केंद्र में बाबुओं की कमी का संकट

punjabkesari.in Thursday, Jun 24, 2021 - 04:16 AM (IST)

मोदी सरकार में बाबुओं का एक संकट चल रहा है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग सचिव दीपक खांडेकर ने अपने कई आकाओं को सूचित किया है कि सरकार के बार-बार केंद्र में अधिकारियों को नियुक्त करने के राज्यों को निवेदन करने के बावजूद कुछ भी आगे नहीं बढ़ पा रहा और न ही कोई व्यक्ति तैयार है। 

इस विभाग ने और अधिक अधिकारियों को डिप्टी सैक्रेटरी, डायरैक्टर तथा ज्वाइंट सैक्रेटरी स्तर के पदों के लिए अधिकारियों की मांग की थी। ज्यादातर राज्यों का कहना है कि वह खुद ही अधिकारियों की कमी से जूझ रहे हैं जिसके चलते वरिष्ठ राज्य अधिकारियों को अन्य विभागों को भी संभालना पड़ रहा है। हालांकि कर्नाटक तथा हिमाचल ने हाल ही में वायदा किया था कि कुछ महीनों से अधिकारियों का आना-जाना चलता रहेगा। 

सूत्रों का कहना है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने राज्यों को पिछले सप्ताह निवेदन किया था कि केंद्र की प्रतिक्रिया पर सही ढंग से जवाब न देने के चलते केंद्र में कैडर प्रबंधन की समस्या उपज रही है। मगर सूत्रों का कहना है कि अब इस मामले पर मोदी सरकार ने नवीनतम राजनीतिक संदेश भेजे हैं। इस विभाग से मिले पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि जो कैडर सैंट्रल स्टाफिंग स्कीम के लिए पर्याप्त नामांकन नहीं भेजेंगे उन्हें भविष्य में कुछ अतिरिक्त वरिष्ठ ड्यूटी पदों के लिए तैयार रहना होगा। क्या राज्य सरकारें इसका संज्ञान लेंगी? क्या राजनीतिक आका अपने योग्य अधिकारियों को दिल्ली भेजने के लिए तैयार नहीं हैं? 

एयर इंडिया की कहानी में एक नया मोड़ : एयर इंडिया विनिवेश एक चट्टान और एक सख्त लैंडिंग में फंस कर रह गया है। कोविड महामारी की दूसरी लहर ने इसे और आगे लटका दिया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार भी इसके अध्याय को बंद करने के बारे में कुछ महत्वाकांक्षी और आशावादी हो गई है। परेशान वाहक एयर इंडिया के चाहने वालों की यहां पर कमी नहीं है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के बाबू एक नई बाधा के खिलाफ आगे आए हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मध्यस्थ न्यायाधिकरण में केयर्न एनर्जी के खिलाफ एक टैक्स विवाद में भारत के हारने के बाद क पनी एयर इंडिया की परिस पत्ति को जब्त कर सकती है। 

नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप सिंह खरौला के पास अब वास्तव में इससे निपटने का सिरदर्द है क्योंकि सरकार ने अभी इसके हिस्से की बिक्री को स पूर्ण करने के लिए समय रेखा को अंतिम रूप देना है। सरकार ने एयरलाइन तथा इसकी परिस पत्तियों का मूल्यांकन भी करना है। 

मोदी सरकार के लिए केयर्न को खो देना एक प्रमुख झटका है और उसकी छवि के लिए भी यह बात ठीक नहीं। बेशक केन्द्र का कहना है कि एयरलाइन की परिस पत्तियों को लेने का केयर्न के हर प्रयास का बचाव किया जाएगा और उसने मध्यस्थ निर्णय को वास्तव में चुनौती दी है मगर जब तक मामला सुलझ नहीं जाता और भारत के पक्ष में निर्णय पलट नहीं जाता तब तक नागरिक उड्डयन मंत्रालय में खरौला तथा उनके साथी आसानी से आराम से बैठक नहीं सकते। 

वास्तव में इस नई धमकी के नतीजे में नागरिक उड्डयन बाबू इस कानूनी धमकी के साथ निपटने के लिए अपने मंत्रालय और कानून मंत्रालय में इधर-उधर भाग रहे हैं। इस कहानी पर विराम लगने के लिए अभी कुछ और मौसमों का इंतजार करना होगा। भाजपा के दिमाग में उत्तर प्रदेश : दो भाजपा शासित राज्यों के सेवानिवृत्ति के निकट पहुंचे वरिष्ठ बाबू उत्तर प्रदेश के पूर्व मु य सचिव अनूप चन्द्र पांडे की बतौर नए निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के साथ नाराज हैं। मगर स्पष्ट तौर पर यह कार्य दिल्ली से हुआ है। उत्तर प्रदेश के मु यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा बड़े बाबुओं के बीच झड़पें खुलेआम हुई थीं। यहां तक कि अपने गृह कैडर में बाबू हांफते हुए नजर आए थे। 

पांडे की नियुक्ति को कई लोग केन्द्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश को वापस अपने हाथ में लेने के लिए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता शुरूआती कदम बता रहे हैं। आने वाले विधानसभा चुनावों में पांडे सैंट्रल कंट्रोल का रिमोट हो सकते हैं। मगर पदाधिकारियोंं के लिए यह आग पर चलने जैसा है क्योंकि निर्वाचन आयुक्तों का भूत अभी भी निर्वाचन भवन पर घूमता दिखाई देता है। पांडे ने सुशील चन्द्र तथा चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को चुनावी पैनल के लिए ज्वाइन कर लिया है। 

इसमें कोई दो राय नहीं कि पांडे की नियुक्ति के बारे में उनकी पृष्ठभूमि पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कइयों का यह मानना है कि तीनों चुनाव आयुक्त यू.पी. से संबंध रखते हैं! वर्तमान मु य चुनाव आयुक्त सुशील चन्द्र ने राज्य के राजस्व विभाग में एक ल बा कार्यकाल बिताया है और चुनाव आयुक्त राजीव कुमार उत्तर प्रदेश के पूर्व वित्त सचिव हैं। 2019 तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य के प्रमुख सचिव के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने के अलावा पांडे राज्य के औद्योगिक विकास आयुक्त भी रह चुके हैं। जैसे-जैसे यू.पी. के चुनाव निकट आ रहे हैं हमें और बाबुओं को भी इस राज्य से देखने के लिए तैयार रहना चाहिए।-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन


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