क्रिकेट एक खेल है, दुश्मनी निकालने के लिए युद्ध नहीं

punjabkesari.in Sunday, Nov 14, 2021 - 03:22 AM (IST)

आज टी-20 विश्व कप का समापन हो जाएगा तथा विजेता के बारे में पता चल जाएगा। यह भारत नहीं होगा। भारत द्वारा खेले गए 2 पहले मैचों में पाकिस्तान तथा न्यूजीलैंड ने इसे दो जबरदस्त झटके दिए। पहले मैच में पाकिस्तान ने भारत को 10 विकेट से हराया। अगले मैच में न्यूजीलैंड ने भारत को 8 विकेट से पराजित किया। 

किसी भी अन्य क्रिकेट खेलने वाले देश की तरह पाकिस्तान एक कड़ा प्रतिद्वंद्वी है। यद्यपि जब पाकिस्तान भारत के साथ खेलता है तो इसे 2 कट्टर शत्रुओं के बीच युद्ध के तौर पर देखा जाता है। मेरा मानना है कि यह महज क्रिकेट शत्रुता नहीं है जिसने हजारों भारतीयों तथा पाकिस्तानियों को एक ऐसे शत्रुतापूर्ण व्यवहार की ओर धकेल दिया है जो आखिरकार एक खेल है।

खेल बदल गया है 
एक ऐसा समय था जब भारत में क्रिकेट एक शहरी खेल था, मुख्य तौर पर मध्यमवर्ग का। खिलाडिय़ों की प्रशंसा की जाती थी महिमामंडन नहीं। अपने निजी जीवन में खिलाड़ी सामान्य नौकरियां करते थे, उनकी पत्नियां विवाह करवाने के तुरन्त बाद सैलीब्रिटी नहीं बन जाती थीं। 

खिलाडिय़ों को थोड़ी धनराशि दी जाती थी, क्रिकेट खेल कर वे काफी धन नहीं कमाते थे और अधिकतर समय वे उत्पादों का विज्ञापन करके कमाते थे। (बापू नाडकर्णी, बाएं बाजू के धीमी गति के गेंदबाज जो एक के बाद एक मेडन ओवर डाल सकते थे, ने खुलासा किया था कि वे बाम्बे स्थित ब्राबोर्न स्टेडियम पहुंचने के लिए एक उपनगरीय ट्रेन लेते थे और भारत के लिए टैस्ट मैच खेलने के लिए उन्हें प्रतिदिन 50 रुपए दिए जाते थे।) अब यह खेल पहचान से कहीं अधिक बदल गया है। दशकों तक इसका एकमात्र संस्करण पांच दिवसीय टैस्ट मैच था-धीमा, आमतौर पर उबाऊ तथा परिणाम के बारे में कोई निश्चितता नहीं। बदलाव एक दिवसीय मैच से शुरू हुआ, दोनों पक्षों के लिए 50-50 ओवर जिसे एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच कहा जाने लगा। 
इसमें ‘ड्रा’ का कोई प्रश्र नहीं था क्योंकि प्रतिस्पर्धा एक विजेता सामने लाती थी। मैच का टाई होना दुर्लभ था और टाईब्रेकर मैच से विजेता बनता था। 20 ओवर संस्करण के लागू होने से खेल में और भी अधिक नाटकीय बदलाव आ गया। कोई नहीं जानता कि अगला बदलाव क्या होगा? लेकिन निश्चित तौर पर इसका उद्देश्य दशकों में नई जान फूंकने के रूप में होगा। यदि मैं दर्शक होता तो यह तीन दिवसीय टैस्ट मैच होता जिसकी 2-2 पारियों में दोनों टीमों को 50-50 ओवर खेलने होते। 
अब और अधिक देश क्रिकेट खेल रहे हैं तथा उनसे भी अधिक अब किसी भी टीम को किसी अच्छे दिन हराने के लिए तैयार हो रहे हैं। अफगानिस्तान इसका एक उदाहरण है (विश्व कप में 5 मैचों में 2 जीते)। 

