रायबरेली में कांग्रेस का ‘विद्रोही’ रवैया

punjabkesari.in Monday, Oct 07, 2019 - 02:08 AM (IST)

वह दिन नहीं रहे जब शायद ही कोई नेता अपनी पार्टी छोड़ कर सत्ताधारी पार्टी से हाथ मिलाता था लेकिन इन दिनों अपनी पार्टी छोड़ कर सत्ताधारी पार्टी में शामिल होना राजनीतिज्ञों के लिए प्रतीक चिन्ह बन गया है। यह उत्तर प्रदेश में एक फैशन बन गया है। हाल ही में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया तथा विपक्षी दलों ने इसका बहिष्कार किया लेकिन बसपा विधायक असलम राइनी पार्टी के निर्देशों की परवाह न करते हुए न केवल सदन में उपस्थित हुए बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खूब बढ़-चढ़कर प्रशंसा की। 

दूसरे राकेश सिंह तथा अदिति सिंह, जो कांग्रेस विधायक हैं, ने कांग्रेस पार्टी द्वारा बहिष्कार के बावजूद सत्र में भाग लिया। अदिति सिंह रायबरेली से विधायक तथा यहीं से पूर्व कांग्रेस विधायक अखिलेश सिंह की बेटी हैं। अदिति सिंह सदन में सबसे युवा विधायक हैं। मई में कुछ लोगों ने रायबरेली में उन पर हमला किया था तथा उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की मांग की थी जिसे नजरअंदाज कर दिया गया था लेकिन वीरवार को वह रायबरेली में प्रियंका गांधी के दौरे को नजरअंदाज करते हुए सदन में शामिल हुईं जहां उन्होंने मुख्यमंत्री की प्रशंसा की और उसी दिन उन्हें वाई-प्लस सुरक्षा मिल गई। इसी तरह जब शिवपाल यादव सदन में दाखिल हुए तो भाजपा विधायकों ने जोरदार तरीके से उनका स्वागत किया। 

ठाकरे परिवार मैदान में
वीरवार को आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए वर्ली निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन पत्र दाखिल करवाने के समय शिवसेना के लगभग सभी वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। आदित्य ठाकरे परिवार से पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अपना नामांकन पत्र भरा है। उन्होंने एक बी.एम.डब्ल्यू. कार के साथ 16 करोड़ रुपए की सम्पत्ति घोषित की है। उन्होंने खुद को एक व्यवसायी बताया तथा अंतिम आयकर रिटर्न के लिहाज से उनकी कुल आय 26.3 लाख रुपए है। उनके पिता एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि यदि उनका गठबंधन बहुमत जीता तो आदित्य शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। जहां आदित्य के दादा हमेशा ही पारिवारिक सदस्यों को चुनाव लडऩे से रोकते रहे, वहीं उद्धव ठाकरे ने गत सप्ताह घोषणा की थी कि उनके पिता किसी शिवसैनिक को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री देखना चाहते थे। 

हरीश रावत सी.बी.आई. के शिकंजे में
एक स्टिंग ऑपरेशन, जिसमें हरीश रावत को विधायकों की खरीदो-फरोख्त करते दिखाया गया था, को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट के सी.बी.आई. को रावत के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने की इजाजत देने की स्वीकृति के बाद उत्तराखंड भाजपा इस मामले में असहज दिखाई देती है और वे इस बात से इंकार करते हैं कि भाजपा की इस मामले में कोई भूमिका है। राज्य पार्टी अध्यक्ष अजय भट्ट ने एक वक्तव्य दिया है कि हरीश रावत के खिलाफ केस दर्ज करवाने में भाजपा की कोई भूमिका नहीं है। 

शुरू में हरीश रावत इस आरोप से खुद को बचाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन अब वह उत्तराखंड के लोगों की सहानुभूति पाने के लिए जेल जाना चाहते हैं। विपक्षी कांग्रेसी नेता अब इस मामले में हरीश रावत का समर्थन कर रहे हैं। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह तथा विधानसभा में विपक्ष की नेता इंदिरा हृदयेश अब घोषणा कर रहे हैं कि भाजपा केस में हरीश रावत को लपेटना चाहती है। उत्तराखंड के भाजपा नेता अब अपनी छवि बचाने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि हरीश रावत को दिन-ब-दिन सहानुभूति मिलती जा रही है। 

भाजपा ने बिहार में पिछड़ों को नजरअंदाज किया
बिहार की राजनीति के पिछड़ी जातियों से अत्यधिक प्रभावित होने के कारण राज्य भाजपा का एक वर्ग ऊपरी सदन में किसी ओ.बी.सी./दलित को भेज कर अपना प्रभाव बढ़ाने को बहुत उत्सुक है। बिहार से राज्यसभा में वर्तमान भाजपा सांसद गोपाल सिंह नारायण, आर.के. सिन्हा तथा सी.पी. ठाकुर हैं, जो सभी उच्च जाति समुदायों से हैं। हालांकि वीरवार को जब पार्टी ने उपचुनाव के लिए नामांकितों की घोषणा की, जिसके लिए पार्टी अपने उम्मीदवारों के समर्थन हेतु सहयोगी जद (यू) को सहमत करने में सफल रही, वे आशाएं चकनाचूर हो गईं। भाजपा ने सतीश दुबे को नामांकित किया। उत्तर प्रदेश में भी अरुण जेतली के निधन से खाली सीट पर भाजपा ने एक अन्य ब्राह्मण नेता सुधांशु त्रिवेदी को नामांकित किया। 

प्रचारक सिद्धू बाहर 
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में से एक थे क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने नवजोत सिंह सिद्धू। पार्टी की राज्य इकाइयां प्रचार के लिए पंजाब के इस हाजिर जवाब राजनीतिज्ञ को लेने के लिए उतावली थीं। अब स्थितियां बदल गई हैं और उनका नाम पड़ोसी हरियाणा के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं है। यद्यपि हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर, जिन्होंने पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया है, सूची में हैं, जो कांग्रेस ने चुनाव आयोग को सौंपी है। हालांकि सिद्धू हरियाणा में लोकप्रिय हैं तथा अशोक तंवर ने अब शनिवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।-राहिल नोरा चोपड़ा


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