अपशब्द अब ‘गुड’ बन गए, जितने अशिष्ट, उतने अच्छे

punjabkesari.in Wednesday, Dec 07, 2022 - 04:47 AM (IST)

राजनीतिक विरोधी या जानी दुश्मन? दुखद तथ्य यह है कि आज राजनीतिक विरोधियों और जानी दुश्मनों के बीच की पतली लाइन धुंधली हो गई है और यह बात गुजरात तथा हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार के दौरान देखने को मिली। इन चुनावों में प्रचार के दौरान बुनियादी शिष्टता, गरिमा और भाईचारा तथा प्रतिस्पर्धियों के बीच सम्मान सब समाप्त दिखा। यह इस बात को दर्शाता है कि अपशब्दों का प्रयोग किसी बात को सनसनीखेज बनाना और कीचड़ उछालना आज नई राजनीतिक वार्ता बन गया है, जिसमें दुष्ट विजयी होता है। 

महात्मा की भूमि में ये सब कुछ एक खेल बन कर रह गया है। देशभक्त से देशद्रोही तक कांग्रेस अपने जनाधार के बारे में भ्रमित रही। उसके पास कोई चुनावी मुद्दा नहीं था और वह अपने प्रबल प्रतिद्वंद्वी भाजपा को सत्ता में वापसी से रोकने लिए हताश थी। इसलिए उसने अपने परीक्षित फार्मूले अर्थात गाली-गलौच को अपनाया। इस सबकी शुरूआत तब हुई जब कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा, ‘‘मोदी जी प्रधानमंत्री हैं। वह नगर निगम के चुनाव में भी प्रचार करते हैं, विधायक के चुनाव में भी प्रचार करते हैं, सांसद के चुनाव में भी प्रचार करते हैं। हर तरफ दिख जाते हैं। केवल मोदी को देखो और वोट दो। क्या मोदी नगर निगम में आकर काम करेंगे? क्या वह आवश्यकता के समय आपकी सहायता करेंगे? हम कितनी बार आपके चेहरे को देखें? आपके कितने रूप हैं? क्या आपके रावण जैसे सौ सिर हैं?’’ 

इस पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और खरगे पर गुजरात के बेटे का अपमान करने का आरोप लगाया। मौत का सौदागर से लेकर रावण तक कांग्रेस लगातार गुजरात का अपमान करती रही है। भाजपा ने 2004 गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी पर 2002 में राज्य में हुए सांप्रदायिक दंगों पर की गई टिप्पणी का उल्लेख किया। खरगे ने इसका प्रत्युत्तर यह कहकर दिया कि मोदी जी दावा करते हैं कि वह गरीब हैं। यह कैसे संभव है, जब आप 13 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे और अब 8 साल से प्रधानमंत्री हैं। फिर दलित और आदिवासियों की स्थिति की कल्पना करो। मैं भी एक दलित हूं। लोगों ने आपकी चाय पी। मेरी चाय कोई नहीं पीएगा। आप कितनी बार झूठ बोलोगे? वह झूठ के नेता हैं। 

ऐसे अपशब्दों का प्रयोग करने के लिए मोदी ने यह कहकर प्रतिक्रिया व्यक्त की, ‘‘वे कहते हैं कि मोदी को उसकी औकात बता देंगे। मैं आम आदमी हूं। उन्हें मुझे मेरी औकात दिखाने दो। वे मुझे प्रतिदिन अढ़ाई-तीन किलो गाली देते हैं। मोदी कुत्ते की मौत मरेगा। मोदी हिटलर की मौत मरेगा। दूसरा कहता है कि यदि मुझे अवसर मिला तो मैं स्वयं मोदी को मारूंगा। कोई राक्षस कहता है तो कोई कॉकरोच। उन लोगों में प्रतिस्पर्धा है कि कौन सबसे अधिक गाली देता है। कौन सबसे अधिक अपमानसूचक शब्द कहता है। कांग्रेस का अर्थ है भ्रष्टाचार और स्वार्थी राजनीति।’’ 

इस पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘आप प्रतिदिन चार किं्वटल गाली देते हैं, जिसके बिना आपका खाना नहीं पचता।’’ तो दूसरे ने कहा, ‘‘मोदी एक आतंकवादी है, वह पागल है, अपराधी है, जो लोकतंत्र के लिए एक चुनौती है। गुजरात हिन्दू आतंकवादियों का गढ़ है।’’ यह क्रम यहीं नहीं रुका। बॉम्बे उच्च न्यायालय में राहुल गांधी की चोरों के सरदार की टिप्पणी पर एक मामला लंबित है, जो उन्होंने 2018 में राफेल युद्धक विमानों के सौदे के संदर्भ में दिया था। कांग्रेस के पूर्व सांसद मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री के बारे में कहा था, ‘‘यह आदमी बहुत नीच किस्म का है, इसमें कोई सभ्यता नहीं।’’ 

