिस्तान और उत्तर-पूर्व की ओर चीन के कथन के अनुसार स्वायत्त राज्य शिनजियांग के साथ जा लगती है। पश्चिम की ओर पाकिस्तान का अशांत उत्तर पश्चिमी फ्रंटियर पड़ता है। इसके दक्षिण में पी.ओ.के. तथा दक्षिण-पूर्व की ओर जम्मू-कश्मीर की सीमा लगती है। गिलगित-बाल्तिस्तान रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है तथा पाकिस्तान के शासन-नियंत्रण में है। वर्ष 2018 के विवादित आदेश के द्वारा क्षेत्र के मुद्दों से निपटने की खातिर स्थानीय कौंसिल को कुछ ज्यादा अधिकार भी दिए गए लेकिन कई किस्म की पाबंदियां भी लगाई गईं। 

अब पाकिस्तान सरकार ने 2018 वाले आदेशों में संशोधन कर वहां आम चुनाव 18 अगस्त को करवाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। यह वह क्षेत्र है जहां चीन-पाकिस्तान का आॢथक कॉरीडोर गुजरता है। यहां के निवासी पाकिस्तान के उत्पीडऩ से नाराज होकर भारत सरकार से इस मामले में दखलअंदाजी करने की मांग कर रहे हैं। 

चीन-पाक का गठबंधन
गिलगित-बाल्तिस्तान के भीतर खनिज पदार्थों का बहुत बड़ा भंडार है, पर उसका लाभ उत्तरी क्षेत्र के निवासी नहीं ले सकते। यहां की कौंसिल द्वारा सरकार को प्राकृतिक स्रोतों, पानी तथा खनिज पदार्थों इत्यादि बारे किसी किस्म का कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं दिया गया, मगर चीन की एक कम्पनी ने 2 वर्ष पूर्व 60 लाख डालर की लागत से खनिज पदार्थों की खोज करने हेतु सरकार की ओर से अनुमति ग्रहण कर ली है। 

बाज वाली नजर अपनी अनोखी पहचान वाला उच्च पर्वतीय क्षेत्र  गिलगित-बाल्तिस्तान पी.ओ.के. भारत का अभिन्न अंग है। इस समय पाकिस्तान में 4 राज्य अर्थात पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वाह तथा बलोचिस्तान है। पाकिस्तान सभी संवैधानिक तथा प्रशासनिक कमियों को दूर कर गिलगित-बाल्तिस्तान को अपने पांचवें राज्य के तौर पर हड़पना चाहता है। इससे पहले कि पाकिस्तान कश्मीर का कोई अन्य हिस्सा भी चीन को सौंपने के लिए मान जाए, भारत सरकार को तुरंत योग्य कार्रवाई करने की जरूरत होगी ताकि चुनावों पर रोक लग सके। 

चीन पाकिस्तान की सहमति से पी.ओ.के., विशेष तौर पर गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र आर्थिक कारीडोर तथा वन रोड वन बैल्ट स्कीम के बहाने  जलशक्ति से तैयार होने वाली बिजली वाले मैगा प्लांट, सड़कें, रेल, हवाई अड्डे, मिसाइल बेस इत्यादि का जाल बिछाकर बहुपक्षीय विकास करने के बहाने सैन्य रणनीतिक वाले अड्डे कायम कर रहा है। चीन ने सैन्य अभ्यास के बहाने 40जे वाले 10 लड़ाकू विमानों को स्कर्दू एयरबेस पर उतारा था जिसकी जानकारी विश्वसनीय स्रोतों से मिली थी। चीन के इरादे कभी नेक नहीं हुए और न ही रहेंगे। भारत सरकार को चाहिए कि गिलगित-बाल्तिस्तान की ओर ध्यान देकर अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ौतरी करे।-ब्रिगे. कुलदीप सिंह काहलों (रिटा.)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News