भारत में आंकड़े सांता क्लाज के तोहफों जैसे खुश करने वाले नहीं

punjabkesari.in Sunday, Dec 26, 2021 - 05:09 AM (IST)

वर्ष का यह वह समय है जब ऐसा माना जाता है कि सांता क्लॉज तोहफों के साथ घरों में आता है। वह संभवत: बहुतों को निराश कर सकता है लेकिन मान्यता प्रचलित है। यह कहानी बच्चों को खुश करने के लिए है। एक आंकड़ा जिसके बारे में मैं सुनिश्चित हूं कि वह सांता क्लॉज से नहीं मिलता लेकिन कोई भी नहीं जानता कि कौन वर्ष भर भारत में आता रहा जो अब समाप्त होने को है। वह एक अवांछित मेहमान था। वह अपने साथ अवांछित तोहफे लाया। उनकी गिनती करते हैं : 

नई ऊंचाइयां छूना 
घरों के लिए : खुदरा मुद्रास्फीति 4.91 प्रतिशत पर है। इसमें से ईंधन तथा ऊर्जा मुद्रास्फीति 13.4 प्रतिशत पर है। सांता का सुझाव : एक ऐसी नौकरी खोजें जो आपको महंगाई भत्ता तथा घर का किराया दे तथा मालिक आपके बिजली तथा पानी के बिलों का भुगतान करे। 

किसानों के लिए  : कार्पोरेट्स को जमीन लीज पर देने की स्वतंत्रता, कार्पोरेट्स से उधार लेने की स्वतंत्रता, कार्पोरेट्स को कहीं भी अपना उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता तथा भूमिहीन कृषि मजदूर बनने की स्वतंत्रता। यह एक कठिन कहानी है कि किसानों ने इस उदार प्रस्ताव से इंकार कर दिया। सभी उत्पादों तथा उपभोक्ताओं के लिए : थोक मूल्य मुद्रास्फीति 14.23 प्रतिशत पर। इसका अर्थ यह हुआ कि लगभग सभी कीमतें ऊंची हैं। यदि एक वस्तु की कीमत, वस्तुएं अथवा सेवाएं गिरती हैं तो खुद को भाग्यशाली समझें क्योंकि अन्य पांच चीजों की कीमतें बढ़ गई होंगी। यही कारण है कि थोक मूल्य मुद्रास्फीति 12 वर्षों में सर्वोच्च है। युवा पुरुषों तथा महिलाओं के लिए : बेरोजगारी दर 7.48 प्रतिशत पर। इसमें से शहरी बेरोजगारी दर 9.09 प्रतिशत पर है (सी.एम.आई.ई.)। 

पोस्ट ग्रैजुएट तथा डॉक्टोरल स्कॉलर्स के लिए : केंद्रीय विश्वविद्यालयों, भारतीय तकनीकी संस्थानों (आई.आई.टी.) तथा भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आई.आई.एम्स.) में अध्यापकों के 10,000 से अधिक पद खाली। उनका उद्देश्य पढ़ाना ही बना हुआ है तथा परिणामों पर नजर डालें तो वे पढ़ाने का अच्छा काम कर रहे हैं। यह भाग्य की बात है कि उन्होंने अध्यापकों के बिना पढ़ाने का एक तरीका खोज लिया है। 

नया आरक्षण 
एस.सी., एस.टी. तथा ओ.बी.सी. के लिए :
अध्यापकों के जो 10,000 से अधिक पद रिक्त हैं उनमें से 4126 एस.सी., एस.टी. तथा ओ.बी.सी. के लिए ‘आरक्षित’ हैं। डरें नहीं, आरक्षण जारी है। आरक्षण नीति को उनके लाभ के लिए सुधारा गया है : अब पदों में आरक्षण नहीं है, बल्कि रिक्तियों में आरक्षण है। सरकार और अधिक रिक्तियां पैदा करेगी तथा उन रिक्तियों को एस.सी.एस.टी. तथा ओ.बी.सी. उम्मीदवारों के लिए आरक्षित करेगी। आरक्षण नीति का अक्षरश: सम्मान किया जाना चाहिए। उम्मीदवार अपने बायोडाटा में शामिल कर सकते हैं कि वे वर्तमान में रिक्ति में नियुक्त हैं।

