गुजरात : विजेता पहले ही तय, सवाल दूसरे नंबर का

punjabkesari.in Friday, Dec 02, 2022 - 05:44 AM (IST)

राजकोट के पास गोंडल शहर में एक मुस्लिम व्यक्ति प्रदूषित नदी के किनारे खड़े होकर एक लंगड़े व्यक्ति की नकल करने के लिए अपना एक पैर उठाता है ‘कांग्रेस लूला लंगड़ा हो गई’। वह सड़क के दूसरी ओर एक मुस्लिम कसाई की दुकान की ओर इशारा करता है जिसके ऊपर भारतीय जनता पार्टी का एक बड़ा झंडा फहरा रहा है। आप नहीं जान पाएंगे कि यह एक कसाई की दुकान थी। जब तक कि आप इसकी तलाश नहीं कर रहे थे। 

नकल करने वाले ने कहा कि वह 10 साल पहले भाजपा में शामिल हुआ था। तब से उसने किसी के भी उत्पीडऩ का सामना करना बंद कर दिया। अब भाजपा का झंडा फहराना नहीं चाहता। इस चुनाव में वह कहता है कि वह आम आदमी पार्टी ‘आप’ के लिए वोट दे रहा है। 

सच कहें तो गोंडल में कई मुस्लिमों ने कहा है कि वे भाजपा को वोट दे रहे हैं क्योंकि उनके स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। वह उनसे अपने काम करवाते हैं। इसमें कोई शंका नहीं कि इस सीट को भाजपा अच्छी तरह से जीतती है। सौराष्ट्र में गोंडल विशिष्ट सीट नहीं है। सौराष्ट्र अन्य शहरों की तुलना में अधिक ग्रामीण, कम विकसित और कांग्रेस पार्टी के प्रति दयालु है। सौराष्ट्र में कुछ दलित और मुसलमान कांग्रेस से ‘आप’ में शिफ्ट हो गए हैं। इस चुनाव की कम रिपोर्ट की गई कहानी है। शहरी सूरत पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित है क्योंकि ‘आप’ ने पहले वहां नगर निगम की कुछ सीटें जीती थीं। 

सबसे तेज आवाजें: ऐसा नहीं है कि मीडिया और राजनीतिक पंडित सौराष्ट्र की ओर नहीं देख रहे हैं। लेकिन अगर आप इस क्षेत्र में राजमार्गों की यात्रा करते हैं तो चाय की दुकानों पर इकट्ठे पुरुषों से बात करते हैं तो आप सोचेंगे कि यहां अभी भी भाजपा बनाम कांग्रेस का चुनाव है। इन सार्वजनिक स्थानों पर पटेल जैसे प्रभावशाली समुदायों का कब्जा है जो 100 में से 100 के साथ दृढ़ता से भाजपा के साथ खड़े हैं। वह पहले आपको बताएंगे कि भाजपा सत्ता में लौट रही है और फिर आपको यह बताने के लिए आगे बढ़ेंगे कि आम आदमी पार्टी एक कारक नहीं है। 

थोड़ी देर बाद मैंने उनसे पूछना बंद कर दिया कि चुनाव कौन जीत रहा है? आप ऐसा प्रश्न पूछना मूर्खता समझते हैं। यह चुनाव सरकार को चुनने के लिए नहीं है। यहां भाजपा एक स्थायी प्रतिष्ठान है जो 1995 से बिना किसी रुकावट के सत्ता में है। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री अब देश के प्रधानमंत्री हैं। पूछने लायक एकमात्र प्रश्न यह है कि नंबर 2 कौन है? इससे पहले कभी भी भाजपा के कार्यकत्र्ताओं और समर्थकों ने कांग्रेस के प्रति इतनी दया नहीं दिखाई थी लेकिन यदि आप हाईवे से हट कर जाते हैं, अगर आप आमतौर पर राजनीति पर बात करने के लिए अनिच्छुक मुसलमान से बात करते हैं, अगर आप दलित बस्ती की तलाश में जाते हैं तो आप कांग्रेस से ज्यादा आम आदमी पार्टी के बारे में सुनेंगे। कम से कम सौराष्ट्र में यही सत्य है। 

