शांतिपूर्ण सहअस्तित्व वाले समाज को बांट रहे नफरत भरे भाषण

punjabkesari.in Sunday, Apr 17, 2022 - 04:41 AM (IST)

हिजाब, हलाल तथा अजान को लेकर विवाद कर्नाटक राज्य को झकझोरे हुए हैं। उन्हें 2023 में राज्य के चुनावों से पहले कर्नाटक के लोगों को 2 हिस्सों, हिंदू तथा मुसलमान, में  बांटने के लिए एक सावधानीपूर्वक बनाए गए अभियान के हिस्से के तौर पर तैयार किया गया है। 

-हिजाब एक पहरावा है जहां लड़की/महिला घर से बाहर निकलते समय अपना सिर ढंक लेती है। उत्तर भारत में हिंदू महिलाएं, सिख महिलाएं तथा ईसाई ननें तथा कुछ अन्य (सिख पुरुषों सहित) भी अपना सिर ढंक कर रखते हैं। 

-हलाल वह मांस है जिसे इस्लामिक कानूनों के अनुसार जानवरों तथा पोल्ट्री से पशुओं का वध करके प्राप्त किया जाता है। इसमें ग्रीवा शिरा या हवा की नाली को काट कर सारा खून बहा दिया जाता है। अन्य धर्मों के भोजन बनाने के लिए अपने नियम हैं। 

-अजान मस्जिदों से नमाज के लिए दिन में पांच बार किया जाने वाला आह्वान है जो आमतौर पर लाऊडस्पीकरों के माध्यम से होता है। हिंदू तथा ईसाई प्रार्थना स्थलों में घंटा बजाया जाता है। हिंदू धार्मिक उत्सवों में आमतौर पर श्लोकों का उच्चारण या धार्मिक संगीत बजाया जाता है जिसे लाऊडस्पीकरों के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। 

कई शताब्दियों से सह-अस्तित्व
हिजाब, हलाल तथा अजान नई प्रथाएं नहीं हैं। इस्लाम जब से भारत में आया है वे इसका हिस्सा रही हैं। कर्नाटक के लोगों (तथा पुराने मैसूर राजवंश) ने सदियों से इन प्रथाओं को स्वीकार किया है, किसी ने भी इन पर आपत्ति नहीं की और न ही मुसलमानों ने हिंदू धार्मिक प्रथाओं के लिए आपत्ति जताई। संक्षेप में कहें तो हिंदू,मुसलमान तथा इसाईयों के साथ-साथ अन्य धर्मों के अनुयायी भी एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्वक रहते आए हैं, जब तक कि भाजपा ने कर्नाटक में प्रवेश नहीं किया। 

भाजपा ने गठबंधन में या अकेले कुछ कार्यकालों के लिए कर्नाटक पर शासन किया है। हालिया वर्षों में इसने अन्य पाॢटयों से दल-बदल करवा कर विधायकों को शामिल कर शासन किया है-इस प्रयास को ‘आप्रेशन लोटस’ का नाम दिया गया। भाजपा राज्य में 2023 में चुनावों का सामना करेगी। इसकी सरकारों ने कोई कारगुजारी नहीं दिखाई तथा कर्नाटक में इसकी स्थिति काफी डांवाडोल है। विपक्षी दलों ने ‘आप्रेशन लोटस’ का मुकाबला करने के लिए सुरक्षात्मक दीवारें बनाना सीख लिया है। इसलिए जरूरत है एक अन्य कथानक तैयार करने की जो मतदाताओं का ध्रुवीकरण तथा अधिकांश हिंदू मतदाताओं को आकर्षित कर सके। भाजपा के पास पर्याप्त रूप से ‘बुरी समझ’ है जो राज्य के अनुरूप रणनीतियां बनाने में सक्षम हैं। ऐसी ही एक रणनीति है कर्नाटक में भोजन, परिधान तथा नमाज को लेकर जानबूझ कर विवाद  खड़े करने का प्रयास। 

