नशे के भंवर में फंसा यौवन देश को किस दिशा में ले जाएगा

punjabkesari.in Sunday, Oct 10, 2021 - 05:37 AM (IST)

नशे का काला कारोबार देश भर में अपने पांव पसार रहा है। विशेषकर युवाओं में नशा-सेवन की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। गत दिनों नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एन.सी.बी.) ने मुंबई से गोवा जा रहे एक क्रूज पर छापामारी करके, कथित रूप से रेव पार्टी में संलिप्त एक शीर्ष अभिनेता-पुत्र सहित 8 लोगों को हिरासत में लेते हुए उनके विरुद्ध एन.डी.पी.एस. कानून के तहत मामला दर्ज किया है। एन.सी.बी. के मुताबिक छापेमारी के दौरान संदिग्धों की तलाशी लेने पर ड्रग्स तथा 1.33 लाख रुपए बरामद हुए। 

यह ऐसी पहली घटना नहीं। विगत कुछ वर्षों से मायानगरी मादक द्रव्यों के प्रचलन को लेकर खासी चर्चा में रहने लगी है। इससे पूर्व सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के पश्चात ड्रग्स कनैक्शन को लेकर रिया चक्रवर्ती, सारा अली खान, अर्जुन रामपाल, दीपिका पादुकोण आदि अनेक जाने-माने नाम सामने आए थे। एक चर्चित अभिनेत्री द्वारा बॉलीवुड के 90 प्रतिशत सितारे नशे के आदी होने की बात भी कही गई। 

पिछले 2 वर्षों में मुंबई हवाई अड्डे पर 17,000 करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ पकड़े गए। बीते दिनों गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर अफगानिस्तान से लाई गई 3,000 किलो हैरोइन जब्त हुई, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 21,000 करोड़ रुपए है। नशे का इतनी भारी मात्रा में मिलना स्पष्ट संकेत है कि देश ड्रग्स माफिया के निशाने पर है। गंभीर राष्ट्रीय समस्या का रूप धारण करती जा रही इस बीमारी में जहां सामान्य अपराधियों से लेकर बड़े माफिया व विदेशी तस्कर शामिल हैं, वहां अलगाववादी तथा आतंकी गुटों की सक्रियता से भी इंकार नहीं किया जा सकता। 

सीमावर्ती क्षेत्रों पर नशीले पदार्थों की तस्करी आम है। अफगानिस्तान का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य भी चिंता का विषय है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में अफीम की खेती बहुतायत में होती है। वैश्विक स्तर पर मान्यता न मिल पाने के कारण तालिबानी शासन को अर्थाभाव से जूझना पड़ रहा है। ऐसी परिस्थितियों में वैकल्पिक आधार पर नशा तस्करी संबद्ध गतिविधियों में भी तेजी आने की आशंका बढ़ गई है और निश्चित तौर पर सबसे बड़ा निशाना पड़ोसी देश भारत ही होगा।पाकिस्तानी मिलीभगत से आतंकी गुटों व अलगाववादियों का गठजोड़ देश की सुरक्षा के लिए गंभीर संकट उत्पन्न कर सकता है। 

यह भी माना जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर मादक द्रव्यों के विरोध में चल रहे अभियान के कारण नशा सरगना भारत को कोकीन के बड़े बाजार के रूप में देख रहे हैं। खेद का विषय है कि कानून का शिकंजा छोटी मछलियों तक ही सीमित रहता है, जबकि बड़ी मछलियां और मगरमच्छ साफ बच निकलते हैं। जाहिर है, संबंधित अधिकारियों व तस्करों की सांठगांठ के बिना तस्करी संभव नहीं। ऐसी घटनाओं में आरोपितों का साफ बच निकलना भी इस बात को दर्शाता है कि कानून इस विषय को कितनी गंभीरता से ले रहा है। 

ऐसा बिल्कुल नहीं कि मादक द्रव्य सेवन की यह प्रवृत्ति वर्ग विशेष तक ही सीमित है, दरअसल, नशे का यह फलता-फूलता कारोबार समूचे देश को अपनी चपेट में ले चुका है। इतना अवश्य है कि इसकी चर्चा अधिकतर किसी नामचीन व्यक्ति  की गिरफ्तारी पर ही होती है। छोटी-बड़ी निश्चित दरों पर सरलता से उपलब्ध नशे, देश के विभिन्र भागों में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। युवावर्ग के नशों के प्रति बढ़ते रुझान का एक कारण सितारों की जीवनशैली से प्रभावित होना व उसे अपनाने की चाह भी है। 

नशे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर अपना दुष्प्रभाव छोड़ते हैं, अपितु अवसाद, आत्महत्या जैसी मानसिक समस्यायों को जन्म देने के साथ चारित्रिक व नैतिक पतन का कारण भी बनते हैं। समाज में तेजी से बढ़ते आपराधिक आंकड़ों में नशे की प्रवृत्ति मूल कारण के रूप में देखी गई है। नशे में संलिप्त व्यक्ति  चोरी, छीना-झपटी से लेकर हत्या, दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने में तनिक भी संकोच नहीं करता। 

संयुक्त प्रयासों से ही समस्याओं का निराकरण संभव है। नशा तस्करी की आड़ में देश की सुरक्षा-व्यवस्था पर मंडराते हुए संभावित खतरे के मद्देनजर नशा व्यापारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। नशाखोरी को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर भी निष्पक्ष रूप से कानूनी शिकंजा कसना आवश्यक है। व्यक्ति गत तौर पर जहां बच्चों की दिनचर्या व संगति पर नजर रखना अभिभावकों का पहला दायित्व बनता है, वहीं नशा कारोबार से संबद्ध सूचनाएं प्राप्त होने पर संबंधित विभाग को सूचित करना प्रत्येक नागरिक का राष्ट्रीय धर्म है। प्रशासनिक सजगता तथा त्वरित कानूनी कार्रवाई के आधार पर आवश्यक दंड प्रक्रिया से नशा उन्मूलन में सहभागिता दर्ज कराना कत्र्तव्यनिष्ठा एवं मानवीयता के द्योतक हैं। 

अभिनेता वर्ग समाज का प्रतिनिधित्व करता है, विशेषकर युवा मन पर उनके क्रियाकलापों का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। ऐसे में उनका दायित्व है कि दुप्रवृत्तियों से दूर रहते हुए, स्वयं को एक आदर्श के रूप में स्थापित करें। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि जब समूचा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रति नतमस्तक हो रहा था, उसी संध्या हमारे देश का भविष्य कथित तौर पर नशे के भंवर में मदमस्त था? लडख़ड़ाता भविष्य देश को किस दिशा में ले जा सकता है, मनन करना नितांत आवश्यक है।-दीपिका अरोड़ा


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