जब्री धर्म परिवर्तन के कारण पाकिस्तान में हिन्दू-सिखों की स्थिति बदतर

punjabkesari.in Wednesday, Nov 03, 2021 - 03:44 AM (IST)

पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों की ज्यादतियों तथा इमरान खान सरकार की नाकामी के कारण अल्पसंख्यकों के तेजी से हो रहे जब्री धर्म परिवर्तन के कारण नरक जैसा जीवन व्यतीत कर रहे हिंदू-सिख भाईचारे का अस्तित्व अब समाप्त होने के किनारे पर है। वैश्विक भाईचारे ने इस मामले की ओर ध्यान न दिया तो यह कहने में कोई संकोच नहीं कि पाकिस्तान के ङ्क्षहदू भाईचारे की स्थिति ‘तुम्हारी दास्तान भी न होगी दास्तानों में’ की बन जाएगी। 

धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थक तथा शांति पसंद शहरियों को यह जानकर निराशा तथा हैरानी होगी कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जिला हरूनाबाद के शहर ‘मिट्ठी’, जहां बहुसंख्यक हिंदू आबादी के कारण गौहत्या न के बराबर है, वहां अब मंदिर में घंटी बजाने वाला भी निकट भविष्य में मिलने की आशा नहीं रही क्योंकि इस नगर में एक सप्ताह पहले 3700 और साथ ही जिला जैकबाबाद के अंतर्गत आते गांव सगर में 5700 हिंदुओं को सामूहिक रूप में इस्लाम में प्रवेश करवाया गया। यद्यपि इस संबंधी किसी भी मीडिया हाऊस ने कोई रिपोॄटग नहीं की। कट्टरपंथियों को बहुसंख्यकों से संबंधित राजनीतिक पक्षों तथा आतंकी धड़ों की ओर से मिल रहे संरक्षण के कारण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बेबस और लाचार दिखाई देते हैं जिस कारण अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने में वह पूरी तरह से नाकाम हो चुके हैं। 

पाकिस्तान में 18 वर्ष से कम उम्र वालों के धर्म परिवर्तन को गैर-कानूनी ठहराने के उद्देश्य से बनाए गए ‘धर्म परिवर्तन विरोधी कानून विधेयक’ को विशेष संसदीय समिति ने 13 अक्तूबर को मौलवियों, कट्टरपंथियों तथा धार्मिक मामलों बारे मंत्रालय के विरोध के कारण रद्द करते हुए अल्पसंख्यकों को पूरी तरह से दर-किनार कर दिया है। इससे अल्पसंख्यकों के मानवीय तथा धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर झूठा राग अलापने वाले पाकिस्तान की सारी सच्चाई सामने आ गई है। उक्त संसदीय बैठक के दौरान अल्पसंख्यक भाईचारे से संबंधित हिंदू-सिख सांसदों का पक्ष तो सुना नहीं गया मगर सिंध में जब्री धर्म परिवर्तन के लिए दोषी मौलवी को विशेष तौर पर ब्रीफिंग के लिए बुलाया गया। 

इस अवसर पर पाकिस्तान के धार्मिक मामलों संबंधी मंत्री साहिबजादा नूरुल हक कादरी, राज्यमंत्री अली मोहम्मद खान, जमाते-इस्लामी के सीनेटर मुश्ताक अहमद तथा मौलवी फैज अहमद के लिए तो न केवल माहौल ‘नागवार’ है बल्कि इस विषय पर कानून बनाना इस्लाम तथा शरियत के विरुद्ध है। हिंदू-सिखों की सुरक्षा को लेकर किसी तरह का बिल 2013 तथा 2016 में सिंध प्रांत की असैंबली में लाया गया, फिर 2019 में तो इसे पास तक किया गया मगर तुरन्त बाद ही राज्य के गवर्नर द्वारा यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि इस्लाम में धर्म परिवर्तन करवाना गुनाह नहीं बल्कि सवाब (पुण्य) का कार्य है। 

