चीन की विस्तारवादी नीति के विरुद्ध विश्व भर में हो रहे प्रदर्शन

punjabkesari.in Thursday, Jul 09, 2020 - 03:04 AM (IST)

कुछ वर्षों से चीन के महत्वाकांक्षी शासक जापान, वियतनाम, फिलीपींस, भारत, भूटान, तिब्बत, नेपाल आदि देशों के क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश करते आ रहे हैं। चीन ने दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर पर भी अपना अधिकार जताया है। 

निहित स्वार्थों के लिए दूसरे देशों में टांग अड़ाने की चीनी शासकों की नीति के चलते आज भारत सहित विश्व के कम से कम 27 देशों से विवाद चल रहा है और चीन ने 6 देशों के 48 लाख वर्ग किलोमीटर भू-भाग पर अवैध कब्जा कर रखा है। चीनी शासक पहले तो छोटे देशों को अपने ऋण के जाल में फंसा कर वहां अपना हस्तक्षेप बढ़ाते हैं और फिर उन पर अपना अधिकार जताने लगते हैं। इसी रणनीति के तहत चीन ने एक ओर पाकिस्तान के ग्वादर में अपने 5 लाख नागरिक बसाने के लिए शहर बनाने की योजना बनाई है तो दूसरी ओर अपना कर्ज चुकाने में असमर्थ श्रीलंका सरकार से वहां के संसाधनों पर मालिकाना हक मांगना शुरू कर दिया है। 

इसी प्रकार नेपाल को अपने प्रलोभनों के जाल में फंसा कर चीनी शासकों ने वहां की राजनीति में दखल देना और उसे भारत के विरुद्ध उकसाना ही शुरू नहीं किया बल्कि नेपाल के 61 किलोमीटर भू-भाग पर कब्जा भी कर लिया है।
चीनी शासकों की ऐसी करतूतों के चलते वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घिरते जा रहे हैं और उनके विरुद्ध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं : 
* 4 जुलाई को फिलीपीन्स सरकार ने चीन को चेतावनी दी कि वह दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास तुरंत रोके अन्यथा गंभीर परिणाम झेलने के लिए तैयार रहे।
* 4 जुलाई को अमरीका में ‘बायकाट चाइना’ तथा ‘स्टाप चाइनीज एब्यूज’ जैसे बैनर उठाए विभिन्न देशों के नागरिकों ने चीन के विरुद्ध प्रदर्शन किया। 
* 7 जुलाई को चीन द्वारा ‘कोहला पनबजली परियोजना’ सहित नीलम तथा जेहलम नदियों पर अवैध बांधों के निर्माण के विरुद्ध पी.ओ.के. के मुजफ्फराबाद में लोगों ने चीन और पाकिस्तान के विरुद्ध प्रदर्शन किया। 

* 7 जुलाई को चीन में मुसलमानों, विशेषकर उईगर समुदाय के विरुद्ध जारी मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण के विरुद्ध, उईगर मुसलमानों की संस्था ‘ईस्ट टर्किश गवर्नमेंट’ तथा ‘ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट’ ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट आई.सी.सी. में मुकद्दमा भी दर्ज करवाया है। 

* 7 जुलाई को ही नेपाल में चीन की राजदूत ‘होऊ यानकी’ द्वारा ओली सरकार को बचाने के लिए ‘नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी’ के विभिन्न नेताओं से मुलाकात और नेपाल की राजनीति में चीन के हस्तक्षेप के विरुद्ध काठमांडू में छात्रों व सिविल सोसायटी के सदस्यों ने चीनी दूतावास के बाहर भारी प्रदर्शन करते हुए होऊ यानकी के विरुद्ध नारे लगाए तथा उन्हें नेपाल की राजनीति से दूर रहने को कहा। 

चीन की दुर्भावना इसी से स्पष्ट है कि 8 जुलाई को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भारत को चेताया है कि ‘‘तिब्बत चीन का आंतरिक मामला है और भारत को उसे छूना नहीं चाहिए अन्यथा उसे नुक्सान होगा।’’ उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि विश्व समुदाय चीन की आक्रामकता और नीतियों से किस कदर तंग आ चुका है। इस समय सत्ता के मद में चूर चीनी शासकों ने यदि अपने विरुद्ध उठ रही आवाजों को न सुना और अपनी निरंकुश नीतियों को न छोड़ा  तो निश्चय ही वे विश्व समुदाय में अलग-थलग होकर रह जाएंगे।—विजय कुमार 


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