बदलाव का समय : आम आदमी पार्टी एक समान नागरिक संहिता और मुद्रा नोटों पर धार्मिक छवियों की मांग कर रही है। कोई भी सोच सकता है कि मुसलमान कांग्रेस के साथ रहेंगे। जाम नगर में एक मुस्लिम व्यक्ति ने कहा, ‘‘मैंने आपको मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी कहते नहीं सुना।’’  गन्ने का रस पीते हुए उसने आगे कहा, ‘‘मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए क्योंकि व्यापारियों को राजनीति के बारे में बात नहीं करनी चाहिए लेकिन मैं अभी भी यह कह रहा हूं कि कांग्रेस ने कभी मुसलमानों के लिए बात नहीं की फिर चाहे हमें कितनी भी परेशानी का सामना करना पड़ा हो। कम से कम आम आदमी पार्टी तो भाजपा के खिलाफ खड़ी है।’’ 

गुजरात की राजनीति भाजपा बनाम ‘आप’ में बदल चुकी है : रिलायंस तेल रिफाइनरी के लिए मशहूर तटीय जामनगर में ‘आप’ खंभालिया सीट से प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ रही है। यहां ‘आप’ उम्मीदवार उनके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदन गढ़वी हैं। अहमदाबाद के राजनीतिक पंडित आपको बताएंगे कि वह हार रहे हैं। अगर मुख्यमंत्री उम्मीदवार ही हार रहे हैं तो निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी कांग्रेस से बहुत पीछे तीसरे स्थान पर होगी। वह जोर देकर कहते हैं कि उन्हें अपने गढ़वी समुदाय के अलावा कोई वोट नहीं मिलेगा। इसके अलावा वहां की कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम मैडम एक सशक्त दिग्गज नेता हैं। 

खंभालिया के दौरे पर मैंने एक बार फिर देखा कि मुसलमान और दलित बड़ी संख्या में कांग्रेस से ‘आप’ की ओर जा रहे हैं। मैंने 50-60 अलग-अलग लोगों से बात की। उनमें से 5 ने भी नहीं कहा कि वे कांग्रेस को वोट दे रहे हैं। कुछ ने कहा कि वे विक्रम मैडम को पसंद करते हैं लेकिन बदलाव चाहते हैं। इस सीट पर भाजपा को बढ़त है लेकिन यहां की यात्रा करने पर आपको लग सकता है कि गुजरात की राजनीति पहले ही भाजपा बनाम कांग्रेस से भाजपा बनाम ‘आप’ में बदल चुकी है। आप हर जगह केवल भाजपा के झंडे और पोस्टर देखते हैं जो वास्तव में पैसे और बाहुबल से बनाए गए एक दल के शासन का सबसे स्पष्ट संकेत है। 

बोरिंग चुनाव, दिलचस्प नतीजे :‘आप’ और कांग्रेस दोनों ही राज्यव्यापी अभियान की बजाय कुछ सीटों पर अपने संसाधनों को केंद्रित करते हुए स्थानीय लड़ाई लड़ रही हैं।  वोट शेयर के मामले में यहां तक कि कांग्रेस के मतदाता भी सोचते हैं कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पर बढ़त बना ली है। यहां हर कोई भ्रम को समझता है। विपक्ष के वोटों के बंटने का मतलब होगा कि भाजपा को जैकपॉट मिलने की संभावना है। फिर भी भाजपा समर्थक उस संभावना से खुश नहीं हैं। वे ‘आप’ के उदय को नहीं देखना चाहते। चूंकि विजेता पहले से ही तय है। कई लोग शिकायत करते हैं कि ये चुनाव बोरिंग मतलब उबाऊ है।-शिवम विज 
 


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