आधारभूत भावनाएं
यह अत्यंत चिंता की बात है कि भारत तथा पाकिस्तान क्रिकेट के मैदान पर खुद को महज प्रतिस्पॢधयों की बजाय एक-दूसरे के दुश्मन समझते हैं। दो देशों के खिलाडिय़ों के बीच खेला जाने वाला कोई भी अन्य खेल इस तरह की दुश्मनी पैदा नहीं करता। ओलिम्पिक जैवलिन चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने पाकिस्तान के अरशद नदीन को हराया और इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तानी प्रशंसकों ने कोई गुस्सा या नफरत नहीं दिखाई। मैं समझता हूं कि यदि परिणाम इसके विपरीत होता तो वही शांतिपूर्ण माहौल भारत में भी होता। 

क्रिकेट के बारे में ऐसा क्या है जो इस तरह की आधारभूत भावनाएं पैदा  करता है जो अन्यथा भारत तथा पाकिस्तान के प्रशंसकों के बीच दिखाई देती हैं? कुछ लोगों का मानना है कि इसका कारण दोनों देशों के बीच लड़े गए युद्ध, सीमा पार आतंकवादी गतिविधियां तथा राजनीतिक भाषणबाजी है। फिर भी अपने समर्थकों को खूंखार सैनिकों में बदले बिना दोनों देशों के खिलाड़ी एक-दूसरे के  साथ हॉकी या बॉक्सिंग अथवा कुश्ती की प्रतिस्पर्धाएं खेलते हैं। 

इससे और भी दुखदायी यह है कि पारस्परिक बैर एक बदले में परिवर्तित होकर व्यक्तिगत खिलाडिय़ों को निशाना बनाता है। पाकिस्तान के हाथों भारत की हार के बाद मोहम्मद शमी को अपमानित तथा ट्रोल किया गया। इसका एक स्वाभाविक तथा इंकार न किया जा सकने वाला कारण यह था कि शमी एक मुसलमान हैं। उन्हें अपमानित करने वाले यह भूल गए कि शमी की गेंदबाजी ने भारतीय टीम के लिए कितनी संख्या में मैच जिताए हैं। वह बहुत मेहनती हैं जो ऊर्जा के शानदार स्पैल पेश कर सकते हैं। 

इतना ही दुखदायी थी पाकिस्तान के एक मंत्री की टिप्पणी कि पाकिस्तान की जीत ‘इस्लाम की विजय’ थी। शमी की तरह बहुत से मुस्लिम खिलाडिय़ों ने भारत को गौरवान्वित किया है। जो नाम तुरन्त मेरे दिमाग में आते हैं वे हैं मोहम्मद अजहरुद्दीन, अब्बास अली बेग, सलीम दुर्रानी तथा  पटौदी के नवाब मंसूर अली खान। इनमें से दो ने भारतीय टीम की कप्तानी की है। 

जहर फैलाना बंद करें
मुझे संदेह है कि जो जहर भारत की राजनीति में फैलाया जा रहा है वह क्रिकेट के स्टेडियम तथा क्रिकेट देखने वाले लिविंग रूम्स में फैल गया है। भारत के बेहतरीन लेखकों, कवियों, संगीतकारों, पेंटरों, अभिनेताओं, वैज्ञानिकों, प्रोफैसरों व अध्यापकों, डाक्टरों, वकीलों, आॢकटैक्ट्स, व्यवसायियों तथा विधायकों में मुसलमान हैं। शमी का मुस्लिम मत उनके क्रिकेट कौशल तथा उनकी उपलब्धियों के लिए अप्रासांगकि है। यह अच्छा है कि कप्तान विराट कोहली ने अपमान करने वालों तथा ट्रोलरों को ‘रीढ़ विहीन लोग’  बताने तथा उनकी आलोचना करने में जरा भी समय नहीं गंवाया। जीवन के विभिन्न पहलुओं से लोगों ने ऐसा ही किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि खेल मंत्री ने चुप्पी बनाए रखी। 

जब भारत के किसी भी नागरिक (इस मामले में शमी) को उसके धर्म के कारण अपमानित किया जाता है तो अन्य नागरिकों को वह अपमान महसूस करना चाहिए। जब एक ‘व्हाइट सुपरमैसिस्ट’ द्वारा 51 मुसलमानों की हत्या कर दी गई तो न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिन्डा आर्डर्न ने 3 सामान्य शब्दों ‘वी आर वन’ यानी हम एक हैं से अपने नागरिकों को एकजुट किया। मैं भारत में ऐसे शब्द सुनना चाहता हूं।-पी. चिदम्बरम


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