‘आर्थिक मंदी’ से पंजाब को बाहर निकालने के प्रयास

punjabkesari.in Tuesday, Dec 10, 2019 - 03:16 AM (IST)

प्रोग्रैसिव पंजाब इंवैस्टर्स सम्मिट 2019 के लक्ष्य के बारे में बाद में बात करेंगे परंतु पंजाब की जो दशा है और जो इसकी दिशा होनी चाहिए उसके बारे में पहले बात करेंगे। पंजाब इस समय बुरी तरह से ढलान पर खड़ा है। यहां से लगाातर उद्योग पलायन कर रहा है। जिसको देखकर हम कह सकते हैं कि पंजाब आर्थिक मंदी की राह पर है। यही बात शिक्षा के क्षेत्र पर भी फिट बैठती है क्योंकि हमारे दिमाग में यह सवाल आता है कि हमारा छात्र अपने देश को छोड़कर विदेश क्यों जा रहा है। तो सवाल यह भी उठता है कि आधुनिक युग के हिसाब से क्या हमारी शिक्षा उस स्तर की है जिसने आने वाली पीढ़ी के लिए रोजगार के मौके पैदा करने हैं। 

सम्मिट ने इस बारे कदम उठाने की भी चर्चा की है। केवल पंजाब ही नहीं भारत की आर्थिक सुस्ती की तस्वीर भी सामने आई है। विश्वस्तरीय आर्थिक विशेषज्ञों तथा बड़े उद्योगपतियों ने इस बारे अपने विचार रखे हैं। इसके साथ-साथ कुछ ऐसे सवाल भी खड़े किए गए हैं कि आम किसान, खेत-मजदूर, गैर-कृषि क्षेत्र में काम करने वालों की भी कोई सुध लेगा क्या? 

सबसे पहले हम पंजाब के किसान की क्या स्थिति है उस ओर देखते हैं। सम्मिट 2019 में जो बातें हुईं या फिर ऐसे समारोहों में जो बातें आम होती हैं क्या वे आर्गेनाइज्ड सैक्टर के बारे में भी होती हैं। उनका अन-आर्गेनाइज्ड सैक्टर से कोई संबंध नहीं होता, जबकि बड़ी गिनती के लोग उसी क्षेत्र से आते हैं। अब फूड प्रोसैसिंग उद्योगों की बात चली है तो सवाल उठता है कि हमारे पास आधार क्या है। क्या हमारे पास फसलों की फूड वैल्यू गुणात्मक पक्ष से मानकों पर खरे उतरने वाले तत्व हैं? हमारे किन्नू, टमाटर फेल हो चुके हैं। आलू भी नकार दिए गए हैं। यह हमारे समय में ही हुआ है। क्या हमारे पास ऐसी फसलों को रखने के लिए कोल्ड स्टोर उपलब्ध है क्योंकि ये फसलें तो कोल्ड स्टोर के बगैर बचाई ही नहीं जा सकतीं। 

यही बात ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र की है। वहां पर भी लोगों को अंधेरे में रखा जा रहा है। इसके साथ ही महिला सशक्तिकरण को जोड़ लिया जाता है। परंतु वास्तव में यदि उस क्षेत्र के किसी व्यक्ति के साथ एक अन्य सहायक धंधा जुड़ता है तो थोड़ा-सा बचाव होता है नहीं तो एक ही धंधे में लगे लोग ज्यादा फायदा नहीं ले पा रहे। सरकार यदि सही मायनों में पंजाब को तरक्की की राह पर ले जाने के लिए ईमानदार है तो सबसे पहले हमें किसान को सशक्त करना है। उसे अपने पैरों पर खड़ा करना है। उसके बाद फूड प्रोसैसिंग की ओर बढ़ा जा सकता है। 

