चीन को पछाड़ कर भारत के पास सैमीकंडक्टर निर्माण का सुनहरा अवसर

punjabkesari.in Sunday, Mar 20, 2022 - 06:28 AM (IST)

रूस- यूक्रेन युद्ध के बीच अमरीका ने सीधे तौर पर चीन को धमकी दी है कि अगर उसने रूस की मदद की तो अमरीका चीन के सैमीकंडक्टर उद्योग को बंद कर देगा। दरअसल रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से ही अमरीका और पश्चिमी देशों की कंपनियां रूस से निकल भागी हैं, जिनमें एप्पल, सैमसंग, कोकाकोला, पैप्सी, गुची, शेनेल, फेन्डी, डायोर, प्राडा समेत ढेरों ब्रांड्स  शामिल हैं। इतने सारे प्रतिबंधों के बाद रूस पूरी तरह से चीन पर निर्भर हो गया है। 

वहीं चीन के नजरिए से इस समस्या को देखें तो यह चीन की रणनीतिक विजय है क्योंकि दुनिया का दूसरा सबसे शक्तिशाली, परमाणु शक्ति सम्पन्न देश चीन पर निर्भर है। हाल ही में रूस के लिए चीन की तरफ से एक आधिकारिक बयान भी आया था जिसमें चीन ने कहा था कि रूस उनका रणनीतिक साथी है। अमरीकी धमकी के बाद चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता त्साओ लीचियान ने कहा कि चीन अपनी कंपनियों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। चीनी विदेश प्रवक्ता के इस बयान से साफ जाहिर होता है कि चीन का अमरीकी धमकी से क्या हाल हुआ है। 

अमरीकी प्रतिबंधों में यह बात साफ है कि कोई भी देश रूस की मदद न करे। अमरीका ने दुनिया के उन सभी देशों, जो सैमीकंडक्टर चिप बनाते हैं, को आगाह किया है कि वे रूस की मदद न करें। लेकिन चीन आज भी इन प्रतिबंधों की परवाह न करते हुए रूस को सैमीकंडक्टर्स सप्लाई कर रहा है, जिनका रूस कमर्शियल और सैन्य क्षेत्र में उपयोग कर रहा है। सैमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल इलैक्ट्रॉनिक घडिय़ों, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, रेडियो, गाडिय़ों, विमान, कैमरों में होता है, जो किसी भी इलैक्ट्रॉनिक वस्तु का मस्तिष्क होता है। 

इस घटना का संज्ञान लेते हुए अमरीका ने चीन को सीधी धमकी दी है कि अगर उसने रूस को सैमीकंडक्टर देना बंद नहीं किया तो वह चीन के सैमीकंडक्टर क्षेत्र को खत्म कर देगा। चीन की सैमीकंडक्टर कंपनी एस.एम.आई.सी. दुनिया भर के सैमीकंडक्टर्स का 5 से 7 फीसदी बनाती है। चीन इस समय सैमीकंडक्टर्स के आयात पर, जिसमें ताईवान से चीन को होने वाला सैमीकंडक्टर्स का आयात भी शामिल है, कच्चे तेल के आयात से भी ज्यादा पैसा खर्च करता है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सैमीकंडक्टर्स की चीन में कितनी मांग है और चीन के उद्योग सैमीकंडक्टरों के आयात पर कितने निर्भर हैं। 

दुनिया भर में सैमीकंडक्टर्स के खरीदारों में सबसे बड़ा नाम एप्पल का है जो मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट्स, इलैक्ट्रॉनिक घडिय़ां बनाता है। इसके बाद लेनोवो, जो इकलौती चीनी कंपनी है। फिर बी.बी.के. इलैक्ट्रॉनिक्स, डेल टैक्नोलॉजी, सैमसंग जैसी कंपनियां आती हैं। यानी खरीदारों में अमरीका का दबदबा साफ तौर पर देखा जा सकता है। दूसरे देशों की कंपनियां भी इलैक्ट्रॉनिक्स में अमरीका की नीतियों के अनुसार ही चलती हैं। ऐसे में अगर अमरीका ने तय कर लिया कि चीन में बने सैमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल नहीं करना और उसने यही नीति दक्षिण कोरिया, पश्चिमी यूरोप और दूसरे उन्नत देशों से मनवा ली तो कोई भी देश चीन में बने सैमीकंडक्टर्स नहीं खरीदेगा। पहले ही दक्षिण कोरिया, जापान और दूसरे देशों ने चीन में अपना सैमीकंडक्टर बनाने का काम समेट लिया है, ऐसे में चीन के सैमीकंडक्टर उद्योग को तगड़ा झटका लग सकता है। कम मात्रा में चीन अपने देश में सैमीकंडक्टर बनाता है, उस पर भी अगर अमरीका ने लगाम लगा दी तो चीन सैमीकंडक्टर्स के लिए पूरी तरह से ताईवान पर निर्भर हो जाएगा। 

वहीं अमरीका चाहता है कि जितने सैमीकंडक्टर्स चीन बना रहा है, वह हिस्सा भारत के पास आ जाए, धीरे-धीरे भारत ताईवान के स्तर पर पहुंचे, लेकिन इस काम में अभी समय लगेगा। 5 से 7 फीसदी सैमीकंडक्टर बनाने का काम भारत के पास आ जाए तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ी मजबूती मिलेगी। इसके अलावा ताईवान की फॉक्सकॉन सैमीकंडक्टर निर्माता कंपनी भारत की वेदांता कंपनी के साथ मिलकर भारत में सैमीकंडक्टर्स का निर्माण करेगी, जिससे भारत की स्थिति और भी मजबूत होगी। 

वहीं क्वाड देशों के समूह में इस बात पर चर्चा हो चुकी है कि सैमीकंडक्टर्स बनाने के क्षेत्र में कौन-सा देश तकनीकी स्तर पर भारत की मदद करेगा, जिसके बाद अब जापान और ऑस्ट्रेलिया सैमीकंडक्टर बनाने में भारत की मदद को तैयार हो गए हैं, ताकि भारत को कम समय में सैमीकंडक्टर्स निर्माण के क्षेत्र में एक स्थान हासिल हो सके। हालांकि क्वाड देश वर्ष 2021 से ही सैमीकंडक्टर और 5-जी तकनीक की आपूर्ति शृंखला को मजबूत बनाने के लिए बातचीत कर रहे हैं, जिसके बाद भारत 76,000 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसैंटिव योजना की शुरूआत कर चुका है। 

वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की योजना थी कि वर्ष 2025 तक चीन दुनिया भर के 70 फीसदी सैमीकंडक्टर बनाने लगे, लेकिन वर्ष 2022 तक चीन इस लक्ष्य के आसपास भी नहीं पहुंचा। इससे पहले अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी कंपनी एस.एम.आई.सी. को ब्लैकलिस्ट में डाल दिया था, जिससे चीन का निर्यात 2019-20 में काफी गिर गया क्योंकि चीन पर दूसरे देशों की तकनीक, उपकरण और सॉफ्टवेयर के चोरी करने का आरोप लग रहा था। चीन को काली सूची में डालने के बाद चीन से निर्यात बंद हो गया है, अब चीन के लिए सिर्फ रूस का बाजार खुला है, जिसे चीन अगर सैमीकंडक्टर सप्लाई करने का काम जारी रखता है तो उस पर अमरीका प्रतिबंध लगाएगा। ऐसी पृष्ठभूमि में भारत के पास सैमीकंडक्टर के निर्माण और आपूॢत शृंखला में आगे बढऩे का भरपूर अवसर है। 


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