भारत की वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त करने की मांग सही

punjabkesari.in Saturday, May 15, 2021 - 04:41 AM (IST)

वैक्सीन कूटनीति से विश्व को स्तंभित करने के बाद भारत दूसरे देशों को मुफ्त टीका बांटने में ही नहीं लगा हुआ है, बल्कि साथ ही साथ वह दुनिया भर में तैयार कोरोना वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त कराने की मुहिम चला कर विश्व को एक नई दिशा दे रहा है। कोरोना संक्रमण को फैले सालभर से ज्यादा हो चुका है। इस दौरान दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। 

अब वैज्ञानिक से लेकर शीर्ष पदों पर बैठे सभी लोग मान रहे हैं कि दुनिया को वापस पटरी पर लाने के लिए टीकाकरण जरूरी है। वैक्सीन तैयार भी हो चुकी हैं लेकिन देश उसे खरीद नहीं पा रहे। कारण यह है कि वैक्सीन की कीमत पहले से ही ज्यादा है और साथ में पेटेंट के कारण उसके दाम और बढ़े हुए हैं। 

यही देखते हुए भारत सरकार ने हाल ही में वल्र्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यू.टी.ओ.) से कोरोना की वैक्सीन को बौद्धिक संपदा की श्रेणी से बाहर निकालने की अपील की। अगर पेटेंट हटा लिया जाए तो कीमत काफी कम हो सकेगी। इससे फायदा यह होगा कि छोटे और आर्थिक तौर पर कमजोर देश भी कम कीमत पर टीका खरीद सकेंगे।

अमरीका के भारत की कोविड वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त करने की मांग के समर्थन के एक दिन बाद जर्मनी ने कहा है कि बौद्धिक संपदा अधिकार नई खोजों के प्रेरणा स्रोत हैं और इन्हें भविष्य में भी ऐसा ही बना रहना चाहिए। गुरुवार को जर्मन सरकार की एक प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा, ‘‘अमरीका के कोविड-19 वैक्सीन को पेटेंट मुक्त करने के सुझाव के वैक्सीन के उत्पादन पर गंभीर असर हो सकते हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार नई खोजों के प्रेरणा स्रोत हैं और इन्हें भविष्य में भी ऐसा ही बना रहना चाहिए।’’ 

दवाई कंपनियां विरोध में : कई दवा कंपनियों ने भी कोविड-19 वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त करने के सुझाव का विरोध किया है। दवा कंपनी फाइजर के सी.ई.ओ. एल्बर्ट बोरला ने कहा है कि उनकी कंपनी इसके पक्ष में बिल्कुल नहीं है। जबकि यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा है कि वह इस विषय पर विमर्श के लिए तैयार हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन में यह मामला पिछले साल अक्तूबर से जारी है जब भारत और दक्षिण अफ्रीका ने कोविड-19 वैक्सीन, इलाज की दवाओं और अन्य  मैडीकल साजो सामान को पेटेंट मुक्त करने की मांग उठाई थी। अप्रैल में डब्ल्यू.टी.ओ. ने कहा था कि दुनियाभर में लगाए गए 70 करोड़ टीकों में से सिर्फ 0.2 प्रतिशत गरीब देशों में लगाए गए हैं। इस असंतुलन के नतीजे फिलहाल दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत में नजर आ रहे हैं। विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक प्रमुख न्गोजी ओकोंज-इवेला ने कहा, ‘‘हमें फौरी तौर पर कोविड-19 का जवाब देने की जरूरत है क्योंकि दुनिया देख रही है और लोग मर रहे हैं।’’ 

क्या है पेटेंट : यह वो कानूनी अधिकार है, जो किसी संस्था या फिर किसी व्यक्ति या टीम को किसी प्रोड्क्ट, डिजाइन, खोज या किसी खास सॢवस पर एकाधिकार प्रदान करता है। एक बार किसी नई चीज पर कोई पेटेंट हासिल कर ले तो उसके बाद कोई दूसरा व्यक्ति, देश या संस्था बिना इजाजत उस चीज का उपयोग नहीं कर सकती। अगर वह ऐसा करती है तो इसे बौद्धिक संपदा की चोरी माना जाता है और कानूनी कार्रवाई होती है। कुल मिलाकर पेटेंट जिसके नाम पर है, उसकी खोज या उत्पाद के इस्तेमाल पर उसे ही पूरा फायदा मिल सके, इसके लिए यह नियम बना। 

पेटेंट के प्रकार :  प्रोड्क्ट पर जो पेटेंट लिया जाता है उससे कोई भी कंपनी एक किस्म का उत्पाद तो बना सकती है लेकिन वो बाजार में पहले से मौजूद उत्पाद के एकदम समान नहीं होता। मिसाल के तौर पर चिप्स को ही लें तो मार्केट में दर्जनों किस्म के चिप्स मौजूद हैं लेकिन सबमें कंपनी के मुताबिक कोई न कोई फर्क होता है। ये फर्क पेटेंट के कारण होता है और एक कंपनी दूसरी कंपनी का प्रोड्क्ट चुरा नहीं पाती।

वहीं दूसरा पेटेंट प्रोसैस यानी प्रक्रिया से जुड़ा होता है। ये किसी नई तकनीक पर लिया जाता है। इससे होता ये है कि कोई संस्था उत्पाद तैयार करने की वह खास तकनीक चुरा नहीं पाती है। दुनिया के अलग-अलग देशों में अपने उत्पाद का पेटेंट पाने के लिए अलग-अलग आवेदन करना होता है, अगर ऐसा न किया जाए तो दूसरे देशों में भी इसकी नकल तैयार हो सकती है और इसपर कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं हो सकती। 

भारत के अक्तूबर, 2020 के प्रस्ताव पर सात माह में हुई 10 बैठकों के बाद 11वीं बैठक के अवसर पर अमरीका व यूरोपीय संघ ने अपनी सहमति दी है। अब संभवत: इस प्रस्ताव के अंतिम प्रारूप ट्रिप्स काऊंसिल की 6-8 जून की बैठक में अनुमोदित हो जाए। वैसे कोरोना महामारी के इस दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वदेशी जागरण मंच की ओर से देश भर में प्रदर्शन कर कोरोना वैक्सीन को पेटेंट मुक्त करने की मांग की गई है। आवश्यकता को देखते हुए एक आपात बैठक तत्काल आयोजित कर लेनी आवश्यक है। इसके बाद भी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एक बड़ी चुनौती है। 

टीकों व कोरोना की सभी औषधियों के द्रुत उत्पादन के लिए सभी पेटेंटधारकों को विश्वभर में स्वैच्छिक अनुज्ञाएं स्वीकृत कर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु प्रेरित या बाध्य किया जाना भी आवश्यक है। इसके लिए आवश्यक जन दबाव एवं विश्व व्यापार संगठन में भी एक अतिरिक्त प्रस्ताव ला विश्व को आवश्यकता के इस दौर में नई दिशा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत को आगे आना ही होगा।-सुखदेव वशिष्ठ


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