यदि चीन से युद्ध हुआ तो यह भारत को अकेले ही लडऩा पड़ेगा

punjabkesari.in Wednesday, Mar 09, 2022 - 04:23 PM (IST)

3 दिनों की लगातार कोशिशों और यूक्रेन में भारी तबाही मचाने के बावजूद रूस के राष्ट्रपति पुतिन की सेनाएं कीव पर कब्जा करने में विफल रही हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जहां यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के प्रयास जारी हैं, वहीं उन्होंने पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्स्की से फोन पर बात की है और पुतिन को जेलेन्स्की से सीधे बात करके दुनिया पर मंडरा रहे एक और विश्व युद्ध का खतरा टालने की सलाह दी है।

इसके जवाब में पुतिन द्वारा यूक्रेन के साथ बातचीत और युद्ध विराम के लिए कड़ी शर्तें लगा देने से मामला सुलझता दिखाई नहीं दे रहा। जहां रूस ने यूक्रेन में लडऩे और कीव पर कब्जा करने के लिए सीरियाई लड़ाकों को भर्ती करना शुरू कर दिया है, वहीं रूसी सेनाओं ने अस्पतालों, आवासीय इलाकों और यहां तक कि स्कूलों पर भी हमले करने शुरू कर रखे हैं।  रूसी सेनाओं ने 8 मार्च को यूक्रेन के सूमी में बम गिरा दिया जिससे 2 मासूम बच्चों सहित 21 लोग मारे गए।  जहां दोनों युद्धरत देशों के समर्थन और विरोध को लेकर विश्व के देश दो धड़ों में बंटे दिखाई दे रहे हैं, वहीं इस युद्ध में रूस के सबसे भरोसेमंद साथी चीन की भूमिका अस्पष्टï-सी ही दिखाई दे रही है। रूस के पक्ष में होने के बावजूद अभी तक चीन द्वारा कोई बड़ी पहल करने की सूचना नहीं है। 

जहां चीन की सरकार रूस को अपना सबसे बड़ा साथी मानती है, वहीं भारत के साथ चीन के संबंधों को लेकर लगातार तनाव बना हुआ है। भारत और चीन में अरुणाचल प्रदेश तथा लद्दाख सीमा का विवाद बहुत पुराना है। जून, 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) पर दोनों देशों के सैनिकों में ङ्क्षहसक झड़प हुई थी जिससे उत्पन्न गतिरोध दूर करने के लिए सैन्य स्तरीय वार्ताएं अभी बिना किसी नतीजे के जारी हैं।  इसी पृष्ठïभूमि में चीन के विदेश मंत्री वांग-यी ने 7 मार्च को कहा कि ‘‘पिछले कुछ वर्षों से भारत और चीन को थोड़ी मुश्किलों का सामना करना  पड़ा जो दोनों ही देशों के हित में नहीं है।’’ 

इस तरह के हालात में जहां यूक्रेन बार-बार विश्व से सहायता की गुहार लगाते हुए लगभग अपने दम पर ही रूसी सेनाओं का मुकाबला कर रहा है, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तुलना उस ड्राइवर से की है जो किसी दुर्घटना की ङ्क्षचता किए बिना फर्राटे से अपनी कार किसी चौराहे पर भी दौड़ा दे। श्री सिन्हा ने कहा, ‘‘कल को यदि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इसी तरह का आचरण करें तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा। भारत को इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि यदि पाकिस्तान या चीन के साथ उसका संघर्ष होता है तो वह अकेला है और उसे स्वयं ही अपनी सुरक्षा करनी होगी।’’ ‘‘जिस प्रकार यूक्रेन और रूस के मामले में पूरी दुनिया तटस्थ रह गई, ठीक उसी प्रकार की स्थिति भारत और चीन के बीच संघर्ष होने पर हो सकती है। यदि कुछ होता है तो हमारे यहां क्या होगा? भारत को किसी गफलत में नहीं रहना चाहिए, उसे चीन को लेकर जरूर ङ्क्षचता करनी चाहिए और पूरे इंतजाम करने चाहिएं।’’

श्री सिन्हा ने कहा कि ‘‘संयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद तथा अन्य मंचों पर मतदान से दूर रहने के भारत के फैसले से एक संदेश यह भी गया है कि वह ‘गलत काम में’ रूस का साथ दे रहा है। अपनी सुरक्षा बारे रूस की ङ्क्षचता उचित थी, पर युद्ध का उसका तरीका गलत एवं अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के विपरीत है।’’‘‘बेशक रूस से हमारी बहुत पुरानी दोस्ती है और वह हर मौके पर भारत के काम आया है, लेकिन बहुत नजदीकी दोस्त भी यदि गलती करता है तो दोस्त के नाते हमारा अधिकार है कि हम उसे कहें भाई यह गलती मत करो।’’  श्री सिन्हा के अनुसार,‘‘सबकी ङ्क्षचता यही है कि यह युद्ध कहीं विश्व युद्ध में न बदल जाए जिसका मतलब है परमाणु युद्ध। यदि ऐसा होता है तो और कितने लोग मारे जाएंगे, उसकी कोई गिनती नहीं होगी। इसलिए पश्चिमी देश, विशेषकर जिनका प्रभाव यूरोप में है, वे नहीं चाहते कि संघर्ष इतना बढ़ जाए कि उनकी सेना को इसमें भाग लेना पड़े।’’ 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News