तृणमूल की ममता बनर्जी ने 2 वर्ष पहले कहा था, ‘‘जब मोदी बंगाल आते हैं और कहते हैं कि मैं सबसे बड़ी जबरन वसूली करने वाली हूं, मैं उन्हें लोकतंत्र का सबसे बड़ा थप्पड़ मारना चाहती हूं।’’ उन्होंने आगे कहा कि वह झूठे हैं, वह खून में सने हुए आदमी हैं। मैं उनसे कहूंगी कि यदि वह मेरी पार्टी के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप तलाशेंगे तो वह सौ बार उठक-बैठक करेंगे। इस पर ‘नमो’ ने कहा था कि मैं दीदी को सलाह देता हूं कि वह अपने पार्टी के नेताओं के मुंह पर जोरदार थप्पड़ मारें, जिन्होंने चिटफंड घोटाले में लोगों का पैसा चुराया है। 

यह वाक युद्ध तब और उलझा जब मोदी ने तृणमूल कांग्रेस के तोलाबाजी कर की बात की, जिसे राज्य में बुआ ममता और उनके भतीजे द्वारा लागू किया जा रहा है। इस पर ममता ने कहा कि वह एक बदतमीज नालायक बेटा है, जो अपनी मां और अपनी पत्नी की देखभाल नहीं करता। यही नहीं, राजद की राबड़ी देवी ने मोदी को खूंखार मानसिकता वाला एक जल्लाद कहा था।  

भाजपा और बसपा के बीच चुनाव पश्चात गठबंधन की संभावना पर मोदी और मायावती के अविवाहित रहने की स्थिति से जोड़ा गया, जिसके बारे में कहा गया था वह तीन बार मोदी की गोद में बैठ चुकी हैं, जबकि राकांपा के पवार ने मोदी को एक विक्षिप्त व्यक्ति कहा, जिसे मानसिक अस्पताल में उपचार की आवश्यकता है। इस पर भाजपा ने प्रतिक्रिया दी थी कि पवार का आकार इतना बड़ा है कि वह ठीक से चल भी नहीं सकते और मायावती एक वेश्या है। 

इस सब में नया क्या है? क्या यह आज राजनीतिक वार्ता का अभिन्न अंग नहीं बन गया है? ऐसी गंदी बातें सार्वजनिक रूप से कही जाती हैं, जिन पर दर्शक और श्रोता सीटी बजाते हैं। आप जितने अशिष्ट होंगे, उतना बेहतर। प्रश्न उठता है कि क्या यह कीचड़ उछालना कभी बंद होगा। कभी नहीं। सभी एक ही रंग में रंगे हुए हैं। कांग्रेस, भाजपा या कोई भी पार्टी हो। आपको ध्यान होगा कि मोदी ने सोनिया को इटालियन कीचड़ कहा था, जो उन पर नहीं चिपकेगा। सोनिया हिन्दुओं से घृणा करती हैं, वे हिन्दुओं के विरुद्ध बोलती हैं और जब हिन्दुओं पर अत्याचार होता है तो वह चुप रहती हैं। यही नहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता अडवानी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को निकम्मा कहा था। आज राजनेताओं के बीच वार्तालाप इतना अपशब्दपूर्ण और अशिष्ट क्यों बनता जा रहा है? क्या ऐसे आचरण और भाषा को माफ किया जा सकता है? 

दिल्ली में भाजपा पर आरोप है कि उसने ‘आप’ के केजरीवाल को कुत्ता कहा और उसकी एक महिला उम्मीदवार को वेश्या, जातिसूचक गालियां भी दीं। किंतु मैं इन सब बातों को लेकर हैरान नहीं हूं, क्योंकि हमारे नेतागण गिरगिट की तरह अपना असली रंग दिखा रहे हैं। वे सारी सार्वजनिक शिष्टता और गरिमा त्याग रहे हैं और वे दिन लद गए, जब हास्य और व्यंग्य के रूप में कटाक्ष किए जाते थे और नेतागण उनको उसी भावना से लेते थे। यह बताता है कि हमारी प्रणाली में दिवालियापन आ गया है जिसमें हमारे नेताओं ने निम्न स्तर की नैतिकता और उच्च स्तर के प्रलोभन में महारथ हासिल कर ली है और हमारी खंडित राजनीति ने उसे और दूषित किया है। 

राजनीतिक गाली-गलौच एक तरह से वोट आकर्षित करने का मंत्र बन गया है और नेता आशा करते हैं कि ऐसा कर उन्हें तृप्ति तथा सत्ता मिलेगी तथा इस क्रम में लोकतंत्र का विचार ही दूषित हो गया है। समय आ गया है कि हमारे राजनेता इस बात को समझें कि अपशब्दों तथा गाली-गलौच का प्रयोग और अनैतिकता लोकतंत्र के आधार नहीं हो सकते। हमारे राजनेताओं को देश को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बात करनी चाहिए। चुनाव प्रचार में गरिमापूर्ण वाद-विवाद होना चाहिए तथा आक्रामक और अपशब्दपूर्ण भाषा को बिल्कुल सहा नहीं जाना चाहिए। आप किसी पर एक उंगली उठाओगे तो आपकी ओर चार उंगलियां उठेंगी। क्या कोई देश नैतिकता और शर्म की भावना के बिना रह सकता है?-पूनम आई. कौशिश          
 


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