कोविड-19 : बाद में अफसोस करने की बजाय सावधानी बरतना अच्छा

punjabkesari.in Tuesday, Nov 16, 2021 - 04:23 AM (IST)

क्या कोविड-19 की तीसरी लहर आएगी? स्वास्थ्य मंत्रालय कुछ सप्ताहों से संभावित तीसरी लहर के बारे में चेतावनी दे रहा है। हालांकि कोई भी नहीं जानता कि यह भारत में आएगी भी या नहीं और अगर आती है तो यह कितनी ताकतवर होगी। कोविड-19  के उभरने तथा शांत रहने के समय काल रहे हैं और फिलहाल भारत में यह शांत है। 

जनवरी, 2020 के बाद से कोविड ने 2020 से अधिक देशों तथा क्षेत्रों पर हमला किया है। इस वायरस ने वैश्विक स्तर पर लगभग 25.20 करोड़ लोगों को संक्रमित किया है तथा मौतों की संख्या 50 लाख तक पहुंच गई है। सर्वाधिक प्रभावित देशों में अमरीका, ब्राजील तथा भारत शामिल हैं। 

भारत में पहला केस जनवरी, 2020 के अंत में सामने आया जब तीन भारतीय विद्याॢथयों ने चीन के वुहान से दक्षिणी राज्य केरल की यात्रा की। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में अभी तक कुल 3,44,37,307 मामले हैं तथा मौतों की कुल संख्या 4,63,530 है। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड जाएगा नहीं और हमें इसके साथ ही रहना होगा। उन्होंने यह भविष्यवाणी भी की कि वर्तमान चुप्पी तूफान से पहले की शांति हो सकती है तथा तीसरी लहर एक स्पष्ट संभावना है। ऐसा दिखाई देता है कि 6 मई को चरम पर पहुंचने के बाद ऐसा अब राष्ट्रीय वक्र गिरावट के चरण में प्रवेश कर गया है। हालांकि नीति आयोग के सदस्य डा. वी.के. पॉल ने चेतावनी दी है कि हम वर्तमान स्थिर स्थिति को गारंटी से नहीं ले सकते और हमें इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए कि महामारी अभी जारी है तथा यदि हम सतर्क नहीं होंगे तो यह एक अवांछित मोड़ ले सकती है। 

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अब यदि तीसरी लहर हमला करती है तो इसके पहले वाली से कमजोर होने की संभावना है। इसके साथ ही भारत तीसरी लहर से निपटने के लिए बेहतर तैयार है। केंद्र तथा राज्य सरकारों ने कहा है कि वे भारत में तीसरी लहर का सामना करने के लिए अधिक तैयार हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भारत ने गत कुछ महीनों में अस्पतालों में अधिक बैड जोड़े हैं तथा 100 ऑक्सीजन करियर से अधिक का आयात करके इनकी संख्या को लगभग 1250 तक पहुंचाया है। 

डा. पॉल ने कहा है कि हमारे पास यह गणना करने के लिए कोई सीधा व स्पष्ट फार्मूला नहीं है कि इस बार यह किस हद तक शिखर तक पहुंचेगी क्योंकि 71 प्रतिशत लोगों का पहला टीकाकरण हो चुका है तथा संक्रमण के खिलाफ कुछ स्तर तक प्राकृतिक  प्रतिरक्षा पैदा हो चुकी है। मगर सरकार प्रतिदिन 4.5 से 5 लाख केसों के उभार के लिए तैयारी कर रही है। हर तरफ आशावाद है। सबसे पहले 1.10 अरब से अधिक लोगों ने पहले ही टीकाकरण करवा लिया है। महामारीविद् एवं हृदय रोग विशेषज्ञ तथा पब्लिक हैल्थ फाऊंडेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष डा. के. श्रीनाथ रैड्डी के अनुसार अब अति संवेदनशील लोगों की संख्या कम होगी क्योंकि बहुत से लोग संक्रमित अथवा वैक्सीनेट हो चुके हैं। 

दूसरे, जनता की शुरूआती हिचकिचाहट ने अब विश्वास को स्थान दे दिया है तथा अधिक से अधिक लोग अब टीकाकरण करवाने के लिए आगे आ रहे हैं। इस वर्ष के शुरू में जब टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था, बहुत से शिक्षित लोगों ने भी ‘प्रतीक्षा करो और देखो’ का रवैया अपनाया था। तीसरे, गत वर्ष में केंद्र तथा राज्यों ने स्वास्थ्य देखरेख सुविधाओं में सुधार किया, सरकारी तथा निजी अस्पतालों दोनों में बैड की संख्या बढ़ाई तथा कोविड दिशा-निर्देशों को आवश्यक बना दिया। राज्य भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। 

दुर्भाग्य से, विशेषकर हमने त्यौहारों के दौरान देखा है कि लोग लापरवाह हो गए। प्रकृति ने भी अपनी भूमिका निभाई तथा वर्षा और बाढ़ों से प्रभावित लोग जब अपने जीवन तथा सम्पत्ति के लिए खतरे का सामना कर रहे हों तो वे नियमों का पालन नहीं कर सकते। 

यह लापरवाही इस मान्यता के कारण भी है कि सबसे खराब स्थिति अब निकल चुकी है। भारत की कोविड-19 की दूसरी विनाशकारी लहर की यादें अब धीरे-धीरे कम हो रही हैं। कोविड नियमों में छूट मिलने के बाद शहरों में मॉल्स तथा पार्कों में अब भीड़भाड़ दिखाई देने लगी है। व्यवसाय पटरी पर लौटने लगे हैं तथा यह सब इस प्रभाव के चलते हो रहा है कि कोविड समाप्त हो गया है। यहां तक कि सरकार का भी यही मानना है क्योंकि गत मार्च में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवद्र्धन ने घोषणा की थी कि भारत में कोविड मृत है। चौथे, अभी भी गरीब देशों के अधिकांश लोगों का टीकाकरण किया जाना है जबकि अमीर देश बूस्टर डोज के साथ आगे बढ़े हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि विश्व से कोविड का पूर्ण सफाया काफी अनिश्चित दिखाई देता है। 

दिल्ली जैसे राज्यों को दोहरी आपदा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि नवम्बर तथा दिसम्बर के दौरान शहर उच्च वायु प्रदूषण का सामना करता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोविड-19 फेफड़ों को प्रभावित करता है, वायु प्रदूशण प्रदाह  का कारण बनता है। इस तरह से फेफड़ों पर दोहरा दबाव पड़ता है। यह अधिक सख्त बीमारियों का कारण बनता है जिसके परिणामस्वरूप अस्पतालों में अधिक भर्तियां तथा मौतें होती हैं। हालांकि अफसोस करने की बजाय सावधानी बरतना अच्छा है। जहां सरकार जितना कर सकती थी उतना उसने किया है, दायित्व सामान्य जनता पर भी है कि वह सहयोग करे। उन्हें नियमों का पालन न करके कोविड द्वारा फैलाए जाने वाले खतरे के प्रति अधिक जागरूक अवश्य होना चाहिए। 

महामारी के साथ लड़ाई में केंद्र, राज्यों, जनता तथा निजी क्षेत्र को अपनी निर्धारित भूमिका निभानी है। जब सभी हितधारकों के बीच तालमेल होगा केवल तभी देश सफलतापूर्वक कोविड के साथ लड़ाई लड़ सकेगा।-कल्याणी शंकर


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