भारत में चीन की मोबाइल कंपनियों पर ई.डी. की बड़ी कार्रवाई

punjabkesari.in Thursday, Jul 14, 2022 - 05:14 AM (IST)

चीन के बारे में सारी दुनिया जानती है कि वह न तो बिना अपना फायदा देखे और न ही बिना भ्रष्टाचार के काम करता है। चीन जिस देश में अपनी फैक्ट्री लगाता है, वहां के स्थानीय कानूनों की जानकारी पहले से बटोर लेता है, फिर उन कानूनों में लूपहोल खोजकर उससे फायदा उठाता है। यही काम चीन ने भारत में भी किया। जांच एजैंसियों को पता चला कि कुछ चीनी कंपनियां भारत से अवैध तरीके से धन चीन भेज रही हैं। 

इस वर्ष की शुरुआत में चीनी कंपनी श्याओमी रॉयल्टी के नाम पर विदेशों में बसी 3 कंपनियों को अवैध तरीके से 5551.27 करोड़ रुपए भेज रही थी। प्रवर्तन निदेशालय ने बताया कि श्याओमी इंडिया की इन तीनों विदेशी कंपनियों के साथ कोई भी संबंध नहीं थे और न ही श्याओमी इंडिया ने इन तीनों कंपनियों से कभी किसी तरह की कोई सेवा ली थी। श्याओमी इंडिया ने अपने कागजातों में फेरबदल करके चीन में अपनी पेरैंट कंपनी श्याओमी के कहने पर इतने पैसे इन तीनों विदेशी कंपनियों को भेजे थे। इतना ही नहीं, श्याओमी इंडिया ने इन पैसों को विदेशी कंपनियों को भेजने के लिए भारतीय बैंकों को गलत जानकारी दी थी। 

जब श्याओमी इंडिया की चोरी की खबर भारत सरकार तक पहुंची तो उसके बाद भारत में काम करने वाली बाकी चीनी कंपनियों की भी जांच शुरू हुई। इस समय भारत में वीवो, ओप्पो, वन प्लस, हुआवेई जैसी तमाम कंपनियां काम कर रही हैं। इनमें वीवो इंडिया भारतीय बाजार में बहुत अंदर तक घुसी हुई है, जो भारतीय क्रिकेट खेलों में आई.पी.एल. की टाइटल प्रायोजक कंपनी भी रही है, भारतीय खिलाडिय़ों की टी-शर्ट पर वीवो का ब्रांड नेम भी लिखा होता है। 

भारतीय एन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट के शक के दायरे में वीवो इंडिया भी आ गई। ई.डी. ने जब वीवो इंडिया के खातों की जांच की तो पाया कि वह भी भारत से मनी लांड्रिंग का काम कर रही थी। इसके बाद ई.डी. ने भारत के कई राज्यों में वीवो की 44 शाखाओं पर अचानक छापेमारी की। ई.डी. को पूरा शक है कि वीवो इंडिया भी श्याओमी इंडिया की ही तरह भारत से अवैध तरीके से पैसे चीन भेज रही है। 

जैसे ही ई.डी. ने भारत में वीवो इंडिया के 44 कार्यालयों पर छापेमारी की, चीन के विदेश प्रवक्ता त्साओ लीचियान का बयान भी आ गया। इस कार्रवाई से चीन बुरी तरह घबरा गया क्योंकि इस समय भारत और चीन के बीच व्यापार कम होने के बावजूद भारत से पैसा चीन भेजा जा रहा है, लेकिन अभी तक भारतीय एजैंसियों को इसकी वजह और जरिया नहीं मालूम था। चीन ने भारत से अपील की है कि उसने वीवो इंडिया पर जो कार्रवाई की है, हम उम्मीद करते हैं वह भारतीय कानून के दायरे में होगी। भारत में काम कर रही चीनी कंपनियों के साथ कार्रवाई के दौरान किसी भी तरह का भेदभाव न किया जाए। 

हाल ही में ई.डी. ने जम्मू-कश्मीर वीवो मोबाइल की एजैंसी चला रहे एक डिस्ट्रीब्यूटर से शक के आधार पर पूछताछ की तो सारा भेद खुल गया। इसके बाद ई.डी. ने वीवो के खिलाफ  केस दर्ज कर लिया, जिसमें लिखा था कि वीवो के कुछ  शेयर होल्डरों ने अपने नकली पहचान पत्र और दस्तावेज तैयार करवाए थे। 

ई.डी. का कहना है कि अब तक की जांच में यह सामने आया है कि यह फर्जीवाड़ा शेल कंपनियों या फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल कर काली कमाई के धन को विदेशों में भेजने के लिए किया गया था और इसके लिए भारतीय एजैंसियों को धोखे में रख कर बताया गया कि यह धन दूसरे कारोबार में निवेश किया गया है। कुछ पैसा चीन भेजा गया। वर्ष 2018 में पहली बार मेरठ में पुलिस ने वीवो कंपनी का एक बड़ा फर्जीवाडा पकड़ा था। 

वीवो मोबाइल कंपनी एक ही आई.एम.ई.आई. नंबर से 13500 फोन चला रही थी, जबकि हर फोन हैंडसैट का एक अलग आई.एम.ई.आई. नंबर होता है। चीन ने कानूनी और गैर-कानूनी तरीके से जितना पैसा चीन कमा सकता था, उतना कमाया और पकड़े जाने पर उसके अधिकारी वह देश छोड़ कर भाग खड़े होते हैं। 

सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में चीन ने वहां के कानूनों में लूपहोल ढूंढ कर गैर-कानूनी तरीके से वहां की प्राकृतिक संपदा की चोरी, टैक्स चोरी और अवैध व्यापार तक किया है। चीनी कंपनियों की काली करतूतों के खिलाफ दुनिया भर के देशों को सख्त कानून बनाने होंगे, ताकि व्यापार के नाम पर चीन वहां पर आर्थिक सेंधमारी न कर सके।


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