भारत का चीन को दीवाली उपहार, स्टील डंपिंग पर लगाई ड्यूटी

punjabkesari.in Sunday, Nov 07, 2021 - 04:50 AM (IST)

भारत से लगने वाली सीमा पर चीन जैसे-जैसे अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ाता जा रहा है, उसे देखते हुए भारतीय सेना भी उसी तर्ज पर अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। इसके अलावा भारत ने चीन को एक विशेष दीवाली उपहार दिया है। भारत अपने भारी उद्योग को और गति देने के लिए विशेष प्रकार के स्टील, जिसे ‘स्पेशियलिटी स्टील’ कहते हैं, के उत्पादन के लिए 6322 करोड़ रुपए की पी.एल.आई. स्कीम के तहत काम शुरू करने जा रहा है।

पी.एल.आई. स्कीम के तहत अब स्पेशियलिटी स्टील का उत्पादन देश में ही होगा। अभी तक देश में इसका उत्पादन नहीं होता था। सामान्य स्टील का उत्पादन देश के अंदर बहुत पहले से होता रहा है लेकिन स्पेशियलिटी स्टील के लिए भारत को विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था। भारत अभी तक 4 अरब डॉलर का स्पेशियलिटी स्टील का आयात विदेशों से करता था। विदेशों से आयात होने वाले स्पेशियलिटी स्टील का बड़ा हिस्सा चीन से आता था। स्पेशियलिटीस्टील का इस्तेमाल रक्षा उपकरणों, एयरोस्पेस, सैन्य विज्ञान क्षेत्र, ऑटोमोटिव क्षेत्र और दूसरे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में होता है। 

इस पी.एल.आई. स्कीम से चीन को बड़ा झटका लगने वाला है। भारत के लिए बहुत जरूरी था कि स्पेशियलिटी स्टील को लेकर चीन पर निर्भरता खत्म की जाए। इसके साथ ही सामान्य स्टील पर भी भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अगर दुनिया भर के  शीर्ष स्टील उत्पादकों की बात की जाए तो भारत जहां 111 मिलियन टन स्टील का उत्पादन करता है, वहीं चीन 996 मिलियन टन स्टील का उत्पादन करता है। इस आंकड़े से जाहिर है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक होते हुए भी चीन से 10 गुना कम स्टील उत्पादन करता है। 

वैश्विक स्तर पर चीन पूरी दुनिया की खपत के 57 फीसदी स्टील का उत्पादन करता है। बड़ी मात्रा में उत्पादन होने से चीन के स्टील का दाम कम होता है और यह उसे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बढ़त दिलाता है। कम दाम का लाभ उठाते हुए चीन भारतीय बाजार में अपना स्टील डम्प किया करता था जिससे देसी स्टील उत्पादकों और उद्योग को भारी नुक्सान होता था। इसके चलते देसी स्टील उत्पादकों ने सरकार से शिकायत की थी, जिसके बाद वर्ष 2017 में भारत सरकार ने चीन से आयात होने वाले कई तरह के स्टील पर एंटी डमिं्पग ड्यूटी लगा दी थी। यह ड्यूटी वर्ष 2021 में खत्म होने वाली थी लेकिन भारत ने इसकी समय सीमा को जनवरी 2022 तक बढ़ा दिया था। फिलहाल भारत सरकार अभी इस बात का आकलन कर रही है कि चीन के स्टील पर लगी एंटी डमिं्पग ड्यूटी हटाई जाए या अभी इसे लगी रहने दिया जाए। 

सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के  दायरे में रहते हुए चीन के  स्टील पर कैसे एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई जा सकती है क्योंकि भारत भी डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य देश है और चीन इस मुद्दे को डब्ल्यू.टी.ओ. में उठाने की कई बार धमकी दे चुका है। ऐसी संभावना है कि चीन की स्टील डमिं्पग को लेकर भारत को कोई रास्ता मिल गया है। वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डायरैक्टोरेट जनरल ऑफ रैड रैमेडीज ने भारत सरकार को सुझाव रिपोर्ट भेजी है, जिसके तहत चीन से आयात होने वाले कुछ स्टील के ऊपर साल-छ: महीने नहीं, बल्कि पूरे 5 वर्षों के  लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी के तहत प्रतिबंध लगाया जा सकता है। जिन स्टील के ऊपर पांच वर्ष के  लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी थोपने की बात कही गई है, उनमें लोहे के सरिये, छड़ें, स्टील की ईंटें और इस्पात स्टील, गैर-इस्पात स्टील की कॉयल शामिल हैं। 

भारत को चीन पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने के लिए विश्व व्यापार संगठन के कानून के  तहत ही कार्रवाई करनी होगी क्योंकि भारत डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य देश है। अगर भारत डब्ल्यू.टी.ओ. के कानून से बाहर जाकर कोई कार्रवाई करता है तो चीन भारत पर डब्ल्यू.टी.ओ. में मुकद्दमा दायर कर सकता है। वहीं डी.जी.टी.आर. ने भारत सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन जो भी स्टील भारतीय बाजारों में डम्प करता है अगर उसकी कीमत 546 डॉलर प्रति टन है तो उस पर भारत कोई भी एंटी डंपिंग ड्यूटी नहीं लगाए और अगर उस स्टील की कीमत 546 डॉलर प्रति टन से कम है तो उस पर भारत एंटी डमिं्पग ड्यूटी लगा सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ भारत को यह मिलेगा कि भारत के देसी स्टील उत्पादकों के हितों की रक्षा हो सकेगी जिन्हें चीन की डमिं्पग से बहुत नुक्सान हो रहा था। साथ ही भारत के स्टील उद्योग को भी नुक्सान उठाना पड़ रहा था। 

चीन पर एंटी डमिं्पग ड्यूटी लगाने से देसी स्टील उत्पादक भारत की घरेलू स्टील की मांग को पूरा कर लेंगे। वहीं भारत के  करोड़ों डॉलर स्टील के आयात पर खर्च होने से बचेंगे। डी.जी.टी.आर. ने वाणिज्य मंत्रालय को यह रिपोर्ट भेज दी है और बहुत संभव है कि भारत अगले वर्ष जनवरी से पहले इस रिपोर्ट पर अमल भी करेगा। देश हित और स्टील उद्योग की रक्षा के लिए भारत का मास्टर स्ट्रोक दो तरफा वार करेगा। जहां यह देसी उद्योग की रक्षा करेगा, वहीं चीन की कुटिल चाल का मुंहतोड़ जवाब भी देगा। 


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