तेल को लेकर यूरोप का दोहरा मापदंड

punjabkesari.in Thursday, Dec 08, 2022 - 06:17 AM (IST)

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व सचिव और डब्ल्यू.टी.ओ. (विश्व व्यापार संगठन) में भारत के पूर्व राजदूत जयंत दास गुप्ता ने जी-7 राष्ट्रों और आस्ट्रेलिया पर रूसी कच्चे तेल के समुद्री निर्यात पर 60 डालर प्रति बैरल का कैप लगाने, रूस के राजस्व को निचोड़ने और युद्ध लडऩे की क्षमताओं को कम करने के प्रयासों पर चर्चा करते हुए कहा है कि वैश्विक तेल मूल्य में वृद्धि को लक्षित किए बिना बेशक ब्रैंटक्रूड के लिए 30 प्रतिशत की छूट रूसी सेना को कमजोर कर सकती है। 

जी-7 और आस्ट्रेलिया द्वारा यूरोप में अपने मुख्यालय वाली प्रमुख शिपिंग और बीमा कंपनियों पर अपने प्रभाव का उपयोग करने की योजना है। भारत में रूसी तेल आयात में कई गुणा वृद्धि अक्तूबर में भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का 22 प्रतिशत थी। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से ठीक पहले यह 0.2 प्रतिशत थी। भारत बार-बार पश्चिमी दोहरे मानकों को दोहरा रहा था जैसा कि विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर ने 5 दिसम्बर को अपने जर्मनी समकक्ष के साथ एक प्रैस वार्ता के दौरान कहा कि, ‘‘मुझे लगता है कि पहले हमें तथ्यों को बहुत स्पष्ट रूप से स्थापित करने की आवश्यकता है।’’ 24 फरवरी और 17 नवम्बर के बीच यूरोपीय संघ ने रूस से 10 देशों की तुलना में अधिक जीवाष्म ईंधन का आयात किया है।

जयंत का मानना है कि यूरोपीय संघ में तेल का आयात भारत द्वारा आयात किए गए तेल का 6 गुणा है। हमारे पास गैस अनंत है क्योंकि हम इसे आयात नहीं करते। जबकि यूरोपीय संघ ने 50 बिलियन यूरो का आयात किया है। यह यूरोप का अधिकार है लेकिन उसके लिए अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देने वाले विकल्पों को चुनना और फिर भारत को कुछ और करने के लिए ध्यान रखना होगा। आज यूरोप मध्य पूर्व से बहुत कुछ खरीद रहा है। मध्य पूर्व परम्परागत रूप से भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए एक आपूर्तिकत्र्ता था। इसलिए यह मध्य पूर्व में भी कीमतों पर दबाव डालता है।-अमिताभ पी. रेवी


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