‘फ्रांस की आग भारत में न लगाई जाए’

punjabkesari.in Tuesday, Nov 10, 2020 - 04:27 AM (IST)

मुस्लिम मित्रो, आपकी आत्मा है कि नहीं कि फ्रांस के गुनाह की सजा हिन्दुस्तान को दो? पाकिस्तान में हिंदू मंदिर तोड़ो? ढाका में अल्पसंख्यक हिंदुओं के व्यापारिक संस्थानों पर पत्थर फैंको? उनके अंदर एक दहशत का माहौल पैदा करो? हिंदुस्तानी धरती पर शोहरत, इज्जत, मान-सम्मान, तमगे-पद प्राप्त कर इसी देश का शायर, इसी देश के अमनो-चैन के लिए मुनव्वर राणा खतरा पैदा कर दे? 

दानिशवरी क्या हुई? कार्टून हजरत मोहम्मद साहिब का फ्रांस के एक टीचर ने क्लास में दिखाया, उस टीचर का धर्मांध ट्यूनिशियाई युवक ने गला काट दिया- फ्रांस जाने या वह युवक जाने। बेचारे हिन्दुस्तान के लोगों का इसमें क्या कसूर? फ्रांस के चर्च में उन्मादी मुस्लिम युवक ने तीन मासूम लोगों की हत्या कर दी, फ्रांस का कानून जाने या हत्यारा जाने। भारत में जलसे, जलूस, धरने, सड़कें रोकना, बंद का आह्वान करना, भड़काऊ भाषण देना, कहां का न्याय है? 

भारत ने तो कोई गुनाह नहीं किया? चलो मान लो किसी हिंदू ने कोई गुनाह किया भी हो तो इसका अर्थ यह तो नहीं कि पाकिस्तान भगवान गणेश या दुर्गा मां की मूर्तियां तोड़ दे, मंदिर नष्ट कर दे? बंगलादेश का तो हिंदुस्तान ने कुछ संवारा ही होगा, बिगाड़ा तो कुछ नहीं, फिर वहां के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को फ्रांस की घटना से क्यों प्रताडि़त किया जा रहा है? 

इन तमाम प्रश्रों का उत्तर भारत का मुसलमान अपनी आत्मा में झांक कर दे। यह तो अनर्थ है  न कि भारत क्रिकेट में पाकिस्तान से हार जाए तो भारत का मुसलमान दीपमाला करे, मिठाइयां बांटे? क्या भारत का मुसलमान इस बात पर प्रसन्न है कि 1947 में पाकिस्तान और बंगालदेश में 23' हिंदू 2020 आते-आते 3' रह गया? अफगानिस्तान तो हिंदू-सिखों से खाली ही हो गया है या भारत का मुसलमान इस बात का बदला लेना चाहता है कि वह 1947 से 2020 आते-आते 9' से 22' हो गया? 

घटना फ्रांस में, सूली पर लटका दो हिंदुस्तान को। क्यों? इसलिए कि भारत विशाल हृदय का है? इसलिए कि भारत सभी धर्मों का एक समान आदर करता है? इसलिए कि यहां सबको, सब कुछ कहने की आजादी है? इसलिए कि यह भगवान राम, भगवान कृष्ण और बाबे नानक का मुल्क है? इसलिए कि हजारों साल से भारत सत्य, अहिंसा और सर्वधर्म समभाव का पैगाम देता आया है? 