राज्य सरकार द्वारा स्कूलों तथा कालेजों में अचानक हिजाब के फरमान  को अदालत में चुनौती दी गई है। कर्नाटक हाईकोर्ट की एक पूर्ण पीठ ने प्रश्र किया कि ‘क्या हिजाब पहनना एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है’ तथा व्यवस्था दी कि ऐसा नहीं है। यह प्रश्र अप्रासंगिक था। एकमात्र प्रासंगिक प्रश्र था कि क्या राज्य के पास हिजाब को लेकर फरमान सुनाने और इस तरह से  मुस्लिम छात्राओं की निजता तथा उनके शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार का उल्लंघन करने की ताकत थी? सुप्रीमकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है तथा ऐसी आशा की जाती है कि वास्तविक मुद्दों पर ध्यान दिया  और उनका समाधान किया जाएगा। 

नफरतपूर्ण टिप्पणियां
इस तरह के विवाद नफरत भरे भाषणों तथा टिप्पणियों के लिए जमीन तैयार करते हैं। दोनों पक्षों की ओर से ऐसे नफरतपूर्ण भाषण बहुतायत में हैं, यद्यपि बहुत से हालिया मामलों में ऐसा करने वाले ङ्क्षहदू कट्टरपंथी थे। दुख की बात है कि कर्नाटक के कुछ प्रमुख नागरिकों ने आवाज उठाई, उल्लेखनीय अपवादों में से इतिहासकार रामचंद्र गुहा तथा उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ थे। नफरतपूर्ण भाषणों के वाहकों ने अपना गुस्सा दोनों पर उतारा। 

नफरतपूर्ण भाषणों ने कुछ राज्यों में सभी सीमाएं लांघ दीं, विशेषकर उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड में। इसे बार-बार दोहराने वाले हैं येती नरसिंघानंद, जो डासना देवी मंदिर में पुजारी के तौर पर काम करते हैं। गत वर्ष हरिद्वार में एक ङ्क्षहदू धार्मिक एकत्र के दौरान उन्होंने मुसलमान महिलाओं के खिलाफ अपमानजक टिप्पणियां की थीं, गिरफ्तार कर लिए गए तथा कुछ सप्ताहों बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। 3 अप्रैल 2022 को उन्होंने दिल्ली में एक तथाकथित ‘हिंदू महापंचायत’ में एक भाषण के दौरान कहा कि अपनी बहनों तथा बेटियों को बचाने के लिए हथियार उठा लो। उन्होंने जो भयानक भविष्यवाणियां कीं उनमें से एक थी कि 2029 या 2034 अथवा 2039 में कोई मुसलमान भारत का प्रधानमंत्री होगा। पुलिस ने एफ.आई.आर. दर्ज की लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया अथवा न ही उनकी जमानत रद्द करवाने का प्रयास किया गया। 

एक अन्य खौफनाक उदाहरण एक स्वयंभू धार्मिक नेता महंत बजरंग मुनि के मामले का है। 2 अप्रैल 2022 को एक वीडियो में उन्हें हिंदी में एक एकत्र को संबोधित करते दिखाया गया। उन्होंने कहा, जब भीड़ उनकी जय-जयकार कर रही थी, की यदि आपके समुदाय में से कोई भी क्षेत्र में किसी लड़की को परेशान करता है तो मैं तुम्हारे घरों से तुम्हारी बेटियों को उठा लूंगा और उनसे दुष्कर्म करूंगा। उनका निशाना कौन था यह सर्वविदित है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की। उन्हें 11 दिन बाद गिरफ्तार किया गया। 

असहिष्णुता को सहन करना
विडम्बना है कि हिंसा, असहिष्णुता तथा नफरत की कार्रवाइयां उस दिन की गईं जिसे भगवान राम के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम तथा सच्चाई के प्रतीक हैं। इस तरह के कार्यों तथा वक्तव्यों को खारिज नहीं किया जा सकता। ऐसे लोगों को भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का समर्थन प्राप्त है, जो भारत में हिंदुओं को एकजुट करने तथा इसका विस्तार करने के लिए दृढ़ संकल्प हैं, जो अब हिंदी भाषी क्षेत्रों में मौजूद हैं। विदेशी मामलों में प्रभावशाली लेखन के लिए जाने जाते हरतोष सिंह बल का कहना है कि 40 करोड़ से अधिक लोग या तो हिंदूवाद को नहीं मानते या उस तरह के हिंदूवाद का अनुसरण नहीं करते जिसे संघ सर्वोच्च मानता है।-पी. चिदम्बरम


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