नई चुनौती के तौर पर उभरती ‘क्रिप्टो करंसी’

punjabkesari.in Monday, Mar 09, 2020 - 03:31 AM (IST)

विश्व में भारत  जैसे कई देश अर्थव्यवस्था में समानांतर नकदी व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने में लगे ही थे कि अब इस नई डिजीटल इकोनॉमी में भी क्रिप्टो-करंसी नाम की एक डिजीटल करंसी बड़े ही धीरे-धीरे दस्तक दे रही है। अभी हाल में इस पर आर.बी.आई. द्वारा लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटाने को कहा है। यह कई देशों में तो पैर पसार ही चुका है और इसकी दस्तक अब भारत में भी हो चुकी है बिटकॉइन, एटीसी कॉइन एवं तरह-तरह के नामों के रूप में। दुनिया के भौतिक बाजार आजकल ऑनलाइन हो रहे हैं और यह ऑनलाइन डैस्कटॉप और लैपटॉप की यात्रा को पार करते हुए हमारे फिगर टिप्स पर बसे मोबाइल पर आ गए हैं और लोग अपनी खरीददारी का एक बड़ा भाग आजकल इस आभासी माध्यम मोबाइल इंटरनैट से कर रहे हैं। लोगों के पास भौतिक वैलट की जगह वर्चुअल वैलट होने लगे हैं। 

मुद्रा का अस्तित्व मानव जीवन के व्यवस्थित अस्तित्व के लिए एक बड़ा आविष्कार है जिसने मानव जीवन को नियंत्रित एवं व्यवस्थित करने का कार्य किया और यह किसी भी राष्ट्र के उसके खुद के आॢथक, सामाजिक एवं राजनीतिक प्रशासन का मेरुदंड है। कालांतर में जब हमने मानव की बस्तियां बसाईं तो इस पृथ्वी ग्रह के बुद्धिमान प्राणियों ने विनिमय की शुरूआत की और जैसे-जैसे मानवों की बस्तियां बढ़ीं, गांव बने, कस्बे बने और धीरे-धीरे राष्ट्र राज्य का जन्म हुआ। इसी राष्ट्र राज्य ने अपने राज्य में नागरिक प्रशासन एवं सुविधा के साथ व्यापार एवं लेन-देन की प्रक्रिया को भी नियमित किया और माध्यम बना मुद्रा और तभी से विनिमय के लिए सत्ता प्रतिष्ठानों ने मान्यता प्राप्त धातु की एक भौतिक मुद्रा का चलन प्रारंभ किया, जिसे मुद्रा का नाम दिया गया और यहीं से विनिमय का मानकीकरण मुद्रा के रूप में होता गया और राज्यों का शासन एवं नियंत्रण मुद्रा के माध्यम से नागरिकों के ऊपर बढ़ता चला गया। 

राज्य द्वारा मान्यता के अलावा मुद्रा की सबसे बड़े विशेषता होती है और उसकी जन द्वारा सामान्य स्वीकृति। अगर किसी मुद्रा में जन द्वारा सामान्य स्वीकृति नहीं है तो राज्य प्रतिष्ठान द्वारा मान्यता प्राप्त होने के बाद भी वह मुद्रा नहीं हो सकती है। आज के दौर की क्रिप्टो करंसी बाजार ने इसी सूत्र वाक्य को पकड़ा है। जैसे-जैसे दुनिया भौतिक से आभासी होती जा रही है, क्रिप्टो करंसी नाम की व्यवस्था ऑनलाइन माध्यम से नागरिकों के बीच अपना घर बनाती जा रही है। क्रिप्टो करंसी एक आभासी मुद्रा है और आज के इस भौतिक मुद्रा की तरह इसका कोई धातु या कागज का स्वरूप नहीं है, न ही अंतिम तौर पर इसकी गारंटी किसी राज्य एवं उसके केन्द्रीय बैंक द्वारा कोई भौतिक स्वरूप में है। यह विशुद्ध रूप से एक डिजीटल करंसी है जिसे आप न तो देख सकते हैं और न ही आप छू सकते हैं। हां, इसे आप अपने डिजीटल वैलट में डिजीटली संग्रहीत कर सकते हैं और कई जगह डिजीटल सौदे कर सकते हैं। 

आज के राष्ट्र राज्य की अवधारणा में क्रिप्टो करंसी एक नई और बड़ी चुनौती है। यह एक नई आभासी दुनिया का निर्माण कर रही है, उस आभासी दुनिया की करंसी का निर्माण कर रही है और उसकी नई सीमा रेखा का निर्माण कर रही है। अब कोई भी देश दूसरे देश को आर्थिक रूप से बर्बाद करना चाहे तो इस क्रिप्टो करंसी के इस्तेमाल से यह संभव हो सकती है, जिसमें उस देश के लोग जब उस देश के केन्द्रीय बैंक की मुद्रा को नकारने लगे। यह ब्लैक मनी के लिए भी एक बड़ा खाद-पानी है और इसके माध्यम से पैसा राष्ट्र से बाहर भी जा सकता है। अब किसी देश के नागरिकों को किसी देश के मान्यता प्राप्त करंसी को संग्रहीत करने, बैंक में जमा करने, लेन-देन करने और लेखा करने की जरूरत नहीं है। यह पूरी तरह पीयर टू पीयर अवधारणा पर काम कर रहा है, जहां राज्य का हस्तक्षेप नहीं है। 

आज की यह आधुनिक करंसी हमें वर्तमान व्यवस्था से अलग ले जा रही है जब मानवों के विकास एवं सुखमय जीवन के लिए राज्य की स्थापना हुई थी तथा राज्य का नियंत्रण जनता पर पूरी तरह स्थापित हो पाया था व कर भार लगाने का एक आधार मुद्रा का जन्म हुआ था और राज्यों से सीमा रेखा के माध्यम से संप्रभु राष्ट्र को स्थापित किया गया था। क्रिप्टो करंसी का प्रचलन केवल राष्ट्र की भूमिका और उसके राष्ट्रवाद को ही नहीं खत्म कर रहा है यह उस राज्य के द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स आधार को भी खत्म कर दे रहा है, यह अन्य टैक्स बेस-ईरोजन से बड़ा बेस-ईरोजन है। मानव सभ्यता के बड़े दुश्मन आतंकवादी, ड्रग माफिया एवं तस्कर भी इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर सकते हैं। भले ही इस पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है लेकिन जब तक यह सरकार द्वारा रैगुलेटिड नहीं होती है तथा इसके पीछे कोई सम्पत्ति का मूल्य नहीं होता है, ऐसा लगता नहीं है कि सरकार इसे स्वीकार कर पाएगी।-पंकज जायसवाल


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