विकसित देशों में भारतीय कामगारों के लिए नौकरियों के अपार अवसर

punjabkesari.in Wednesday, Sep 28, 2022 - 04:28 AM (IST)

देश में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से निपटने का यह सही अवसर है। जब दुनिया के तमाम बड़े विकसित देश कामगारों की कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में भारत के बेरोजगारों के लिए इन देशों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर हैं। समय की मांग है कि केंद्र व राज्य सरकारें एक ऐसी रणनीति बनाएं, जिससे बेरोजगारी के चक्र से लाखों युवाओं को निकाल कर उनके परिवारों में आर्थिक खुशहाली की बहाली हो।

18 से 25 वर्ष आयुवर्ग की भारत की लगभग 44 प्रतिशत आबादी दुनिया की सबसे बड़ी युवा वर्कफोर्स है। हर साल करीब 1.20 करोड़ युवा रोजगार लायक हो रहे हैं। भारत के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के जॉब पोर्टल पर ही नौकरी चाहने वाले 1.30 करोड़ युवाओं को रोजगार का सपना कैसे पूरा हो क्योंकि मंत्रालय ही देशभर में सरकारी व प्राइवेट सैक्टर में सिर्फ 2.20 लाख खाली नौकरियां बता रहा है।

पंजाब में ही 20 से 30 वर्ष की आयु के 28 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। इनमें 61.6 प्रतिशत मैट्रिक या इससे अधिक पढ़े-लिखे हैं। इनमें से लगभग एक-चौथाई तकनीकी या पेशेवर रूप से प्रशिक्षितों में डिप्लोमा धारक, इंजीनियर और ट्रेंड टीचर हैं। शिक्षित होने के बावजूद बेरोजगारी का संताप युवाओं में मानसिक रोग, अपराध और ड्रग्स जैसी समस्याओं का एक बड़ा कारण है।

राज्य में रोजगार के सीमित अवसरों के बीच नौकरियों की तलाश में विदेशों में पलायन को तैयार युवाओं के लिए पिछले कुछ वर्षों में अमरीका, यूरोप, कनाडा में अपार अवसर पैदा हुए हैं। काबिले तारीफ है कि आम आदमी पार्टी (आप) की भगवंत मान सरकार ने पंजाब से ‘ब्रेन ड्रेन’ रोकने के लिए राज्य में ही रोजगार के नए अवसर पैदा करने की दिशा में प्रयास शुरू किए हैं, पर इसमें अभी समय लगेगा।

वर्तमान में विदेशों में नौकरियों के अपार अवसरों को देखते हुए समय की मांग है कि ‘आप’ सरकार पंजाबी युवाओं को विकसित देशों की वर्कफोर्स का हिस्सा बनाने के लिए सही नीति अपनाए। विदेशों में ट्रक-कैब ड्राइवरों, कंस्ट्रक्शन कामगारों, खेत मजदूरों, आई.टी. पेशेवरों, रसोइयों, प्लंबर, बढ़ई, स्वास्थ्य कर्मचारियों, रिटेल स्टोर, होटल और रेस्तरां में कामगारों की भारी कमी का फायदा हमारे बेरोजगार युवा उठा सकते हैं।

इन देशों में संभावनाएं
अमरीका : अमरीका की बड़ी आबादी तेजी से ढलती उम्र के पड़ाव पर है। वर्ष 2030 तक यहां 65 लाख से अधिक कुशल कामगारों की कमी होने की उम्मीद है, जिससे यहां की अर्थव्यवस्था को करीब 1.748 ट्रिलियन डॉलर के राजस्व का नुक्सान हो सकता है। अमरीका के चैंबर ऑफ कॉमर्स के मुताबिक ट्रांसपोर्ट, हैल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, मैन्युफैक्चरिंग, होलसेल व रिटेल ट्रेड जैसे सैक्टरों में रोजगार के अपार अवसर हैं। कंज्यूमर गुड्स मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में 55 प्रतिशत कामगारों की कमी है। होलसेल व रिटेल ट्रेड कारोबार में 70 प्रतिशत, फाइनांशियल सॢवसिज में 20 प्रतिशत और हॉस्पिटैलिटी सैक्टर में 35 प्रतिशत कामगारों की कमी है। 

यूरोप :यहां वर्तमान में 1.43 करोड़ कामगारों की कमी के कारण अर्थव्यवस्था को 1.906 ट्रिलियन डॉलर के राजस्व का नुक्सान हुआ है। यूरोपियन कमीशन का अनुमान है कि कामगारों के इमीग्रेशन के बिना यूरोपीय संघ (ई.यू.) में वर्ष 2030 तक 9.60 करोड़ कामगारों की कमी हो जाएगी, जो जर्मनी की वर्तमान जनसंख्या से भी अधिक है। यूरोप में फाइनैंशियल और बिजनैस सॢवस सैक्टर में प्रतिभाशाली कुशल कामगारों की कमी के कारण 2030 तक यूरोपीय संघ के देशों की अर्थव्यवस्था को 1.323 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का नुक्सान हो सकता है। 24 लाख कामगारों की कमी का सामना करने वाले जर्मनी मेें 2030 तक एक करोड़ कुशल कामगारों की कमी हो सकती है, जिससे यहां की अर्थव्यवस्था को 77.93 बिलियन डॉलर का नुक्सान संभावित है। 

जापान : मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में अपना स्थान बनाए रखने के लिए संघर्षरत जापान पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि 2030 तक कामगारों की कमी के कारण जापान की अर्थव्यवस्था को 194.61 बिलियन अमरीकी डॉलर राजस्व का नुक्सान हो सकता है। जापान की तेजी से गिरती जन्म दर और इसके कड़े इमीग्रेशन नियमों के चलते यहां वर्कफोर्स तेजी से घट रही है।

कनाडा : यहां 55 वर्ष से अधिक उम्र के कामगारों के बदले पर्याप्त युवा कामगार नहीं हैं। कोरोना महामारी के दौरान भारी संख्या में काम से वंचित हुए कामगार सरकार से भत्ता पा रहे हैं और दोबारा काम पर लौटने के इच्छुक नहीं। इन हालात में युवा कामगारों के लिए रोजगार के अपार अवसर हैं। यहां ट्रक ट्रांसपोर्ट से लेकर होटल और फूड सॢवस सैक्टर में रोजगार की अपार संभावना है।

समय की मांग : नई केंद्रीय शिक्षा नीति के तहत युवाओं को स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही आईलैट्स और हुनर के हथियार से लैस करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को प्रयास तेज करने चाहिएं। स्किल कोर्सेज के मानकीकरण और प्रमाणन को अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक मानकों के मुताबिक बनाए जाने की जरूरत है। विदेश मंत्रालय का ओवरसीज एम्प्लायमैंट डिविजन विदेशों में नौकरी चाहने वालों की परेशानी मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाए। बेरोजगार युवाओं के लिए विकसित देशों में रोजगार पाने का यह मौका हाथ से नहीं जाना चाहिए।
(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एंव प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल


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