धर्म परिवर्तन के लिए अपहरण, बलात्कार, ब्लैकमेल, धोखाधड़ी, हिंसा, मानव तस्करी, फिरौती, जान से मारने की धमकियों के अलावा मौलवियों द्वारा निकाह के दौरान बड़ी कमाई, जांच की बजाय रिश्वत लेने वाले भ्रष्ट पुलिस अधिकारी तथा जन प्रतिनिधियों द्वारा चुप्पी धारने से ये समझते हैं कि वे इस्लाम की ‘सेवा’ कर रहे हैं। गत वर्ष अगस्त में ननकाना साहिब के गुरुद्वारा तम्बू साहिब के ग्रंथी की नाबालिग लड़की दलजीत कौर को अगवा कर जब्री धर्म परिवर्तन करवा कर एक मुस्लिम मोहम्मद हसन के साथ निकाह करवाए जाने के मामले का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संज्ञान लिया गया जिससे इमरान खान की बहुत किरकिरी हुई। सितम्बर में हसन अब्दाल के गुरुद्वारा पंजा साहिब के ग्रंथी प्रीतम सिंह की नाबालिग बेटी बुलबुल कौर के अपहरण के समाचार ने एक बार फिर सिख भाईचारे को हिलाकर रख दिया। 

पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकत्र्ता जैनब बलोच ने अपहृत हुई 2 नाबालिग ङ्क्षहदू लड़कियों रीना तथा रवीना (जुलाई 2019) का एक वीडियो ट्वीट शेयर किया जिसमें एक लड़की रोते हुए दुखी मन से बता रही है कि जिन लड़कों के साथ उनका निकाह करवाया गया वे उनको तथा उनके घर वालों को मारते-पीटते हैं। दिसम्बर 2019 में पंजाब के डेरा गाजी खान से 14  वर्षीय एक ईसाई लड़की हुमा युसूफ को अगवा करके मुस्लिम लड़़के के साथ निकाह करवा दिया गया।

जून 2020 में सिंध के जैकबाबाद निवासी ङ्क्षहदू लड़की रेशमा को अगवा करके जब्री धर्म परिवर्तन के बाद अगवाकार वजीर हुसैन के साथ निकाह कर दिया गया। सितम्बर 2021 में सिंध प्रांत में 3 नाबालिग हिंदू लड़कियां अगवा कर ली गईं। ईमाना मेघवार को जिला कुनीरी से अगवा करके उससे तीन महीने तक कुछ लोगों द्वारा सामूहिक बलात्कार किए जाने का मामला अदालत में पहुंचने से उसका धर्मपरिवर्तन करवा कर एक मुस्लिम व्यक्ति से निकाह कर दिया गया। 

पाकिस्तानी मानवाधिकार कमिशन की रिपोर्ट बताती है कि हर साल अल्पसंख्यक वर्ग की करीब 1000  लड़कियों को जब्री मुसलमान बनाया जाता है। पीड़ितों की उम्र 12 से 25 साल की होती है। मानवाधिकार संस्था के मुताबिक ये आंकड़े ज्यादा भी हो सकते हैं क्योंकि अधिकतर मामलों को पुलिस दर्ज ही नहीं करती या अधिकतर लड़कियां गरीब परिवारों से संबंधित होने के कारण उनकी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं होता। पाकिस्तान में दलित हिंदुओं के साथ इस हद तक भेदभाव किया जाता है कि उनके इस्तेमाल के लिए आज भी होटलों, रेस्तरांओं तथा ढाबों में अलग बर्तन ‘सुनहरी कप’ हैं। अल्पसंख्यकों के प्रति ऐसे वातावरण में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। वहां सामाजिक, धार्मिक ही नहीं राजनीतिक माहौल भी दमनकारी हो चुका है। यही पाकिस्तान का तालिबानीकरण है जिस बारे समय-समय पर चेतावनी दी जाती रही है।-प्रो. सरचांद सिंह खियाला


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