हमारे उद्योगपति 180 देशों में माल बेच सकेंगे
इसका मतलब यह नहीं कि जिस आर्गेनाइज्ड सैक्टर की ओर सरकार ने अपने कदम बढ़ाए हैं उससे पंजाब के लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तरीके से फायदा मिलना ही है। रोजगार के नए तरीके भी बढ़ेंगे। मिसाल के तौर पर एमेजोन या फ्लिपकार्ट के द्वारा हमारे सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों का सामान न सिर्फ हमारे देश के दूसरे स्थानों पर पहुंचाया जा सकेगा बल्कि विदेशों में भी यह सामान मुहैया करवाया जा सकेगा। इस मामले में पंजाब सामान इंडस्ट्रीज एंड एक्सपोर्ट कार्पोरेशन ने एमेजोन इंडिया ई-कामर्स कम्पनी के साथ एम.ओ.यू. साइन किया है। जिसके नतीजे में एक्सपोर्टर 180 देशों के लाखों ग्राहकों के पास अपना माल बेच सकेंगे। यह भी महत्वपूर्ण बात है कि सरकार ने इन उद्योगपतियों का करार एच.डी.एफ.सी. बैंक से 1100 करोड़ कर्ज उपलब्ध करवाने का प्रयास भी किया है। इसके साथ ही फोकल प्वाइंटों पर बुनियादी ढांचों की अपग्रेडेशन हेतु सरकार 200 करोड़ रुपए खर्च करेगी ताकि उनको लाभप्रद बनाया जा सके। 

यह पूरे वैश्विक स्तर की समस्या है कि चाहे सूक्ष्म, लघु या फिर मध्यम व्यवसायों में रोजगार के बेशुमार मौके हैं परंतु रिसर्च एंड डिवैल्पमैंट को लेकर कोई लक्ष्य न होने के कारण यह घाटे का सौदा बनकर रह गया है। यूनाइटेड नेशन इंडस्ट्रीयल डिवैल्पमैंट आर्गेनाइजेशन के रिजनल हैड रेन बान बर्कल ने इस सम्मिट में बोलते हुए बताया कि भारत के लिए बड़ी समस्या यह भी बनी हुई है कि इसके सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योग अपने उत्पादन की विश्वस्तरीय कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के लिए क्वालिटी का होना जरूरी है। हालांकि उन्होंने भारत में पर्यावरण को लेकर चिंता भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि उद्योगों को आपस में मिलजुलकर आगे बढऩे का मौका दिया जाएगा। उनके ये विचार बड़े महत्वपूर्ण हैं। भारत को कुछ औद्योगिक घरानों के चंगुल से निकाला जाना जरूरी है।

विकास कार्यों की निरंतरता जरूरी 
बड़े होटल उद्योग के चेयरमैन पी.आर.एस. ओबराय ने टूरिस्ट इंडस्ट्री की ओर भी ध्यान दिलवाया। हमारे पास न केवल गुरुद्वारा साहिब बल्कि मुगलकाल से जुड़ी तथा महाराजा रणजीत सिंह काल से जुड़ी ऐसी धरोहर है जिससे कमाल ही हो जाए। इस सम्मिट में पंजाब के मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकारों को कम से कम इन मामलों में राजनीति से प्रेरित होकर रोड़ा नहीं अटकाना चाहिए। विकास कार्यों की शृंखला वैसे ही चलती रहनी देनी चाहिए परंतु हमने देखा है कि हरि के पत्तन झील को टूरिस्ट स्थल बनाने की ओर बादल सरकार ने कदम उठाए थे। सुखबीर बादल ने जो कार्य वहां करवाए तब लोग इसकी ओर आकर्षित हुए परंतु कैप्टन सरकार के आते ही सुखबीर का मजाक उड़ाया गया तब सभी कार्य ठप्प हो गए। उन सभी कार्यों को निरंतर चलते रहने देना चाहिए। उस पिछड़े क्षेत्र की ओर लोग अपना रुख करते जिससे इसका विकास भी हो जाता। 

पंजाब का भला आज उद्योग ही कर सकता है। कृषि क्षेत्र ने कई किसान निगल लिए। सरकार सम्मिट करवाए उसका स्वागत है परंतु इनके ऊपर अमल भी किया जाए यह भी जरूरी है। अकालियों ने इसको सरकारी पैसे की बर्बादी बताया। भविष्य में इसके बारे भी कहीं शॄमदगी न उठानी पड़ जाए। हालांकि अभी तक तो कैप्टन सरकार इस बात पर अपना रुख आगे बढ़ा रही है कि वह नॉन परफार्मिंग सरकार नहीं है।-देसराज काली 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News