अदालतों में ‘कैद’ दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी की ‘सरदारी’

punjabkesari.in Friday, Oct 08, 2021 - 03:51 AM (IST)

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की नई प्रबंधक कमेटी का गठन अभी लटकता हुआ नजर आ रहा है। 2 दर्जन से अधिक चुनाव याचिकाएं जिला अदालतों में दाखिल हो चुकी हैं, जिन पर अगर जल्दी फैसला हो गया तो बहुमत का आंकड़ा बदल सकता है। मामूली बहुमत के साथ कमेटी बनाने की कोशिश में लगे शिरोमणि अकाली दल बादल के अध्यक्ष प्रत्याशी मनजिंदर सिंह सिरसा खुद अपनी सदस्यता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 

आम चुनाव में पंजाबी बाग वार्ड से चुनाव हारने के बाद शिरोमणि कमेटी (एस.जी.पी.सी.) के प्रतिनिधि के तौर पर कमेटी सदस्य बनने का सिरसा का सपना भी फिलहाल टूटता हुआ नजर आ रहा है क्योंकि गुरुद्वारा चुनाव निदेशक नरिंदर सिंह ने सिरसा को गुरमुखी टैस्ट में अयोग्य करार दे दिया है। दिल्ली कमेटी एक्ट की धारा-10 के अनुसार किसी को भी दिल्ली कमेटी का सदस्य बनने के लिए गुरमुखी का ज्ञान अनिवार्य है। हालांकि, सिरसा ने निदेशक के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर शुक्रवार को फैसला आने की उम्मीद है। इसके बाद भी पीड़ित पक्ष को दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बैंच में जाने का विकल्प खुला रहेगा। 

पिछले दिनों हुई सुनवाई के दौरान गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के वकील ने अदालत को भरोसा दिया था कि जब तक सिरसा की अयोग्यता पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक वे जनरल हाऊस नहीं बुलाएंगे। वहीं दूसरी ओर विभिन्न अदालतों में दाखिल चुनाव याचिकाओं के फैसले पर भी कमेटी का भविष्य निर्भर करता है। इसमें गुरमुखी ज्ञान, गैर अमृतधारी, चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन, कमेटी का कर्मचारी होने से संबंधित विवादों वाली याचिकाएं शामिल हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि कोर्ट के आदेश पर 5-6 सदस्यों का गुरमुखी टैस्ट हो सकता है। 


बीबी रंजीत कौर की सदस्यता भी खतरे में : शिरोमणि अकाली दल महिला विंग की अध्यक्ष एवं नवनिर्वाचित कमेटी सदस्य बीबी रंजीत कौर का कमेटी कर्मचारी होने की वजह से निर्वाचन खतरे में पड़ गया है। रंजीत कौर के बारे में दावा किया जा रहा है कि नामजदगी के समय बेशक उन्होंने अध्यापक के पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन सदस्य निर्वाचित होने के तुरंत बाद उनको मिलने वाला वेतन उनके खाते में आ चुका है। जबकि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी एक्ट के अनुसार किसी भी गुरुद्वारे का कर्मचारी चुनाव नहीं लड़ सकता। रंजीत कौर की इससे पहले भी कमेटी कर्मचारी होने की वजह से सदस्यता खारिज हो गई थी। उनके राजनीतिक विरोधी कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते। 

डा. जसपाल सिंह के नाम की चर्चा : पंजाबी विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति डा. जसपाल सिंह के भी शिरेामणि कमेटी कोटे से नामजद होने की अटकलें कमेटी गलियारों में चल रही हैं। चर्चा है कि यदि सिरसा अपनी योग्यता बचाने में कामयाब नहीं हुए  तो बादल परिवार जसपाल सिंह को एस.जी.पी.सी. कोटे से कमेटी सदस्य के रूप में नामित कर सकता है। साथ ही अध्यक्ष की कुर्सी भी दे सकता है। हालांकि वह इस समय राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान आयोग के सदस्य हैं, जो एक संवैधानिक पद है। डा. जसपाल सिंह पहले भी गुरुद्वारा कमेटी की सेवा कर चुके हैं। 

सदस्यता बचाने को गुरमुखी सीख रहे हैं नवनिर्वाचित सदस्य : गुरमुखी टैस्ट में मनजिंदर सिंह सिरसा के फेल होने के बाद एक दर्जन से अधिक नव निर्वाचित सदस्यों पर भी टैस्ट की तलवार लटक रही है। उन्हें डर सता रहा है कि कहीं उन्हें भी इस प्रक्रिया से न गुजरना पड़े। इससे बचने के लिए सदस्यों ने गुरमुखी और पंजाबी पढऩा-लिखना शुरू कर दिया है। कुछ सदस्य अपने घर पर ट्यूशन ले रहे हैं जबकि कुछ गुरुद्वारों में जाकर बाकायदा सीख रहे हैं। अगर वे गुरमुखी पढऩे-लिखने में सफल हो जाते हैं तो इसका पूरा श्रेय शिरोमणि अकाली दल के महासचिव हरविंदर सिंह सरना को जाएगा। सरना ने ही इस मसले को अदालत में उठाया है। 

प्रधानमंत्री से मिलना था, नहीं जुटा पाए 32 सदस्य : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव होने के एक महीने बाद भी नई कमेटी का गठन न हो पाने को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने 6 अक्तूबर को 32 सदस्यों की परेड कराने का दावा किया था लेकिन ऐन वक्त पर अपने ही सदस्य पूरे नहीं जुटा पाए। नतीजन मुलाकात की बात फुस्स हो गई। सियासी गलियारों में चर्चा भी रही कि अकाली दल अपने ही पूरे सदस्यों को जुटाने में विफल रहा, जिसके चलते उसने प्रधानमंत्री से मुलाकात स्थगित कर दी। हालांकि कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा व महासचिव हरमीत सिंह कालका ने 5 अक्तूबर को बाकायदा प्रैस नोट जारी कर दावा किया था कि 6 अक्तूबर को प्रधानमंत्री कार्यालय में उनके साथ मुलाकात की जाएगी व उनका ध्यान दिल्ली की ‘आप’ सरकार द्वारा सिख कौम के मामलों में दखलअंदाजी करते हुए दिल्ली कमेटी के जनरल हाऊस का गठन न होने देने की तरफ दिलाया जाएगा। साथ ही गुरुद्वारा चुनाव निदेशक नरिंदर सिंह की शिकायत भी करने की योजना थी।-दिल्ली की सिख सियासत 
सुनील पांडेय
 


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