भारत-अमरीका संबंधों में ‘कैसे होंगे नए समीकरण’

punjabkesari.in Friday, Nov 13, 2020 - 03:38 AM (IST)

व्हाइट हाऊस के लिए 2020 की दौड़ में डैमोक्रेट जोसेफ रोबीनेट बाइडेन तथा उनकी सहयोगी कमला देवी हैरिस  की शानदार सफलता से विश्व के सबसे प्राचीन लोकतंत्र में एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। बाइडेन अमरीका के 46वें राष्ट्रपति होंगे। उन्होंने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रम्प को  निर्णायक रूप से हराया, जो 25 से अधिक वर्षों के दौरान चुनाव हारने वाले वह पहले राष्ट्रपति बन गए हैं।

मैं इसे अमरीका की लोकतांत्रिक शक्ति में एक बड़े उत्साहवर्धन के रूप में देखता हूं। 70 वर्षीय इलैक्टिड प्रैसीडैंट के लिए एक चोटग्रस्त अमरीका ने एक बड़ी लड़ाई लड़ी थी जो कोरोना वायरस महामारी, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी तथा जातीय संबंधों में तनावों से जूझ रहा है। अमरीका ने कोविड-19 के कारण 2.40 लाख से अधिक नागरिक खो दिए हैं। 

बाइडेन तथा हैरिस दोनों ही आगे आने वाले कठिन कार्यों को लेकर सचेत हैं। वे चाहते हैं कि देश एक साथ आए, न कि वहां विभाजन की दरारें पैदा हों। यह वास्तव में उनके लिए एक बड़ी चुनौती है। बाइडेन की प्रतिष्ठा एक पारम्परिक तथा अनुभवी नेता के तौर पर है। वह राजनीति को संबंध बनाने की कार्रवाई के तौर पर देखते हैं। दरअसल उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन लोकतांत्रिक संस्थाओं को खड़ा करने तथा भरोसेमंद देशों के साथ संबंध बनाने के लिए समर्पित किया है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ट्रम्प के कुप्रशासन में सुधार करना तथा कोविड संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं, आर्थिक मंदी, युवाओं में बेरोजगारी, जातीय अन्याय तथा जलवायु परिवर्तन से संबंधित अन्य मुद्दों का समाधान करने की होगी। 

बाइडेन ने यह बता दिया है कि उनकी पहली प्राथमिकता कोरोना वायरस को नियंत्रित करने की होगी। उनकी अन्य प्राथमिकता आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए उच्च निवेश पैदा करना होगी जिससे तीव्र आॢथक विकास सुनिश्चित होगा। चुने गए राष्ट्रपति जानते हैं कि वे अमरीका की नई सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था बनाने के लिए कमला हैरिस पर निर्भर हो सकते हैं। 

उप राष्ट्रपति का पद हासिल करने वाली कमला हैरिस ऐसी पहली महिला तथा पहली अश्वेत महिला बन गई हैं। यह जातिवादी भेदभाव के विनाशकारी इतिहास वाले एक देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। हर मायने में हैरिस का जातीय अन्याय तथा मानवाधिकारों के मुद्दों के खिलाफ एक संघर्ष भरा करियर रहा है। उन्होंने बिना थके घरेलू हिंसा तथा बाल शोषण के मामलों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। अपने चुनाव प्रचार के दौरान कमला आमतौर पर अपनी मां श्यामला  गोपालन की बात करती थीं, वक्ष कैंसर पर शोध करने वाली, जिनका 2009 में निधन हो गया था। इसके अलावा  अपने श्वेत तथा यहूदी पति दोग्लास एमहॉफ की भी जिन्होंने अपने तौर पर पहले ‘सैकंड जैंटलमैन’ के तौर पर इतिहास में जगह बनाई है। 

