सौदेबाजी में भरोसे का तत्व

punjabkesari.in Monday, May 22, 2023 - 06:17 AM (IST)

एक दिन यह सुन कर उत्सुक था कि कोई ‘जीतने के लिए बातचीत या सौदेबाजी’ करने के बारे में बोलने जा रहा है। मैंने इसमें भाग लेने का फैसला किया: वक्ता मुखर था लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ता गया, मुझे एहसास हुआ कि उसके तरीकों में एक चतुर दिमाग का इस्तेमाल शामिल है, न कि एक दयालु दिल का। जब मैंने सुना तो पाया कि लोग सिर्फ ‘शतरंज की बिसात पर प्यादे’ थे और यह वही है जो मैं आज ज्यादातर सौदों में देखता हूं, जहां व्यापार और अन्य जगहों पर स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए रणनीति या चालाकी का इस्तेमाल किया जाता है। 

यह ऐसा है जैसे हम सभी भेड़ें हैं, जिन्हें काऊबॉय द्वारा विशेषज्ञ रूप से बुने हुए फंदों के साथ काबू किया जाता है, हमें एक कलम द्वारा। भावनाएं मायने नहीं रखतीं, दोस्ती सिर्फ शोषण के लिए होती है! उद्देश्य, चतुर तरीकों से मन को वश में करना। 

चलो वक्ता पर वापस आते हैं: वह ‘बातचीत की स्थिति’ की बात कर रहे हैं और चलो ऐसा दिखाते हैं कि आप मेरे साथ हॉल में घुस गए हैं। ‘‘एक आदमी,’’ वह कहते हैं, ‘‘अपनी पुरानी कार बेचना चाहता है। वह जानता है कि इसकी कीमत पचास हजार रुपए से अधिक नहीं है लेकिन उसने फैसला किया कि वह पचपन हजार रुपये की मांग वाला एक विज्ञापन डालेगा! इससे पहले कि वह विज्ञापन डालता, एक करीबी दोस्त उसके पास आता है और कहता है कि उसने सुना है कि कार बिक्री के लिए है और वह इसे पैंसठ हजार में खरीदना चाहता है! जब उन्होंने हॉल में हमें विकल्प दिए, तो मैंने बड़ी दिलचस्पी से सुना, ‘‘आप ऐसा कर सकते हैं,’’ वक्ता ने कहा, ‘‘अपने मित्र से कहें, विज्ञापन के लिए प्रतीक्षा करे या आपके मित्र द्वारा प्रदान की जाने वाली कीमत को स्वीकार करे अथवा कीमत पर मोल-तोल करे!’’ 

मुझे आश्चर्य हुआ कि क््रया शब्द ‘मोलतोल’ का मतलब उसके दोस्त को यह बताना था कि उसके द्वारा दी गई कीमत बहुत अधिक थी और कार की कीमत बहुत कम थी और शुरू में खुश था जब वक्ता ने उल्लेख किया कि ‘मोलतोल’ सही उत्तर था। लेकिन, एक क्षण में मेरी खुशी सदमे में बदल गई। ‘‘सौदेबाजी,’’ उसने कहा, ‘‘अपने दोस्त को यह बताना है कि उसका पैंसठ हजार का प्रस्ताव बहुत कम है और इसकी बजाय आप सत्तर हजार की उम्मीद कर रहे थे! फिर आप अपनी बांहें उसके कंधे पर रख दें और उससे कहें कि क्योंकि वह आपका दोस्त है, आप उनहत्तर हजार में समझौता करेंगे। ‘‘आखिरकार,’’ वक्ता ने बातचीत करने के तरीके के बारे में बोलते हुए कहा, ‘‘आप अड़सठ हजार पर समझौता कर सकते हैं!’’ मैंने उसे भोले-भाले लोगों को धोखा देने की चतुर कला सिखाते हुए दुख के साथ देखा! 

क्या सम्मानित वक्ता को यह एहसास नहीं था कि यह बातचीत कार की कीमत के बारे में नहीं, बल्कि दोस्ती के मूल्य के बारे में थी? कि जो दाव पर लगा था वह सत्य था और जो बिक गया, वह सत्यनिष्ठा थी? मुझे पता है, अगर मैं अपनी पुरानी कार बेच रहा था, तो मैं यह देखने के लिए और अधिक सावधान रहूंगा कि एक दोस्त को चेतावनी दी जाए कि वह पुरानी थी और मैं कीमत भी कम कर दूंगा, टूटे या घिसे हुए हिस्सों के जोखिम को शामिल करने के लिए क्योंकि मुझे मिलने वाले मुनाफे से ज्यादा मैं उसकी दोस्ती को महत्व देता। आइए ईमानदारी से, समझौता किए बिना बातचीत करें क्योंकि बाद में कोई भी बातचीत हमारे खोए हुए भरोसे को वापस नहीं लाएगी...!-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स
 


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