‘सेवानिवृत्त’ अग्निवीरों को बसाने में होगी सरकार की अग्नि परीक्षा

punjabkesari.in Thursday, Jun 23, 2022 - 03:49 AM (IST)

भाजपा नीत राजग सरकार की नवीनतम प्रमुख नीतिगत घोषणा जो अग्रिपथ योजना के अंतर्गत 4 वर्षों के अल्पकाल के लिए रक्षाबलों में जवानों की भर्ती से संबंधित हैं, इसके प्रमुख नीति निर्णयों के ही अनुरूप है जिन्हें बिना पर्याप्त चर्चा के लागू किया गया है।

सरकार का नाटकीय घोषणा करने के रुझान का परिणाम गलत ढंग से नोटबंदी तथा जी.एस.टी. लागू करने, अप्रत्याशित तरीके से राष्ट्रव्यापी लॉकडाऊन लागू करना जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था को बहुत नुक्सान पहुंचा, अनुच्छेद 370 को निरस्त करना, जम्मू-कश्मीर का दर्जा घटाकर एक केंद्र शासित क्षेत्र बनाना तथा विवादास्पद कृषि कानून जिन्हें एक वर्ष लम्बे चले विरोध-प्रदर्शनों के बाद वापस लेना पड़ा। 

यहां तक कि 4 वर्षों की कम अवधि के लिए ‘अग्रिवीरों’ की नियुक्ति तथा उनमें से केवल 25 प्रतिशत को अगले 15 वर्षों तक के लिए सेवा में रखने के नवीनतम निर्णय में सरकार ने बिना व्यापक चर्चा तथा खामियां दूर किए बगैर नीति की घोषणा करने में जल्दबाजी दिखाई। यहां तक कि इसके परिणामों का अध्ययन करने के लिए एक पायलट परियोजना हो सकती थी। योजना की घोषणा तथा इसे लागू करने से पहले युवाओं को तैयार करने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किया गया। सशस्त्र बलों में नियुक्ति का सर्वाधिक आकर्षक पहलू इसमें नौकरी की सुरक्षा तथा पैंशन लागू होना है। 

14 जून को योजना से पर्दा उठाने के एक दिन बाद, और यहां तक कि उत्तरी भारत में विरोध-प्रदर्शनों के फूट पडऩे के बावजूद सरकार ने यह घोषणा करने में जल्दबाजी दिखाई कि सेवानिवृत्त ‘अग्रिवीरों’ को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सी.ए.पी.एफ.) तथा असम राइफल्स में भर्ती के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। उसी दिन शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह रिक्रूटों के लिए एक 3 वर्षीय कौशल आधारित कार्यक्रम शुरू करेगा ताकि सेवानिवृत्ति से पहले वे एक डिग्री हासिल कर सकें। यह भी घोषणा की गई कि पहले बैच के लिए भर्ती की आयु में 2 वर्ष की वृद्धि की जाएगी। 

एक दिन बाद सरकार ने घोषणा की कि जब वे सेवा में होंगे तो उन्हें स्किल इंडिया सर्टीफिकेट प्राप्त होंगे। हालांकि ऐसा नहीं लगा कि इन घोषणाओं से प्रदर्शनकारी युवाओं को कुछ राहत पहुंची हो जो बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में प्रदर्शन कर रहे थे, जो रक्षाबलों में भर्ती में एक बड़ा योगदान देते हैं। 

प्रदर्शनों में कोई कमी के संकेत न देखते हुए अगले दिन सरकार ने अन्य रियायतों की घोषणा कर दी। गृहमंत्रालय तथा रक्षा मंत्रालय ने सी.ए.पी.एफ., असम राइफल्स, रक्षा मंत्रालय तथा इसकी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों में ‘अग्रिवीरों’ के लिए 10 प्रतिशत कोटे की घोषणा कर दी। यह भी घोषणा की गई कि आयु में 2 वर्षों की राहत पहले बैच के लिए दी जाएगी क्योंकि 2 वर्षों से कोई भर्ती नहीं हुई थी। 

एक अन्य घोषणा में सी.ए.पी.एफ. तथा असम राइफल्स के लिए आवेदन करने के लिए उन्हें आयु सीमा में 3 वर्ष की रियायत तथा पहले बैच के लिए 5 वर्ष की रियायत दी गई। और अब सेना में दूसरे सर्वाधिक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि यह केवल एक पायलट परियोजना है। प्रश्र उठना स्वाभाविक है कि तीनों सेना प्रमुखों के साथ रक्षामंत्री द्वारा बड़ी घोषणा करने से पहले इन राहतों तथा  रियायतों को शामिल क्यों नहीं किया गया? 

इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि सेना के आधुनिकीकरण तथा इसके आकार को कम करने के लिए सुधारों की जरूरत है। देश के लिए यह खराब बात है कि रक्षाबल कर्मियों की औसत आयु 36 वर्ष है। सरकार द्वारा वायदा तथा लागू की गई मोटी पैंशनें रक्षा बजट में बड़ी कटौती करती हैं। इसके आधुनिकीकरण के प्रयासों तथा अत्याधुनिक उपकरण प्राप्त करने को प्राथमिकता देने की जरूरत है। यद्यपि इस समय चीन तथा पाकिस्तान जैसे 2 आक्रामक पड़ोसियों की ओर से खतरे के मद्देनजर इस तरह की अल्पकालिक नियुक्तियां लाना अनुचित है जिसके व्यापक परिणाम हो सकते हैं। 

कई देशों ने अपने सशस्त्र बलों में भारी कटौती की है लेकिन वे सभी देश ऐसे हैं जिन्हें सीधे युद्ध की किसी संभावना का सामना नहीं है। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि जैसे देशों ने अपने रक्षा कर्मियों की संख्या में बहुत अधिक कटौती की है क्योंकि उन्हें किसी सीधे युद्ध की आशंका नहीं है। मगर पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया अथवा सीरिया जैसे देश अपनी रक्षा जरूरतों के अनुसार अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं। चीन ने अपनी सेना की ताकत में जरा-सी कटौती की है लेकिन इसने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए बहुत बड़े कदम उठाए हैं। हम इस मोर्चे पर बहुत पीछे हैं। 

रक्षा मंत्रालय ने कोविड महामारी के कारण 2 वर्षों तक भर्तियां न करके पहले ही सुरक्षा कर्मियों की संख्या में एक लाख से अधिक की कमी कर दी है। यहां तक कि इस वर्ष भी कोटे की सीमा 45,000 से 50,000 तय की गई है। 4 वर्ष पूरे होने के बाद प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में प्रशिक्षित ‘अग्रिवीरों’ को पुन: भर्ती दिलाना सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होगी, जिसके पास उन्हें निराश युवा बनने की बजाय एक उत्पादक जीवन की ओर बढऩे के लिए प्रेरित करने की चुनौती का काम होगा। वह सरकार की ‘अग्रि परीक्षा’ होगी।-विपिन पब्बी
 


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