यहां यह याद रखना जरूरी है कि कैसे हजारों मील दूर तमिलनाडु के थिरूवरूर जिले के उनके प्राचीन गांव थुलासेंथिपुरम में ग्रामीणों ने उनकी जीत का जश्न मनाया। उनकी सफलता के लिए उन्होंने देवी का धन्यवाद करने हेतु मंदिर में विशेष पूजा की। जो बाइडेन-कमला हैरिस युग निवर्तमान राष्ट्रपति के विभाजनकारी एजैंडे को बदलना सुनिश्चित करेगा जो उनके 4 वर्षों की राजनीति की विशेषता रही है। इसके भारत के साथ-साथ अमरीकी भारतीयों के लिए बहुत मायने होंगे। 

यह कहा जा सकता है कि बाइडेन प्रशासन लगभग 1.10 करोड़ अदस्तावेजी प्रवासियों के लिए एक नया रोडमैप उपलब्ध करवाएगा जिनमें 5 लाख से अधिक भारत से हैं। उनकी योजना उच्च कुशलता वीजों की संख्या में वृद्धि करने की भी है जिनमें एच-1 बी वीजा शामिल है। इसके अतिरिक्त रोजगार की सीमा को भी समाप्त किया जा सकता है। ऐसी आशा की जाती है कि वह एच-1 बी वीजा धारकों की पत्नियों अथवा पतियों को भी वर्क परमिट देने की योजना बना रहे हैं जिसने अमरीका में रह रहे बड़ी संख्या में भारतीय परिवारों पर विपरीत असर डाला है। 

बाइडेन पक्ष की ओर से जारी नीति दस्तावेज में स्पष्ट कहा गया है कि उनका प्रशासन परिवार आधारित प्रवास का समर्थन करेगा और अमरीकी प्रवास प्रणाली के केेंद्रीय नियम के तौर पर परिवार के एकीकरण को संरक्षित करेगा। बाइडेन के राष्ट्रपति काल में इस नई नीति से अधिक भारतीयों के लिए खुशी की और क्या बात हो सकती है। दरअसल अमरीका में सत्ता परिवर्तन का भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्व है। स्टाक मार्कीट्स के अतिरिक्त भारत-अमरीका संबंधों में एक रणनीतिक बदलाव निश्चित है। अमरीका उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत चालू खाते के अधिशेष का मजा उठा रहा है। कहने की जरूरत नहीं कि भारत अमरीका से आयात के मुकाबले उसको अधिक निर्यात करता है। 

निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निजी समीकरण थे। संतोषजनक बात यह है कि मोदी ने बाइडेन प्रशासन के साथ भारत के संबंध और मजबूत करने के लिए पहले ही सकारात्मक नजरिया पेश किया है। हालांकि बहुत कुछ बाइडेन के चीन के प्रति नजरिए पर निर्भर करेगा। यह कोई रहस्य नहीं कि ट्रम्प ने चीन के प्रति कड़ी नीतियां अपनाईं जिसका लाभ मोदी के भारत को हुआ। मगर महत्वपूर्ण प्रश्र यह है कि क्या बाइडेन  चीन के प्रति अधिक मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हैं? फिलहाल हम इस बारे में सुनिश्चित नहीं हो सकते। हम इस बारे में भी निश्चित नहीं हो सकते कि बाइडेन-कमला प्रशासन कश्मीर, मानवाधिकारों तथा नागरिक संशोधन कानूनों आदि मुद्दों को लेकर क्या रुख अपनाता है। 

हम जानते हैं कि बाइडेन-हैरिस कैंपेन में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत को कश्मीर में मानवाधिकार तथा राजनीतिक अधिकार बहाल करने चाहिएं। जब इस बारे में पूूछा गया तो कथित रूप से मिस हैरिस ने कहा था कि हम सब देख रहे हैं। जहां तक नई दिल्ली की बात है तो इसके सामने सर्वश्रेष्ठ  की आशा करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है। बाइडेन-हैरिस शासन के दौरान भारत के नीति निर्माताओं के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दों पर अमरीकी नीतियों में हो रहे बदलाव तथा व्यवहार पर करीबी नजर रखने की जरूरत है।-हरि जयसिंह
 


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