डिजिटल इंडिया : जहां ज्ञान ही शक्ति है

punjabkesari.in Wednesday, Jul 07, 2021 - 04:54 AM (IST)

मैं लगभग 3 दशक पूर्व, केरल के रमणीय ग्रामीण क्षेत्र में, पारंपरिक मत्स्य पालन क्षेत्र में काम कर रहा था। मछली के बाजार मूल्य का मात्र 20 प्रतिशत प्राप्त करने वाले मछुआरों का मुनाफा बढ़ाने के लिए, हमने फाइबरग्लास क्राफ्ट और आऊटबोर्ड मोटर जैसी नई तकनीक की शुरूआत की और यहां तक कि समुद्र तट स्तर की नीलामी भी शुरू की। हालांकि सबसे बड़ी चुनौती जो बनी रही, वह थी भुगतान को सुव्यवस्थित करने के लिए मछुआरों के लिए बैंक खाते खोलना। 

उन दिनों, हमें वास्तविक बैंकों का पता लगाकर किसी खाता धारक को पंजीकृत करने में कम से कम 10 महीने लगते थे। 2021 तक आते-आते, आप एक बैंक शाखा में जाकर ई-के.वाई.सी. और बायोमैट्रिक्स के माध्यम से कुछ ही समय में एक बैंक खाता खोल सकते हैं। डिजिटल परिवर्तन ने वास्तव में एक महत्वपूर्ण बदलाव को सक्षम बनाया है। 

तकनीकी प्रगति और इंटरनैट की तीव्र पहुंच ने पूरे भारत में एक बिलियन से अधिक नागरिकों को एक सामान्य वित्तीय, आर्थिक और डिजिटल इकोसिस्टम में एकीकृत कर दिया है। सबसे सस्ती डाटा दर और 700 मिलियन के करीब इंटरनैट उपयोगकर्ता के साथ हर 3 सैकेंड में एक नया भारतीय उपयोगकत्र्ता इंटरनैट से जुड़ता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से सभी आवासीय गांवों के लिए आधिकारिक फाइबर कनैक्टिविटी के साथ 16 राज्यों में भारतनैट को कार्यान्वित करने की मंजूरी दी है। एक बिलियन से अधिक बायोमैट्रिक्स, एक बिलियन से अधिक मोबाइल और लगभग एक बिलियन बैंक खातों के साथ, हमने पूरी आबादी की मैपिंग करते हुए दुनिया में सबसे बड़ी पहचान प्रणाली का निर्माण किया है। 

एक भुगतान प्रणाली, जो गुजरात के तट से लेकर उत्तर प्रदेश के खेतों और सिक्किम के पहाड़ों में फैले लाखों भारतीयों को जोड़ती है, डिजिटल भुगतान के लिए यू.पी.आई. को वैश्विक और आरोह्य योजना बनाने का जबरदस्त अवसर है। जून 2021 में, यू.पी.आई. ने 5.47 ट्रिलियन रुपए मूल्य के 2.8 बिलियन लेनदेन दर्ज किए। यू.पी.आई. का लेनदेन अब अमेरिकन एक्सप्रैस की विश्व स्तर पर लेन-देन की सं या के दोगुने से अधिक है। हाल ही में, गूगल ने भारत में यू.पी.आई. के सफल कार्यान्वयन की सराहना करते हुए यू.एस.ए. की फैडरल रिजर्व प्रणाली को भारत से प्रेरणा लेने का सुझाव दिया। 

डिजिटल इंडिया परिदृश्य में एक उल्लेखनीय नवाचार जी2बी (सरकार द्वारा व्यापार को)सरकारी ई-बाजार का प्रारंभ रहा है। जी.ई.एम. पोर्टल ने सार्वजनिक खरीद परिदृश्य को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक लाभ उठाया है। अब तक पोर्टल ने 19.17 लाख विक्रेता पंजीकरण लक्ष्य को पार कर लिया है, जो पिछले वर्ष के विक्रेताओं की सं या का लगभग 5 गुना है। 

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत जिन दो प्रमुख क्षेत्रों को भारी प्रोत्साहन मिला है, वे हैं स्वास्थ्य और शिक्षा। ये भारतीय नागरिकों के समग्र जीवनस्तर को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं और एक समग्र विकास पथ का वर्णन करते हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पी.एम.जे.ए.वाई.) स्वास्थ्य देखभाल और प्रौद्योगिकी का एक अनोखा मेल है और दुनिया में सबसे व्यापक कैशलैस, संपर्क रहित, पेपरलैस और डिजिटल स्वास्थ्य बीमा योजना है जो भारत के 500 मिलियन से अधिक नागरिकों को कवर करती है। दूरदराज के क्षेत्रों के मरीज अपने घरों से अस्पतालों तक यात्रा किए बिना विशेषज्ञ देखभाल का लाभ उठा सकते हैं। 

डिजिटलीकरण और इंटरनैट की पहुंच ने भारत भर में छात्रों के लिए सीखने के परिणामों में सुधार लाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। स्मार्ट क्लासरूम और ई-लर्निंग के मॉडल को राज्यों में तेजी से दोहराया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को सीखने की एक पूरी नई दुनिया से परिचित कराया गया है। महामारी के दौरान सरकार द्वारा संचालित कई ऑनलाइन शिक्षण पहलें, जैसे दीक्षा, ई-पाठशाला, स्वयं ने देश के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में छात्रों के लिए निरंतर शिक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

सार्वभौमिक रूप से सुलभ डिजिटल संसाधन, जैसे इंडिया पोस्ट जो दुनिया की सबसे बड़ी क प्यूटरीकृत और नैटवर्क वाली डाक प्रणाली है, आयुष संजीवनी एप्लिकेशन, डिजिलॉकर, उमंग ऐप, कानूनी सलाह के लिए टैली कानून, फेरी वालों (स्ट्रीट वैंडर) के लिए स्वनिधि योजना और गैस सिलैंडरों की आसान बुकिंग के लिए 10,000 बी.पी.सी.एल. सी.एस.सी. केंद्रों की शुरूआत कुछ ऐसे तंत्र हैं जो भारतीय नागरिकों के लिए न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन का काम कर रहे हैं। डिजिटल परिवर्तन की एक अभूतपूर्व सफलता की कहानी लिखने के लिए, भारत के ग्रामीण और अपेक्षाकृत दूर-दराज के प्रदेशों में रहने वाली आबादी की आकांक्षाओं और क्षमता से पूरी तरह परिचित होना अनिवार्य है।-अमिताभ कांत(मुख्य कार्यकारी अधिकारी, योजना आयोग) 
 


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