उभरती ‘आर्थिक चुनौतियां’ तथा 2020-21 का नया बजट

punjabkesari.in Tuesday, Jan 07, 2020 - 04:12 AM (IST)

इन दिनों देश के करोड़ों लोगों की निगाहें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी, 2020 को प्रस्तुत किए जाने वाले वित्त वर्ष 2020-21 के बजट की ओर लगी हुई हैं। देश और दुनिया की उभरती आर्थिक परिस्थितियों के कारण वित्तमंत्री का बजट निर्माण का काम चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऐसे में अर्थ-विशेषज्ञों की निगाहें आगामी बजट में 3 बड़ी बातों पर केन्द्रित हो गई हैं। एक, वित्तमंत्री से अपेक्षा है कि वह अर्थव्यवस्था का ईमानदार आकलन करते हुए अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की योजना बजट के माध्यम से प्रस्तुत करें। दो, सरकार राजकोषीय समस्या को स्वीकार करे और राजकोषीय मजबूती का एक विश्वसनीय रोडमैप बजट में प्रस्तुत करे। तीन, नए बजट के तहत रेलवे की दशा और दिशा सुधारने के लिए रणनीतिक कदम आगे बढ़ाने की रूपरेखा भी प्रस्तुत करे। 

निश्चित रूप से नए बजट के तहत सरकार की चुनौती यह भी है कि सरकार के पास आर्थिक सुस्ती से निपटने और सभी वर्ग के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए संसाधनों की भारी कमी है। इतना ही नहीं, अमरीका-ईरान तनाव से तेल की कीमतों के बढऩे से नए बजट पर दबाव बढ़ेगा। पिछला वर्ष 2019 आर्थिक सुस्ती का वर्ष रहा है। विकास दर 5 फीसदी के निम्न स्तर पर तथा बजट में निर्धारित राजकोषीय घाटा जी.डी.पी. के 3.3 फीसदी से बढ़कर करीब 3.6 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में वर्ष 2020-21 के आगामी बजट में जहां एक ओर वैश्विक सुस्ती के बीच अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के ठोस प्रावधान करने होंगे, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर यानी 350 लाख करोड़ रुपए वाली भारतीय अर्थव्यवस्था का जो चमकीला सपना सामने रखा गया है उस सपने को साकार करने की दिशा में भी नए बजट के तहत वित्तमंत्री को कदम आगे बढ़ाने होंगे। 

इसमें कोई दो मत नहीं कि वर्ष 2020-21 के बजट के समक्ष जहां बीते हुए वर्ष 2019 से मिली कई आॢथक चुनौतियां खड़ी हैं, वहीं बीते हुए वर्ष 2019 में अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए सरकार ने जो कई कदम उठाए हैं अब उनका लाभ 2020-21 के नए बजट की संरचना करने में अवश्य मिलेगा। विगत 26 अगस्त को अपने 84 साल के इतिहास में पहली बार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) द्वारा लाभांश और अधिशेष कोष के मद से 1.76 लाख करोड़ रुपए केन्द्र सरकार को ट्रांसफर करने का जो निर्णय लिया गया, उससे अर्थव्यवस्था में अधिक धन खर्च करने के लिए मिल पाएगा। बढ़ते आर्थिक संकट को थामने के लिए 20 सितम्बर को वित्तमंत्री सीतारमण ने कार्पोरेट टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया। उससे उद्योग-कारोबार को लाभ मिलेगा। विभिन्न वर्गों की उम्मीदों पर भी ध्यान रखना होगा 

चूंकि वर्ष 2020-21 में भी वैश्विक आर्थिक सुस्ती की आशंका बनी हुई है, साथ ही अमरीका और ईरान के नए संघर्ष के मद्देनजर कच्चे तेल के मूल्य बढऩे की आशंका भी रहेगी। अतएव वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सुस्ती की चुनौतियों को सामने रखते हुए विभिन्न वर्गों की उम्मीदों को भी ध्यान में रखते हुए दिखाई देंगी। ऐसे में वित्तमंत्री मुख्यतया खेती और किसानों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दे सकती हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए अतिरिक्त धन मिल सकता है। निश्चित रूप से नए बजट में कृषि क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने को सरकार उच्च प्राथमिकता देगी। पी.एम. किसान जैसी योजनाओं के लिए आबंटन अधिक दिखाई दे सकता है। सरकार ऐसे नए उद्यमों को प्रोत्साहन देगी जो कृषि उत्पादों को लाभदायक कीमत दिलाने में मदद करने के साथ उपभोक्ताओं को ये उत्पाद मुनासिब दाम पर पहुंचाने में मदद करें। नए बजट में उन स्टार्टअप को मदद मिलती हुई दिखाई देगी, जो कृषि उत्पादों के लिए लाभकारी बाजार प्रदान करने तथा उचित मूल्य पर अंतिम उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने में मदद कर रहे हैं। वित्तमंत्री ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के उपायों के साथ-साथ कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विकास के माध्यम से बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने वाले कामों को प्रोत्साहन देते हुए दिखाई देंगी। 

