‘फल और मसाले करेंगे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत’

punjabkesari.in Friday, Dec 18, 2020 - 03:40 AM (IST)

ऑक्सीडेशन एक रासायनिक अभिक्रिया है जो तब होती है जब कोई पदार्थ ऑक्सीजन के संपर्क में आता है। उदाहरण के लिए, सेब और केले जैसे कुछ  खाद्य पदार्थ उनके छिलके हटा दिए जाने पर ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं, तो वे भूरे रंग के हो जाते हैं। ऑक्सीजन को कभी-कभी शैतान के साथ व्यवहार के रूप में संदॢभत किया जाता है क्योंकि वही ऑक्सीजन  जो ऊर्जा पैदा करने और बैक्टीरिया से लडऩे में मदद करती है, इस प्रक्रिया में ऐसे पदार्थ भी बनाती है जो जीवन के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

जिस ऑक्सीजन को हम सांस में लेते हैं, वह भोजन में अणुओं को तोड़ने में मदद करती है ताकि वे ऊर्जा पैदा करें। यह भोजन के ऑक्सीडेशन नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से होता है। ऑक्सीडेशन तब भी होता है जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली बैक्टीरिया से लड़ रही होती है और सूजन उत्पन्न होती है। ऐसा तब होता है जब हमारा शरीर सिगरेट के धुएं जैसे प्रदूषक तत्वों को डिटॉक्स करने की कोशिश करता है। इस तरह की कई प्रक्रियाएं हैं जिनमें ऑक्सीडेशन होता है। 

इस प्रक्रिया में, ऑक्सीजन के अणु जोड़ा न बनें इलैक्ट्रॉनों के साथ एकल अणुओं में विभाजित हो जाते हैं। इलैक्ट्रॉनों को जोड़े में रहना पसंद है, इसलिए इन एकल अणुओं को फ्री रैडीकल्स कहा जाता है और ये चारों ओर घूमते हैं तथा शरीर के अन्य अणुओं से इलैक्ट्रॉनों को झपट कर हथिया लेते हैं। जब ये इलैक्ट्रॉन चोरी हो जाते हैं, तो कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती है। फ्री रैडीकल्स जो ऑक्सीडेशन का अंत उत्पाद हैं, वे शरीर द्वारा अवशोषित नहीं होते हैं और वे कोशिकाओं, प्रोटीन और डी.एन.ए. को नुक्सान पहुंचाते हैं। ऑक्सीडेटिव तनाव तब होता है जब बहुत अधिक फ्री रैडीकल और बहुत अधिक कोशिका क्षति होती है। ऑक्सीडेटिव तनाव कोशिका और टिशु क्षति से संबंधित होता है और इसे हृदय रोगों, कैंसर दौरे, श्वसन रोगों, प्रतिरक्षा की कमी, पार्किंसंस रोग और अन्य सूजन संबंधी स्थितियों से जोड़ा गया है। 

लेकिन प्रकृति ने फ्री रैडीकल्स के लिए एक हल प्रदान किया है : वह है एंटीऑक्सीडैंट। एंटीऑक्सीडैंट फ्री रैडीकल्स को रोके रखते हैं। वे कोशिकाओं में अणु होते हैं जो मुक्त कणों को इलैक्ट्रॉनों को लेने से रोकते हैं और नुक्सान पहुंचाते हैं। एंटीऑक्सीडैंट स्वयं को अस्थिर किए बिना एक मुक्त कण को एक इलैक्ट्रॉन देने में सक्षम हैं, इस प्रकार फ्री रैडीकल्स शृंखला प्रतिक्रिया को रोकते हैं। जैसे फाइबर आंतों में अपशिष्ट उत्पादों को साफ करता है, वैसे ही एंटीऑक्सीडैंट कोशिकाओं में फ्री रैडीकल्स को साफ करते हैं। हमारा शरीर अपने दम पर कुछ एंटीऑक्सीडैंट का उत्पादन करता है, लेकिन हमें फ्री रैडीकल्स के प्रभाव को कम करने या समाप्त करने के लिए उन्हें खाने की आवश्यकता होती है। 

अध्ययनों से पता चला है कि फलों और सब्जियों का सेवन पुरानी बीमारियों की कम दर से जुड़ा हुआ है। इसमें सांस लेने की क्षमता पर एंटीऑक्सीडैंट के प्रभाव को दर्शाने वाले फलों और सब्जियों की अधिक खपत के साथ फेफड़े की कार्यक्षमता में सुधार पाया गया। ओ.आर.ए.सी. (ऑक्सीजन रैडीकल समाहन क्षमता), नैैशनल इंस्टीच्यूूट ऑफ हेैल्थ एंड एजिंग (एन.आई.एच.) के वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न खाद्य पदार्थों की एंटीऑक्सीडैंट क्षमता को मापने के लिए विकसित की गई विधि है। 

उच्च ओ.आर.ए.सी. स्कोर वाले खाद्य पदार्थों में एंटी ऑक्सीडैंंट क्षमता अधिक होती है, और अधिक प्रभावी रूप से हानिकारक फ्री रैडीकल्स को बेअसर कर देती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि शरीर प्रतिदिन 3000-5000 एंटीऑक्सीडैंट या ओ.आर.ए.सी. यूनिटों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकता है। इससे अधिक (अर्थात पूरक रूप में मैगा-डोजिंग) कोई अतिरिक्त लाभ नहीं होता है। अंडे के सफेद भाग में 10,कच्ची सनमॉल मछली में 30, एक प्रतिशत वसा वाले दूध में 40 तथा 2 प्रतिशत वसा वाले दूध में 50 ओ.आर.ए.सी. मान पाया जाता है। मसालों में भी काफी ओ.आर.ए.सी. मान पाया जाता है जिनमें लौंग, दालचीनी, हल्दी, कोको, जीरा में यह सबसे ज्यादा होता है। इसके अलावा तुलसी, अजवायन और अदरक में  भी ओ.आर.ए.सी. का काफी मान उपलब्ध होता है।-मेनका गांधी
 


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