युद्ध में फंसे भारतीयों की मदद को बढ़े हाथ, लंगर सेवा में गुरु की फौज

punjabkesari.in Friday, Mar 04, 2022 - 05:18 AM (IST)

सिख धर्म का बुनियादी सिद्धांत ‘सरबत दा भला’ पर आधारित है। इसमें बिना किसी भेदभाव के सभी की सहायता करने का संकल्प है। सिख गुरुओं के इसी उपदेश को आगे बढ़ाते हुए सिख धर्म से जुड़े संगठन अब रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के चलते यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों एवं छात्रों की मदद के लिए आगे आए हैं। कुछ सिख संगठन वहां पहुंच भी गए हैं और राहत सेवा शुरू भी कर दी है। दिल्ली के सिखों की नुमाइंदगी करने वाली दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भारत सरकार की मदद से यूक्रेन की सीमा पर सेवा करने जा रही है। 

कमेटी ने पोलैंड और चैकोस्लोवाकिया की योजना बनाई है। पहले चरण में पोलैंड में लंगर लगाने एवं मैडीकल सेवा सहित अन्य मदद करने की केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है। कमेटी ने इसके लिए बाकायदा कुल 20 लोगों की 2 टीमें तैयार की हैं, जो यूक्रेन की सीमा पर जाकर लंगर सेवा करेंगी। कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका की अगुवाई में कमेटी पदाधिकारी, कर्मचारी और सेवादार राहत सामग्री और जरूरी मैडीकल सामग्री के साथ जल्द दिल्ली से कूच करेंगे। 

1984 सिख दंगा पीड़ितों को राहत जारी रहेगी: केंद्र सरकार ने प्रवासियों और स्वदेश वापस लौटने वाले लोगों के लिए राहत और पुनर्वास की समग्र योजना के तहत 7 मौजूदा उप-योजनाओं को वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 तक की अवधि के लिए 1,452 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ जारी रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी से केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय के माध्यम से इस समग्र योजना के तहत मिलने वाली सहायता का लाभार्थियों तक पहुंचते रहना सुनिश्चित होगा। 

इसमें पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर और छंब इलाकों के विस्थापित परिवारों को राहत और पुनर्वास, श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों को राहत सहायता, त्रिपुरा में राहत शिविरों में रह रहे ब्रू लोगों को राहत सहायता, 1984 के सिख-विरोधी दंगा पीड़ितों को बढ़ी हुई राहत, आतंकवाद, उग्रवाद, सांप्रदायिक एवं वामपंथी उग्रवाद की हिंसा और सीमा पार से भारतीय क्षेत्र में गोलीबारी एवं बारूदी सुरंग एवं आई.ई.डी. विस्फोटों के पीड़ितों सहित आतंकवादी हिंसा से प्रभावित असैनिक पीड़ितों के परिवारों को वित्तीय सहायता और अन्य सुविधाएं, केन्द्रीय तिब्बती राहत समिति (सी.टी.आर.सी.) को सहायता अनुदान, कूचबिहार जिले में स्थित 51 पूर्ववर्ती बंगलादेशी एन्क्लेव में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए और बंगलादेश में पूर्ववर्ती भारतीय एन्क्लेव से वापस लौटे 922 लोगों के पुनर्वास के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को सहायता अनुदान भी शामिल है। 

गुरुद्वारा कमेटी की नई सत्ता पर हो सकता है संकट : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में नए प्रबंधन के खिलाफ  विपक्षी दलों ने कुछ दिनों पहले हुए आंतरिक चुनाव एवं जनरल हाऊस के दिन हुए हंगामे, बवाल की करीब 16 घंटे की वीडियो रिकाॄडग अदालत को सौंपी है। 7 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस रेखा पल्ली की कोर्ट में इसकी सुनवाई है। विपक्ष की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस दौरान अदालत सभी प्रमुख घटनाक्रमों वाले वीडियो देखेगी, जिन पर सवाल उठाया गया है। विपक्ष के दावों पर यकीन करें तो दोबारा आंतरिक चुनाव होना तय है। लिहाजा, वर्तमान कमेटी के नए प्रबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि, सत्ताधारी दल के पास पर्याप्त सदस्यों का बहुमत है। 

लाल किले पर मनाया जाएगा दिल्ली फतेह दिवस :  दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से बड़े स्तर पर दिल्ली फतेह दिवस का आयोजन लाल किले पर 6-7 अप्रैल को किया जाएगा। इस दौरान विशेष कीर्तन दरबार, खालसाई खेल गतका का आयोजन होगा। इसके लिए लाल किला से लेकर मिठाई पुल तक एक जरनैली मार्च भी निकाला जाएगा। इस मार्च में जत्थेदार साहिब, संत समाज व अन्य पंथक जत्थेबंदियां भी शामिल होंगी। कहते हैं कि 1783 ई. में बाबा बघेल सिंह, बाबा जस्सा सिंह आहलूवालिया, बाबा जस्सा सिंह रामगढिय़ा व अन्य सिख जरनैलों के नेतृत्व में सिंहों ने मुगल शासक सम्राट शाह आलम-द्वितीय को हराकर दिल्ली पर विजय प्राप्त की थी। इसके बाद जरनैलों ने  लाल किले पर केसरी निशान साहिब फहराया।

यह एक ऐतिहासिक घटना है और आज भी उसकी निशानियां दिल्ली में मौजूद हैं। तीस हजारी अदालत का नाम सिख फौज की 30,000 मजबूत सेना के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस स्थल पर डेरा डाला था। इसी प्रकार मोरी गेट का नाम लाल किले में प्रवेश करने के लिए सिख सैनिक दिल्ली की दीवार पर छेद कर दिल्ली में दाखिल हुए थे, जिसके बाद इसका नाम मोरी गेट पड़ा। इसके अलावा मिठाई पुल वह स्थान है जहां सिख सैनिक जनता के बीच मिठाइयां बांटते थे।-दिल्ली की सिख सियासत सुनील पांडेय


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