खाद्य पदार्थों के निर्यात में भारत की बड़ी उपलब्धि

punjabkesari.in Thursday, Jan 06, 2022 - 06:09 AM (IST)

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण दुनियाभर के देशों के व्यापार व अर्थव्यवस्थाएं चरमरा गई हैं और बिगड़ी सप्लाई चेन ने कई देशों के आयात-निर्यात संबंधों को बुरी तरह  प्रभावित किया है। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था व आयात-निर्यात को फिर से पटरी पर लाना प्रत्येक देश के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। भारत की अर्थव्यवस्था भी अब धीरे-धीरे पटरी पर लौटती दिखाई दे रही है और निर्यात के मामले में भी भारत विश्व पटल पर अपनी बढ़त बना रहा है। 

निर्यात के मामले में भारत ने अब एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अरब देशों को फूड एक्सपोर्ट यानी खाने-पीने के सामान के निर्यात के मामले में साल 2020 में भारत पहले पायदान पर पहुंच गया, जो पिछले 15 सालों में पहली बार हुआ है। भारत ने ब्राजील को पीछे छोड़ दिया है और अरब देशों के लिए सबसे बड़ा खाद्यान्न निर्यातक बनकर सामने आया है। अरब ब्राजील चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कोविड महामारी की वजह से साल 2020 में अरब और ब्राजील के व्यापार में कमी आई। यह संगठन ब्राजील और अरब के लोगों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करता है और इन दोनों देशों के बीच संबंधों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

कोरोना महामारी के कारण ब्राजील की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है। अरब देश ब्राजील के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारोबारी सांझेदार हैं, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान साल 2020 में पूरी दुनिया में व्यापार बाधित हुआ, जिसके चलते ब्राजील ने भी इन देशों से व्यापार में दूरी बनाई, जिसका उसे भारी नुक्सान उठाना पड़ा है। ब्राजील की अरब देशों से भौगोलिक दूरी भी उसके पिछडऩे का कारण बनी। कोरोना महामारी से पहले ब्राजील अरब देशों को फूड एक्सपोर्ट के मामले में अग्रणी था। आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में 22 अरब देशों के कुल एग्री बिजनैस उत्पादों के निर्यात में ब्राजील का हिस्सा महज 8.15 फीसदी रह गया, जबकि भारत का हिस्सा बढ़कर 8.25 फीसदी हो गया। 

कोरोना महामारी के दौरान चीन ने भी अरब देशों में अपने खाद्य उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाई है, जिस कारण इस क्षेत्र में ब्राजील के व्यापार को नुक्सान पहुंचा है। ब्राजील अपने पारंपरिक शिपिंग मार्गों जैसे भारत, तुर्की, अमरीका, फ्रांस, अर्जेंटीना से व्यवधान के चलते अपनी जमीन खोता चला गया और इसी बात का लाभ भारत को मिला। ब्राजील के जहाज जहां सऊदी अरब में 1 महीने में पहुंच जाते थे, वहीं अब इनके पहुंचने में 2 महीने लग जाते हैं, जबकि भारत इसके काफी करीब होने की वजह से महज एक हफ्ते में वहां फल, सब्जियां, चीनी, अनाज और मांस पहुंचा देता है। 

ब्राजील से निर्यात कम होने की वजह से सऊदी अरब ने अपने देश में ही उत्पादन पर जोर दिया और भारत जैसे दूसरे विकल्पों से आयात को बढ़ावा दिया। इसी वजह से भारत को इस अवसर का लाभ मिला और उसका सऊदी अरब में निर्यात बढ़ा। इस साल भारत 20 से 25 लाख टन गेहूं निर्यात करेगा। देश से काफी मात्रा में गेहूं का निर्यात हो रहा है। भारत ने पड़ोसी देश अफगानिस्तान को भी मानवीय मदद के तौर पर 5 करोड़ किलो गेहूं देने की बात कही है। यह गेहूं पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने भी इस पर मंजूरी दे दी है। गेहूं के अलावा भारत अफगानिस्तान को कोरोना वायरस के टीके भी उपलब्ध कराएगा। 

भारत द्वारा अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय मदद पहुंचाने का इतिहास काफी पुराना है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पिछले एक दशक में भारत ने अफगानिस्तान को 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं मुहैया कराया है। पिछले साल भी भारत ने 75,000 मीट्रिक टन गेहूं देकर अफगानिस्तान की सहायता की थी। यह जानकारी भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सितम्बर 2021 में अफगानिस्तान के राजनीतिक संकट पर हुई संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक में दी थी। जहां तक भारत और पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्तों का सवाल है तो वे पहले जैसे ही रहेंगे। यानी पाकिस्तान से चीजें भारत आ सकती हैं लेकिन पाकिस्तान नहीं जा सकतीं, सिवाय कॉटन और गन्ने के। 

कोरोना संक्रमण के दौरान दुनिया भर में अनाज संकट पैदा होने की आशंका जताई जा रही थी। दुनिया के कई हिस्सों में अनाज और दूसरे खाद्य पदार्थों की पैदावार घटी है, जिससे खाद्यान्न की कमी बढ़ी और इनकी कीमतों में भी इजाफा हुआ है, लेकिन भारत को इस स्थिति का फायदा मिल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं, चावल, चीनी और मक्का की मांग बढ़ी है। लिहाजा भारत के कमोडिटी निर्यात में इजाफा देखने को मिला है। 

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल-फरवरी के 11 महीनों के दौरान देश से 2.74 लाख करोड़ रुपए के कृषि उत्पादों का निर्यात किया गया है। यह साल भर पहले की इसी अवधि के 2.31 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 16.88 फीसदी ज्यादा है। इसके साथ-साथ प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी के दौरान 26.51 प्रतिशत बढ़कर 43,798 करोड़ रुपए का हो गया। इन उत्पादों में दालें, प्रसंस्कृत सब्जियां, प्रसंस्कृत फल एवं फलों का जूस, मूंगफली, अनाज से बनी वस्तुएं, दुग्ध उत्पादन, अल्कोहल पेय और तेल खली आदि शामिल हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जून 2020 के बाद गेहूं के भाव में 48 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं मक्के की कीमत में अप्रैल 2020 के बाद 91 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। वैश्विक बाजार में मोटे चावल का भाव 110 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ा है। ग्लोबल मार्केट में गेहूं का भाव करीब 7 साल की ऊंचाई पर चला गया है, जबकि मक्के के दाम करीब 8 साल की ऊंचाई पर हैं। कोरोना काल में गेहूं, चावल, मक्का और चीनी जैसी कमोडिटी की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी ज्यादा बढ़ गई है, लेकिन कुछ देशों की ओर से पर्याप्त सप्लाई नहीं हो पा रही। ऐसे में भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्यान्न की आपूर्ति बढ़ा कर कमाई का अवसर बढ़ गया है।-रंजना मिश्रा
 


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