उनके लिए जो ई.एम.आई. का भुगतान करते हैं : ई.एम.आई. (मासिक किस्त) पर ब्याज की उच्च दरें। बैंकों ने 2020-21 में 202783 करोड़ रुपए के ‘बैड लोन्स’ को बट्टे -खाते में डाल दिया। उदारकत्र्ताओं को जरूर धन्यवादी होना होगा कि बैंक उन्हें ऋणों का प्रस्ताव दे रहे हैं। 

गरीबों के लिए : कतार। कृपया अपनी बारी की प्रतीक्षा करें (जो संभवत: कभी नहीं आएगी)। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पी.एस.बी.) गरीब कार्पोरेट्स की मदद करने में व्यस्त हैं। 2020-21 में मात्र 13 कार्पोरेट्स का सार्वजनिक बैंकों की ओर 486800 करोड़ रुपए बकाया था। बैंकों ने 161820 करोड़ रुपए के लिए उन बकायों को सैटल कर दिया। पी.एस.बीस. 284980 करोड़ रुपए का घाटा सह कर भारत के लोगों (जो निश्चित तौर पर 13 कार्पोरेट्स हैं) का अपनी ओर से कल्याण करके  खुश थे। पी.एस.बीज. और भी करना चाहते हैं, यदि आप एक डिफाल्टिंग कार्पोरेट हैं। 

अर्थशास्त्रियों तथा अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए : एक ‘वी’ आकृति की रिकवरी। कम से कम सरकार जो दावा करती है। इसने ऐसा मुख्य आॢथक सलाहकार के उच्च अधिकारी से किया जो हालांकि सरकार को छोड़ रहे हैं। डा. कृष्णामूर्ति सुब्रमण्यन इंडियन स्कूल ऑफ बिजनैस से भारी मात्रा में शिक्षा भारत सरकार के लिए लेकर आए हैं, वह अपने साथ आई.एम.एफ. के नामित-उप-प्रबंध निदेशक का पद ले जाएंगे जिन्हें गत सप्ताह दिल्ली में रोक लिया गया तथा भारतीय आॢथक रिकवरी को ‘के’ आकृति की बताया गया। बेचैन न हों,  कोई भी इन दो अक्षरों में से नहीं चुनेगा क्योंकि अल्फाबैट के 24 अन्य अक्षर हैं। पुराने अनुभव के आधार पर यह भविष्यवाणी की जा सकती है कि दैवीय आशावादी अक्षर ‘आई’ चुनेंगे तथा शून्यवादी अक्षर ‘ओ’ को चुनेंगे। आर्थिक विद्वान अक्षर ‘एम’ के पक्ष में तर्क देंगे। 

स्वतंत्रता की गवाही 
स्वतंत्र प्रैस के लिए :
विश्व प्रैस स्वतंत्रता सूची में भारत के लिए एक ‘बड़ा’ रैंक (पूर्ववर्ती वर्ष में 140 के मुकाबले वर्तमान में 180 में से 142वां स्थान)। भारत के सूचना व प्रसारण मंत्री शायद सही थे जब उन्होंने कहा कि वह ‘रिपोर्टर्स विदाऊट बार्डर्स’ द्वारा निकाले गए निष्कर्षों से सहमत नहीं हैं जिसने यह सूची प्रकाशित की। उन्हें प्रैस की स्वतंत्रता बारे एक-दो चीजें जाननी चाहिए। मंत्री ने यह भी तर्क दिया कि ‘प्रैस की स्वतंत्रता की परिभाषा का स्पष्ट अभाव’ था। सांता ने सुझाव दिया कि उन्हें अन्यों के साथ निम्रलिखित पत्रकारों को आमंत्रित तथा प्रैस की स्वतंत्रता को परिभाषित करने का प्रयास करना चाहिए : राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त, करण थापर, सागरिका घोष, प्राजंय गुहा ठाकुरता, राघव बहल, बॉबी घोष, पुण्य प्रसुन्न वाजपेयी, कृष्णा प्रसाद, रुबिन, प्रणय राय तथा सुधीर अग्रवाल। 

सभी लोगों के लिए : नीतियां जो कुपोषण, बच्चों के बौनेपन, थकावटपन तथा बाल मृत्यु को सुनिश्चित करेगी। वैश्विक भूख सूचकांक में उन्होंने भारत के लिए 116 देशों में से 101वां दर्जा प्राप्त किया। एक स्वागत योग्य बाय-प्रोडक्ट के तौर पर देशभक्त जोड़ों को सुनिश्चित किया गया कि कुल उर्वरता दर 2.0 तक गिर गई है जो स्थानापन्न दर से कम है। नया वर्ष मुबारक! -पी. चिदम्बरम


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News