मादक पदार्थों का ‘स्वर्ग’ है पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान

punjabkesari.in Saturday, Jun 13, 2020 - 10:35 AM (IST)

वर्तमान में दुनिया के दिमाग में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई, संदेह और अफवाहों की बात घर कर गई है। इस वायरस के खिलाफ लड़ाई में जहां हजारों मानवीय जीवन दाव पर लगे हैं दुनिया का ध्यान एक और बड़े युद्ध की ओर गया है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एशिया में वैश्विक मादक पदार्थों के व्यापार से आ रहे धन की वजह से कमजोर पड़ गई है। इस क्षेत्र के स्वर्ग में मुस्लिम बहुल राष्ट्र पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान शामिल हैं। ये देश दुनिया में सबसे ज्यादा अफीम की खेती करते हैं और इन देशों के लिए हैरोइन अवैध राजस्व का मुख्य स्रोत है। विशेष रूप से अफगानिस्तान के लिए जहां पर मादक पदार्थों के व्यापार ने तालिबान को जन्म दिया जोकि एक खूंखार आतंकवादी संगठन है। यू.एन.ओ.डी.सी. की 2019 में आई वाॢषक रिपोर्ट के अनुसार यह देखा गया कि अफगानिस्तान में अफीम के उत्पादन में 37 प्रतिशत वृद्धि हुई है और म्यांमार में 25 प्रतिशत उत्पादन की कमी आई है। यह मादक उत्पादों के मुख्य खिलाड़ी हैं। अफगानिस्तान दुनिया के अफीम उत्पादन में 87 प्रतिशत से अधिक का अपना योगदान देता है। अफगानिस्तान में अफीम पैदा करने वाले अधिकांश क्षेत्र तालिबान के नियंत्रण में हैं। जिसके पाकिस्तान की जासूसी एजैंसी आई.एस.आई. के साथ करीबी संबंध हैं। 

अफगानिस्तान में अफीम को और अधिक रिफाइन करने के माध्यम से हैरोइन प्राप्त की जाती है। वैश्विक वितरण के लिए पारंपरिक तौर पर इसे तीन मार्गों के माध्यम से पहुंचाया जाता है जिसमें बालकान, मध्य एशियाई देश या भारतीय उपमहाद्वीप शामिल हैं। यह देखा गया है कि 2015 से बालकान और मध्य एशियाई देशों से हैरोइन की कम बरामदगी की सूचना प्राप्त हुई है। यह बात दर्शाती है कि ईरान तथा मध्य एशिया में खतरे को नियंत्रण करने में सरकारी हस्तक्षेप में वृद्धि हुई है। अफगानिस्तान में हैरोइन के बम्पर उत्पादन के साथ वैश्विक वितरण का एक वैकल्पिक उपलब्ध मार्ग केवल पाकिस्तान है। 2018 के अनुमान के अनुसार अफगानिस्तान के बीहड़ स्थानों में मादक पदार्थों का उत्पादन 10,000 टन से अधिक का रहा। पाकिस्तान आधारित नैटवर्क जोकि आई.एस.आई. के साथ कार्य करते हैं ने इसे और आसान बनाया है। अफगानिस्तान के केंद्र से उत्पादित यह मादक पदार्थ के तट पर पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर का लम्बा सफर तय करती हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है और पाकिस्तान ने इन सीमाओं की रक्षा के लिए विशाल तंत्र तैनात कर रखा है।

तस्करी के लिए एक विकल्प हेतु टनों के हिसाब से यह ड्रग्स इन सीमाओं के माध्यम से ट्रकों या फिर कारों में लाई जाती है। इन्हें फिर पाकिस्तान के अंदर वितरण के लिए 100 किलोग्राम या 200 किलोग्राम की छोटी-छोटी मात्रा में विभाजित कर दिया जाता है। लाहौर और फैसलाबाद स्थित कई गिरोह इस तरह के बंटवारे में शामिल हैं। उसके बाद इस खेप को मछली पकडऩे वाले जहाजों के माध्यम से आगे के परिवहन के लिए कराची या ग्वादर ले जाया जाता है। 2019 में जब्त किए गए मादक पदार्थों को पाकिस्तान में गेहूं तथा दलिया के कई ब्रांडों की पैकिंग में पाया गया था। बरामदगी के रुझान ये सूचित करते हैं :


*आई.एस.आई.एस. से जुड़े पाकिस्तानी नागरिक की इसमें भागीदारी है। यह वहीं हैं जो मालदीव, श्रीलंका, सेशेल्स, भारत, मोजाम्बीक, तंजानिया तथा केन्या जैसे देशों में इसे खरीदते हैं और वितरित करते हैं।  जहां से इसे आगे पश्चिम में पहुंचाया जाता है। 
*नैटवर्क में वह पाकिस्तानी नागरिक शामिल हैं जिनके अड्डे श्रीलंका, मालदीव, दुबई तथा पूर्वी अफ्रीका में हैं वहीं लोग पाकिस्तान में इनकी मदद करते हैं। 
*लेन-देन में नाइजीरियाई लोगों के शामिल होने पर भी ध्यान दिया जाता है। 
वैश्विक मादक पदार्थों के व्यापार में पाकिस्तान की प्रधानता और आतंकी गतिविधियों की फंङ्क्षडग की समय-समय पर दुनिया भर की जांच एजैंसियों द्वारा पुष्टि की गई है। 18 मई को म्यांमार में सबसे बड़े ड्रग बस्ट में से एक दक्षिण पूर्वी एशियाई ड्रग्स सिंडीकेटस तथा कराची स्थित अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के ङ्क्षलक को सामने लाया गया जो बंगलादेश और थाइलैंड सहित क्षेत्र में प्रमुख नशीले पदार्थों के संचालन  को नियंत्रित करता है। 
पिछले वर्ष पंजाब के वाघा-अटारी सीमा पर 532 किलोग्राम हैरोइन की जब्ती की जांच में पता चला कि उसी पाकिस्तानी नैटवर्क ने मादक पदार्थों  की खेप को धकेल दिया तथा जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों को धन स्थानांतरित किया। कनिष्क एंटरप्राइजिज (अमृतसर) के मालिक गुरपिंद्र सिंह को वॢजत व्यापार के तहत गिरफ्तार किया गया था और बाद में जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा के तारिक अहमद लोन को गिरफ्तार किया गया।     (अनस)


 


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