14 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है विश्व हिंदी दिवस, ये है खास वजह

punjabkesari.in Tuesday, Sep 14, 2021 - 11:08 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में विश्व हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाते हैं क्योंकि इसी दिन 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा बनाया था। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदी वास्तव में भारत की राजभाषा है भी या नहीं? यदि हिंदी राजभाषा होती तो कम से कम भारत का राज-काज तो हिंदी भाषा में चलता, लेकिन आजकल राज-काज तो क्या, घर का काम-काज भी हिंदी में नहीं चलता। 

अंग्रेजों की गुलामी के दिनों में फिर भी ङ्क्षहदी का स्थान ऊंचा था, लेकिन आज हिंदी की हैसियत ऐसी हो गई है जैसी किसी अछूत या दलित की होती है। संसद का कोई कानून ङ्क्षहदी में नहीं बनता, सर्वोच्च न्यायालय का कोई फैसला या बहस ङ्क्षहदी में नहीं होती, सरकारी काम-काज अंग्रेजी में होता है। सारे विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी अनिवार्य है। ज्यादातर विश्वविद्यालयों में पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी है। छोटे-छोटे बच्चों पर भी अंग्रेजी इस तरह लदी होती है, जैसे हिरन पर घास लाद दी गई हो। 

बच्चे अपने मां-बाप को भी आजकल म मी-डैडी कहने लगे हैं। माताजी-पिताजी शब्दों का लोप हो चुका है। ‘जी’ शब्द उनके संबोधन से हट चुका है। भाषा से मिलने वाले संस्कार लुप्त होते जा रहे हैं। हिंदी अखबारों और टी.वी. चैनलों को अंग्रेजी शब्दों के बोझ ने लंगड़ा कर दिया है। हर साल जो करोड़ों बच्चे अनुत्तीर्ण होते हैं, उनमें सबसे बड़ी सं या अंग्रेजी में अनुत्तीर्ण होने वालों की है। भारत के बाजारों में चमचमाते अंग्रेजी के नामपटों को देखकर लगता है कि भारत अभी भी अंग्रेजों का ही गुलाम है। अगर आप बैंकों में जाकर देखें तो मालूम पड़ेगा कि लगभग सभी खातेदारों के दस्तखत अंग्रेजी में हैं। 

आपका नाम हिंदी में है, फिर हस्ताक्षर अंग्रेजी में क्यों हैं? यदि नकल ही करनी है तो पूरी कीजिए। अपना नाम भी आप चॢचल या जॉनसन क्यों नहीं रखते? नकल भी अधूरी? ङ्क्षहदी कभी राजभाषा बन पाएगी या नहीं, कहा नहीं जा सकता, लेकिन वह लोकभाषा बनी रहे, यह बहुत जरूरी है। राजभाषा वह तभी बनेगी, जब हमारे नेतागण नौकरशाहों की नौकरी करना बंद करेंगे। 

हमारे नेता वोट और नोट में ही उलझे रहते हैं। उन्हें शासन चलाने की फुर्सत ही कहां होती है? यदि देश में कोई सच्चा लोकतंत्र लाना चाहे तो वह स्वभाषा के बिना नहीं लाया जा सकता। दुनिया के जितने भी शक्तिशाली और समृद्ध राष्ट्र हैं, उनमें विदेशी भाषाओं का इस्तेमाल सिर्फ विदेश व्यापार, कूटनीति और शोध-कार्य के लिए होता है, लेकिन भारत में आपको कोई भी महत्वपूर्ण काम करना है या करवाना है तो वह हिंदी के माध्यम से नहीं हो सकता। हिंदी दिवस इसीलिए एक औपचारिकता बनकर रह गया है।-डॉ.वेदप्रताप वैदिक


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