वित्तमंत्री नए बजट 2020-21 में महिलाओं के सशक्तिकरण, युवाओं के कौशल विकास, सभी परिवारों को नल से पानी मुहैया करवाने के लिए जल जीवन मिशन, मछुआरों को भंडारण एवं विपणन ढांचा मुहैया करवाने के लिए मत्स्य सम्पदा योजना के लिए अधिक बजट आबंटन करते हुए दिखाई दे सकती हैं। नए बजट 2020-21 के तहत वित्तमंत्री देश के छोटे आयकरदाताओं, नौकरीपेशा (सैलरीड) और मध्यम वर्ग के अधिकांश लोगों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दे सकती हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण नए बजट 2020-21 के तहत 5 लाख रुपए तक की मौजूदा आयकर छूट को जारी रख सकती हैं। साथ ही 5 से 10 लाख रुपए तक की वार्षिक आय पर जो 20 फीसदी की दर से आयकर है, उसे घटाकर 10 फीसदी कर सकती हैं। 10 से 20 लाख रुपए तक की वाॢषक आय पर जो मौजूदा 30 फीसदी आयकर की दर है, उसे घटाकर 20 फीसदी कर सकती हैं। सीनियर सिटीजन एवं महिला वर्ग के लिए आयकर में छूट की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। 

निजी क्षेत्र की निवेश योजना अब भी ठंडी पड़ी
गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 जनवरी, 2020 को घोषणा कर चुकी हैं कि सरकार आगामी 5 वर्षों में बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं में 102 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगी। ऐसे में वित्तमंत्री नए बजट के तहत बंदरगाहों, राजमार्गों और हवाई अड्डों के निर्माण पर व्यय बढ़ाते हुए दिखाई देंगी क्योंकि निजी क्षेत्र की निवेश योजना अब भी ठंडी पड़ी है। निस्संदेह नए बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, छोटे उद्योग-कारोबार और कौशल विकास जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों के लिए बजट आबंटन बढ़ता हुआ दिखाई दे सकता है। 

सरकारी बैंकों का संचालन बेहतर बनाने की डगर पर सरकार
निश्चित रूप से वर्ष 2020-21 के नए बजट में सरकार श्रम सुधार और निर्यात मौकों को मुट्ठी में लेने के लिए नई नीति के साथ आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकती है। सरकार नए बजट में मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर, बैंकिंग सैक्टर, कार्पोरेट सैक्टर, ई-कॉमर्स, कालेधन पर नियंत्रण से लेकर रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी और कठोर कदम उठाते हुए दिखाई दे सकती है। सरकार बैंकों की बैलेंस शीट में गड़बडिय़ों को दूर करने और सरकारी बैंकों का संचालन बेहतर बनाने की डगर पर भी आगे बढ़ सकती है। 

हम आशा करें कि आगामी वर्ष 2020-21 के बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण वैश्विक सुस्ती के बीच अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचा और रोजगार बढ़ाने वाली सार्वजनिक परियोजनाओं पर जोरदार व्यय बढ़ाएंगी। हम आशा करें कि वित्तमंत्री नए बजट में आवश्यक वस्तु अधिनियम को नरम करने, अनुबंध खेती को बढ़ावा देने, बेहतर मूल्य के लिए वायदा कारोबार को प्रोत्साहन देने, कृषि उपज की नीलामी के लिए न्यूनतम आरक्षित मूल्य लागू करने, शीतगृहों के निर्माण में वित्तीय सहायता देने जैसे कामों को आगे बढ़ाए जाने की रणनीति के साथ आगे बढ़़ेगी, जिससे कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। वित्तमंत्री मुस्कराहट देने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को विकास की डगर पर आगे बढ़ाने के लिए किस तरह संतुलन बनाएंगी?-जयंती लाल भंडारी
                


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