‘देवभूमि’ हिमाचल नशे की गिरफ्त में

punjabkesari.in Friday, Dec 31, 2021 - 06:33 AM (IST)

हिमाचल प्रदेश को पहले केवल पर्यटन की दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन अब हिमाचल नशे के सौदागरों के लिए किसी बाजार से कम नहीं है, जो पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों से नशे हिमाचल में ला रहे हैं। हिमाचल प्रदेश, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, आज इस शांतिप्रिय प्रदेश से आए दिन नशे की खबरें आ रही हैं, चाहे चिट्टा, चरस, गांजा, हैरोईन हो या भांग। 

किसी से किलो बरामद तो किसी से 600 ग्राम, किसी की चिट्टे की ओवरडोज से मौत या फिर नशे ने उजाड़े कई घरों के चिराग। ये खबरें हिमाचल के लिए अब सामान्य हो गई हैं, जो एक सोचने का विषय है। आखिर क्यों ऐसी घटनाएं हो रही हैं, इन नशे के सौदागरों के पीछे किसका हाथ है, क्या सरकार इन पर कार्रवाई नहीं कर सकती या फिर इनके पीछे रसूखदारों का हाथ है? आखिर इस शांतिप्रिय प्रदेश को हो क्या गया है, जहां का युवा नशे की ओर जा रहा है। अगर जल्द इस समस्या का समाधान न किया गया तो एक दिन ऐसा आ जाएगा कि हिमाचल को नशे के बाजार के रूप में जाना जाएगा, जो इस प्रदेश के लिए एक बहुत बुरी बात होगी। 

हिमाचल जैसे प्रदेश में बात होनी चाहिए पर्यटन की, शिक्षा की, रोजगार की, यातायात सुविधाओं की, विकास के चरणों की लेकिन हिमाचल में बात हो रही है नशे की। हिमाचल सरकार को ऐसे प्रबंध करने चाहिएं कि इन नशे के सौदागरों पर नकेल कसी जाए, इन पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। अगर यही हाल रहा तो हिमाचल से नशेड़ी ही निकलेंगे, होनहार विद्यार्थी नहीं। चिट्टा आखिर हिमाचल में आ कहां से रहा है? इसका ज्यादा व्यापार पंजाब से हिमाचल को होता है। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों की बात करें तो हिमाचल में साल 2016 में 501 अभियुक्तों के साथ 432 केस दर्ज किए गए। इस दौरान करीब 231 किलो चरस, 234 ग्राम हैरोइन, 64 ग्राम स्मैक, 4 ग्राम कोकीन पकड़ी गई। 

इसी तरह साल 2017 में 695 अभियुक्तों के खिलाफ 573 केस रजिस्टर किए गए। 134 किलो चरस, 2.5 किलो हैरोइन, 73 ग्राम स्मैक, 16 ग्राम कोकीन, 4 किलो ब्राऊन शूगर भी पकड़ी गई। लेकिन 2018 में 6 महीनों के भीतर पुलिस ने 789 अभियुक्तों के खिलाफ 653 केस फाइल किए। इनमें सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि पुलिस की गिरफ्त में 6 विदेशी तस्कर भी आए। इसी बीच पुलिस कार्रवाई के दौरान करीब 257 किलो चरस, 4.6 किलो हैरोइन, 293 ग्राम स्मैक, 68 ग्राम कोकीन और 3 किलो ब्राऊन शूगर पकड़ी गई। यह पिछले कुछ सालों की तुलना में दोगुनी है। 2019 में भी बड़ी संख्या में नशा तस्कर पकड़े गए, चाहे हमीरपुर हो या मंडी, कुल्लू या फिर पंजाब से लगते सीमावर्ती जिले हों, जिनमें ऊना, कागड़ा शामिल हैं। पुलिस जहां इसे अपनी एक बड़ी सफलता मानती है, वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि ये आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि नशाखोरी हिमाचल प्रदेश में कितनी तेजी से अपने पैर-पसार रही है। 

सरकार को इस संबंध में जल्द कुछ कड़े नियम लागू करने चाहिएं, अन्यथा हिमाचल ‘नशीला हिमाचल’ बन जाएगा। खासकर युवा वर्ग इस चिट्टे की चपेट में ज्यादा आ रहा है। नशे के सौदागर घर से दूर पढ़ रहे बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। यही युवा इनके लिए नशे को बेचने के लिए किसी मैगा बाजार के समान हैं। अगर युवा ही इस दलदल में धंस रहा है तो देश और प्रदेश कैसे आगे बढ़ सकता है क्योंकि युवा वर्ग ही देश की रीढ़ की हड्डी होता है। अगर वही नशे की गिरफ्त में होगा तो प्रदेश व देश का कुछ नहीं हो सकता। 

हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें कइयों के घर इस नशीले दानव ने उजाड़ दिए, तो कइयों ने पिता की सारी कमाई नशे की डोज लेने के लिए लगा दी। हैरानी तो तब हुई जब एक ने घर की छत के सरिया ही काट कर बेच दिए ताकि नशे का दंश ले सके। इस प्रकार के घटनाक्रमों से स्पष्ट है कि हिमाचल में नशा कोरोना से अधिक अपने पैर जमा चुका है, जिस पर ‘लॉकडाऊन’ लगाना सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि लगाम लगाने वालों के पास से ही नशीली सामग्रियां मिल रही हैं, जिससे वास्तविकता स्पष्ट हो जाती है। 

लेकिन इस नशीले दानव पर जल्द से जल्द नियंत्रण नहीं किया गया तो हिमाचल नशे का केन्द्र तो बनेगा ही, बल्कि अपराध की राजधानी बनने में भी पीछे नहीं रहेगा। सरकार को इस प्रकार की घटनाओं पर स्वयं संज्ञान लेकर कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है। नियम के अनुसार तो शिक्षण संस्थानों के 100 से 200 गज दूर तक इन पदार्थों को नहीं बेचा जा सकता, मगर इन नियमों को चिढ़ाते हुए शिक्षण संस्थानों के सबसे नजदीक पहली दुकान पर ही गुटखा, बीड़ी, सिगरेट देखने को मिलती है। सरकार को कड़े फैसले लेकर इस स्थिति पर नियंत्रण लगाने की आवश्यकता है, तभी हिमाचल खुशहाल व समृद्ध रह सकता है।-प्रो. मनोज डोगरा     
 


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