प्रवासी श्रमिकों को फिर से सताने लगा लॉकडाऊन का डर

punjabkesari.in Tuesday, Apr 13, 2021 - 04:11 AM (IST)

कोरोना महामारी के चलते एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों में लॉकडाऊन के डर से जुड़ी खबरें चर्चा में हैं। घर की ओर मीलों पैदल चलने वाले श्रमिकों की हृदयस्पर्शी छवियां हों या देश के बाहर किसी भी नियोजित व्यक्ति के लिए वीजा व्यवस्था में बदलाव की चिंताओं की रिपोर्ट, दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। 

इन दोनों के बीच एक समान संदर्भ है जहां विकास और रोजगार से संबंधित प्रक्रिया ने कई इलाकों की अनदेखी की।पिछले साल वल्र्ड बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में वैश्विक प्रेषण में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। इसमें प्रवासी श्रमिकों के वेतन और रोजगार में गिरावट को प्रमुख विषय बताया गया था। हमें अब आर्थिक संकट के दौरान रोजगार और मजदूरी के नुक्सान के प्रति अधिक संवेदनशील होना पड़ेगा। संरचनात्मक सुधार के लिए प्रयास होना चाहिए, जिसमें उन कारणों और प्रक्रियाओं को ठीक करना होगा जिसके पीछे व्यक्ति को नए हरियाली बाग अपने घर से दूर दिखते हैं। 

यह कहना गलत होगा कि अतीत में वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान नहीं किया गया। परन्तु निर्भरता और विनिमय की प्रक्रिया जो आज की वैश्विक दुनिया व वैश्वीकरण की पहचान है, अपने पैमाने, पहुंच और प्रभाव में अभूतपूर्व है। इसके करण वैश्वीकरण ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवास की प्रकृति को बदल दिया है। मानव प्रवास के बिना वैश्वीकरण अधूरा है। बेहतर काम के अवसरों के लिए इंसान ने नए स्थानों पर पलायन किया है। बढ़ा हुआ प्रवास वैश्वीकरण के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। 

यदि हम वैश्वीकरण और अंतर्राष्ट्रीय श्रम प्रवास के बीच संबंधों के प्रमुख पैटर्न का अध्ययन करें, तो कई रिपोर्ट्स ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर हमारा ध्यान उजागर करती हैं। इस प्रक्रिया ने हमें लाभ अवश्य दिए लेकिन दूसरा पहलू भी अनदेखा नहीं किया जा सकता जहां कुछ शहरों का पक्षधर किया गया हजारों गांवों की जरूरत पर। कैपिटल व इससे जुड़े पूंजी निवेश तय करने के लिए सही परिस्थितियों व इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। अजीब बात है कि एक प्रक्रिया जो हर व्यक्ति को प्रभावित करती है, गांवों, छोटे शहरों में जहां अधिकांश लोग रहते हैं, वहां इसके प्रभाव को पहुंचाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। 

हाल-फिलहाल में कई खबरें जैसे कि किस प्रकार डब्ल्यू.टी.ओ. का सुधार अमरीका और उसके व्यापारिक भागीदारों, विशेष रूप से यूरोपीय संघ के लिए एक प्राथमिकता मुद्दा है व बाइडेन के राष्ट्रपति पद की असली परीक्षा उसकी आव्रजन नीति के साथ है, सुनने में आ रही हैं। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वैश्वीकरण में सुधार की बात रखी। 

हम सब जानते हैं कि किस प्रकार लॉकडाऊन ने वैश्विक आर्थिक गतिविधियों को थाम दिया था और वह डर आज भी सबके मन में बसा है। मेजबान देश को प्रवासी श्रमिकों के स्वास्थ्य और अतिरिक्त चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए एकजुटता की प्रतिज्ञा के लिए एक वैश्विक वार्ता होनी चाहिए क्योंकि किसी भी देश के राष्ट्रीय हित को केवल शहरीकृत क्षेत्रों तक सीमित नहीं किया जा सकता। 

प्रवासी श्रमिकों के विषय में महत्वपूर्ण वैश्विक शासन चुनौतियां हैं। कोई भी देश अलगाव में इसे संभाल नहीं सकता है। वैश्वीकरण में समस्याएं हो सकती हैं लेकिन कोई भी हमारे जीवन पर प्रौद्योगिकी, नवाचार, रोजगार, गतिशील उद्योग मॉडल के साथ इसके विशाल प्रभाव से इंकार नहीं कर सकता है। यही कारण है कि वैश्विक प्रक्रियाओं को आम आदमी की चिंताओं के लिए अधिक लाभदायक बनाने के लिए इसे अंतर्राष्ट्रीय समन्वय की आवश्यकता है।-डा. आमना मिर्जा
 


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