फ्रांस की घटनाओं पर उपद्रव करना है तो पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान, सीरिया, ईरान या सऊदी अरब में जाकर करें। बदला लेना है तो फ्रांस जाएं। हमारे हिंदुस्तान के पवित्र मंदिरों में नमाज क्यों पढ़ें? मैं सभी हिंदुस्तानी मुसलमानों को कटघरे में खड़ा नहीं कर रहा, मेरी उंगली उन मुसलमानों पर उठ रही है जो जेहादी हैं, उन्मादी हैं। जो रहते हिंदुस्तान में हैं, पर दिल में उनके पाकिस्तान बसता है। मुझे प्यार है अहमदिया मुसलमान से। कादियां में अपना सालाना सम्मेलन करते हैं, अल्लाह हू अकबर भी कहते हैं। भगवान राम, भगवान कृष्ण, श्री गुरु नानक देव और भारत माता की जय के जैकारे भी लगाते हैं। हिंदू नेता भी उसमें बोलते हैं, ईसाई भी शामिल होते हैं, सिख भी अपने विचार प्रकट करते हैं। कोई कटुता नहीं। 

पठानकोट में हीरा मस्जिद के इमाम मुझे बुलाते हैं और हजारों मुसलमानों से भारत माता के जैकारे लगवाते हैं। मैं उनके सामने सिर झुका देता हूं। उन मुसलमानों से कौन नफरत करेगा जो भारत माता की जय और ‘वंदे मातरम्’ कहने में प्रसन्नता अनुभव करते हैं। मुझे नफरत है ‘लव जेहादियों’ से जो प्यार जैसे पवित्र शब्द की ओट में हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं, उनका बलात् धर्म परिवर्तन करवाते हैं और तलाक, तलाक, तलाक जैसे तीन अपवित्र शब्द उनके मुंह पर मारते हैं। हरियाणा के तौफीक नामक युवक से मुझे नफरत है जो अंकिता जैसी मासूम लड़की को गोली मार देता है। हरियाणा के सुयोग्य मुख्यमंत्री खट्टर साहिब से निवेदन करूंगा कि अपने प्रांत के मेवात क्षेत्र की परवाह करें। हरियाणा का नूंह जिला पाकिस्तान न बने। 

मुझे बूढ़े मुसलमान, बुजुर्ग हो चुके मुसलमान से डर नहीं। डर है तो मुसलमानों की युवा पीढ़ी से। युवा पीढ़ी ने आई.एस.आई. को अपना आदर्श बना लिया है। सीरिया की लड़ाई में भाग लेना वह जन्नत समझने लगा है। मदरसों के मुल्ला-मौलवियों ने जहर के वे बीज अपरिपक्व मुसलमान के मनों में बो दिए हैं कि उनकी मानसिकता भारत में ही एक और पाकिस्तान न बना बैठे? घंटों चिंतन करता हूं। मुसलमान यदि दिल से हिंदुस्तानी बन जाए तो अमरीका और रूस हमारे सामने क्या हैं? रूह कांप जाती है यदि कोई हिंदू-मुस्लिम बाहुल्य इलाके में चला जाए। पूछो, क्यों? इसलिए कि मुल्ला-मौलवियों ने बच्चों, युवाओं की स्वतंत्र सोच को पनपने ही नहीं दिया। 

‘मिलीटैंसी इज नॉट द इसैंस ऑफ जेहाद इट इज इन्वर्ड सीकिंग।’ आतंक जेहाद का मूल नहीं। यह प्रत्येक मुसलमान की आंतरिक यात्रा है। जेहाद तो मुसलमान का आंतरिक संघर्ष है जिससे वह स्वयं को सुधार सके। जेहाद तो अल्लाहताला से मिलने का माध्यम है। यह प्रत्येक मुसलमान की एक परीक्षा है जिसके द्वारा वह अल्लाह के आगे पूर्ण समर्पण कर सके। जेहाद नैतिक अनुशासन है जिससे मुसलमान आंतरिक संघर्ष कर नेक इंसान बन सके। 

जेहाद द्वारा उस अल्लाहताला की इच्छाओं को पूरा करते हुए इंसान समाज को सुधार सके। राजनीति में में ‘जेहाद’ अन्याय के विरुद्ध एक हथियार है। हजरत मोहम्मद साहिब जीवन पर्यंत अपने आपको सुधारने का जेहाद करते रहे। जेहाद समाज में आदर्श स्थापित करने का औजार है। यह अल्लाह के प्रति एक ‘कमिटमैंट’ है।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)


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