भारत के जमीनी स्तर के प्रशासन में मानवीय चेहरा गायब

punjabkesari.in Saturday, Jun 18, 2022 - 03:26 AM (IST)

लगता है उत्तर प्रदेश का सत्ताधारी प्रशासन अपने आप में ही एक कानून बना हुआ है। कुछ भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों तथा प्रदर्शनकारियों पर योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा दमनकारी बुलडोजर की राजनीति को आगे बढ़ाया जा रहा है।  यह सब देश के संवैधानिक लोकतंत्र के खिलाफ ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर के प्रशासन में मानवीय चेहरा भी गायब हो गया है। 

यू.पी. में नागरिकों पर प्रशासन द्वारा अपनाई गई दमनकारी नीतियों के बारे  ङ्क्षहसा की अनेकों रिपोर्टें आई हैं। राजनीतिक कार्यकत्र्ता जावेद मोहम्मद की मिसाल लें तो पता चलता है कि उनके निवास पर 12 जून को बुलडोजर चलाया गया। इस विध्वंस के लिए प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) पुलिस प्रशासन ने 2 अलग-अलग बहाने प्रस्तुत किए हैं। एक तो यह कि जावेद मोहम्मद ने हिंसा को भड़काया तथा दूसरा यह कि उन्होंने गैर-कानूनी निर्माण किया। प्रशासन यह भी दावा करता है कि मोहम्मद प्रशासन द्वारा भेजे गए नोटिस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 

विडम्बना देखिए इस नोटिस को असल मालिक प्रवीण फातिमा के पते पर नहीं भेजा जिसे अपने पिता से यह सम्पत्ति उपहार में मिली जब उसकी शादी हुई थी। 2 दशकों से ज्यादा समय के लिए प्रवीण फातिमा इस जगह की मालिक है मगर आधिकारिक रूप से दस्तावेज यह खुलासा करते हैं कि प्रवीण निरंतर ही पानी के बिलों तथा प्रापर्टी टैक्स उतार रही थी। एक पानी का बिल प्रयागराज के जल-कल विभाग द्वारा जारी किया गया जिसकी राशि 4578 रुपए थी और यह बिल 8 फरवरी 2022 को जारी हुआ। इसका भुगतान पहले ही हो चुका है। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए हाऊस टैक्स की बात भी है। यह घटना दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश प्रशासन यह नहीं जानता कि उसके दाएं हाथ में क्या है और उसके बाएं हाथ ने क्या किया है। प्रशासन ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया। 

आखिर जावेद मोहम्मद तथा प्रवीण फातिमा का घर किस तरह से ‘गैर-कानूनी निर्माण’ बना? इन दोनों की  बेटी 19 वर्षीय सौमाया का कहना है कि यह घर एक ऐसा स्थान था जहां पर वह अपने आपको सुरक्षित तथा आजाद समझती थी। ईंटों, लकड़ी तथा पत्थर से बना यह घर उसके परिवार तथा उसका था। बी.बी.सी. को दिए गए एक इंटरव्यू में उसने उल्लेख किया कि सुरक्षा की भावना बुरी तरह से धराशायी हुई है। स्थानीय प्रशासन ने उसके घर को बिना किसी चेतावनी तथा बिना किसी वैध कानूनी आधार पर जमींदोज कर दिया। यह सब निरंकुश शासन के चिन्ह हैं जोकि हमारे लोकतांत्रिक देश के जागरूक नागरिकों द्वारा स्वीकार नहीं किए जा सकते। साधारण नागरिक के हकों को दर-किनार करने का यह शर्मसार कृत्य है। 

एक बीमार परिदृश्य को देखते हुए हम पुलिस तथा राजनीतिक निकाय प्रशासन द्वारा भ्रष्टाचार में फंसे माहौल में होने के कारण निष्पक्ष होने की कामना नहीं कर सकते। एक प्रक्रिया की अवहेलना के बीच जावेद मोहम्मद के घर को ध्वस्त करने के बाद प्रयागराज पुलिस प्रशासन ने पैगम्बर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद प्रदर्शन में शामिल 85 प्रमुख आरोपियों के नामों की सूची तैयार की है। इसी तरह यू.पी. में 2 अन्य मुस्लिम समाज से संबंधित घरों को भी ध्वस्त किया गया है जिन पर आरोप है कि उन्होंने पत्थरबाजी की। 

राजनीतिक पंडित असीम अली के अनुसार, ‘‘एक घर को ध्वस्त करने का कृत्य नि:संदेह एक क्रूर कार्रवाई है क्योंकि घर सुरक्षा का एक चिन्ह होता है। घर बनाने में आपका सारा जीवन चला जाता है। मुसलमानों को लक्षित करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल यह दर्शाता है कि प्रशासन बार-बार यह बात दोहरा रहा है कि ऐसे लोगों को संवैधानिक रूप से उचित व्यवहार करना चाहिए नहीं तो उनको बार-बार सजा दी जाएगी। संविधान या फिर न्यायपालिका उनको बचा नहीं सकती।’’ राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ‘बुलडोजर बाबा’ के तौर पर पेश किया गया है। 

सरकारी कामों को चलाने के भाजपा के स्टाइल पर यह कोई प्रशंसनीय समीक्षा नहीं है। वास्तव में विध्वंस की यह कार्रवाई हमारे संवैधानिक लोकतंत्र के मूल नियमों के खिलाफ है। आगे का रास्ता उन्माद, कटुता तथा विकृतियों से भरा पड़ा है। यहां तक कि धर्मनिरपेक्षता तथा उदारवादी लोकतांत्रिक मूल्यों का सिद्धांत भी तोड़-मरोड़ दिया गया है और इसका फायदा कुछ मौकापरस्त नौकरशाहों तथा रीढ़ की हड्डी रहित राजनीतिज्ञों तथा उनके सहयोगियों द्वारा उठाया जा रहा है।-हरि जयसिंह
 


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