कांग्रेस चूक गई-भारतीय लोकतंत्र विपक्ष विहीन

punjabkesari.in Friday, Sep 30, 2022 - 03:34 AM (IST)

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारतीय जनता पार्टी के बाद देश के सभी प्रदेशों की पार्टी केवल कांग्रेस है। पार्टियां बहुत हैं-कोई एक परिवार की, कोई एक प्रदेश की, कहीं-कहीं केवल एक नेता की पार्टी भी है। भारत जैसे विशाल और विविध देश में कोई भी एक प्रदेश की पार्टी पूरे देश की पार्टी नहीं बन सकती। लोकतंत्र दो पहियों पर चलने वाले रथ की तरह है। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए पक्ष और विपक्ष की दोनों पार्टियां मजबूत और सबल होनी चाहिएं। इस दृष्टि से कांग्रेस का लगातार कमजोर होते जाना भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं।

सौभाग्य से भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। आज भारतीय जनता पार्टी और नरेन्द्र मोदी जी का दूर-दूर तक देश में कोई विकल्प नहीं। कई बार इस बात पर देश के बुद्धिजीवी चिंता जताते हैं कि भारत का लोकतंत्र विपक्ष विहीन होता जा रहा है। किसी समय पूरे देश की पार्टी कांग्रेस धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। कांग्रेस में बहुत योग्य बुद्धिजीवी नेता थे, अब भी कुछ हैं, परन्तु कांग्रेस का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इतने बड़े देश में भारत की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी केवल एक परिवार में सीमित हो गई।

एक परिवार से कांग्रेस बाहर निकलती नहीं और वह इसी कारण शक्तिशाली नहीं होती। विपक्ष की इस कमी को स्वीकार करते हुए भारत के सभी विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करने की सोच रहे हैं, परन्तु आज भारत के विपक्ष में अटल बिहारी वाजपेयी जैसा कोई नेता नहीं, जो 22 दलों को इकट्ठा करके राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संगठन बनाए, न्यूनतम कार्यक्रम स्वीकार करवाए, चुनाव लड़े-जीते और सफल सरकार चलाए। भारत की राजनीति के इतिहास का यह ऐतिहासिक चमत्कार अटल बिहारी वाजपेयी ही कर सकते थे।

आज विपक्ष में ऐसा कोई नेता नहीं है। इस बार कांग्रेस को पुनर्जीवित होने का एक सुनहरी मौका मिला था। अशोक गहलोत का नाम अध्यक्ष के लिए आया। पूरे देश में कांग्रेस की एक नई हवा बनी। कांग्रेस में सभी योग्यतम नेताओं में गहलोत का अपना एक विशेष स्थान है। योग्य और अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले अशोक गहलोत कांग्रेस को एक अच्छा नेतृत्व दे सकते थे। यह आशा पूरे देश में जगी थी। यदि कांग्रेस अपने परिवार को संभाल लेती, अशोक गहलोत सर्वसम्मति से कांग्रेस अध्यक्ष बन जाते और सहमति से एक युवा नेता सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बना देते तो केवल इस एक निर्णय से ही कांग्रेस के पुनर्जीवित होने का एक नया अध्याय आरंभ हो सकता था।

कांग्रेस ने वह सुनहरी मौका खो दिया। राजस्थान में इस संकट से कांग्रेस को और भी अधिक नुक्सान हुुआ है। कांग्रेस के भविष्य पर एक नया प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी में अन्य बातों के साथ-साथ दो विशेष बातें-मूल्य आधारित राजनीति और आंतरिक लोकतंत्र सदा से रहे थे। यह दो वे आधारभूत बातें हैं जिनके कारण 1951-52 की दुनिया की सबसे छोटी पार्टी आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। पिछले लगभग 8 वर्षों से नरेन्द्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं। भारत के विकास में सब कुछ हो रहा है।

विश्व भर में भारत का सम्मान भी इसी कारण से बढ़ा है। इस सबके बाद भी भारत में आज आॢथक विषमता है। गरीबी और बेरोजगारी है। ग्लोबल हंगर इन्डैक्स रिपोर्ट के अनुसार लगभग 19 करोड़ लोग रात को भूखे पेट सोते हैं। देश की राजनीति में नित नई बदलती परिस्थितियों में अब भाजपा भी कहीं-कहीं सिद्धांतों से समझौते करने लगी है। यह सब परिस्थितियों की विवशता के कारण है या मूल्य आधारित राजनीति में किसी अवमूल्यन के कारण, इस संबंध में मैं कुछ कहना नहीं चाहता।

मैं लगभग 50 वर्ष तक भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति, लोकसभा और राज्यसभा का सदस्य रहा। मुझे याद है कि हर बैठक में सदस्यों को खुल कर अपनी बात कहने का मौका दिया जाता था। संसदीय दल की बैठक में तो गंभीर चर्चा होती थी। सदस्य खुल कर अपनी बात कहते थे और बात सुनी जाती थी। इस सारी चर्चा से नेताओं को जमीन की सच्चाई के बारे में ठीक और सही आकलन करने का मौका मिलता था। मैं समझता हूं कि किसी भी संगठन के लिए इस प्रकार का आन्तरिक लोकतंत्र अनिवार्य है।

देश के बहुत से बुद्धिजीवियों के लिए और पार्टी में मेरे जैसे नेताओं के लिए यह चिन्ता का विषय है कि मूल्य आधारित राजनीति अब कहीं-कहीं सत्ता आधारित राजनीति का स्थान लेती जा रही है और आन्तरिक लोकतंत्र भी बहुत कम हो गया है। यदि भाजपा मूल्य आधारित राजनीति तथा आंतरिक लोकतंत्र को पूरी तरह से मजबूत करे तो लोकतंत्र में विपक्ष की कमी देश को अनुभव नहीं होगी। आंतरिक लोकतंत्र विपक्ष की भूमिका ही निभाता है, यदि खुले दिल से इस साधन का उपयोग किया जाए।

आज जब भारत का लोकतंत्र विपक्ष विहीन हो रहा है, कांग्रेस आत्महत्या  के  कगार पर खड़ी दिख रही है, ऐसी परिस्थिति में विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र दृढ़ता से चलता रहे, इसलिए यही सबसे बड़ी आवश्यकता है। देश की वर्तमान परिस्थिति में कांग्रेस के बाद कोई एक पार्टी पूरे देश की पार्टी नहीं बन सकती। राष्ट्रीय विपक्ष नहीं बन सकता। इसलिए केवल भाजपा के लिए ही नहीं, देश के लोकतंत्र के लिए यह बहुत जरूरी हो गया है कि भाजपा आंतरिक लोकतंत्र को पहले की तरह मजबूत करे।-शांता कुमार (पूर्व मुख्यमंत्री हि.प्र. और पूर्व केन्द्रीय मंत्री)


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