कांग्रेस अपनी गलतियों से सीखने के मूड में नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Mar 29, 2022 - 05:37 AM (IST)

मैंने बड़ी उत्सुकता से हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव परिणाम देखे। सबसे हैरानीजनक थे पंजाब के चुनाव। यह देखना सुखद आश्चर्य था कि कैसे जनता ने सरकार चलाने के लिए एक पार्टी को पूरी तरह से नियंत्रण सौंप दिया। यह बदलाव,कारगुजारी तथा बड़े परिणामों की आशा के लिए मतदान था। नि:संदेह उत्तर प्रदेश के चुनावों में मोदी तथा योगी का जादू चला। वास्तव में जिस चीज ने हैरान किया वह था कांग्रेस पार्टी में मतदाता के विश्वास में आई गिरावट। 

दुर्भाग्य से कांग्रेस अपनी गलतियों से सीखने के मूड में नहीं है तथा केवल ऐसे कारगुजारी न दिखाने वाले लोगों को हासिल करने का प्रयास कर रही है जिनके पास केंद्र में अपने गठबंधन के कारण राज्यों में पद हैं, न कि उनकी कारगुजारी के कारण और न ही नया सदस्यता अभियान चला कर या जमीनी स्तर पर कार्यकत्र्ताओं को प्रोत्साहित कर पार्टी में जान फूंकी जा रही है। 

यह शर्म की बात है कि यदि अभी भी कांग्रेस हाईकमान यह पता नहीं लगाती कि उस प्रत्येक राज्य में कहां पर गलती हुई जहां-जहां पर वह हारी है। सारा साल पार्टी में आंतरिक झगड़े जारी रहते हैं लेकिन इन्हें पहले उच्च कमान द्वारा और फिर उन नेताओं द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए जो चुनावों में राज्यों का नेतृत्व करते हैं। कांग्रेस में क्या गलत हुआ है कि इसके नेता अब क्षेत्रीय दलों में शामिल हो रहे हैं। जब उन्हें सही काम या सम्मान नहीं मिलेगा अथवा हाईकमान निर्णय लेने के मामले में उन्हें विश्वास में नहीं लेगी तो पार्टी का भविष्य क्या होगा?  यह देखना शर्म की बात है कि जिन  लोगों ने पार्टी के लिए अपना सारा जीवन दे दिया उन्हें अपमानित किया जा रहा है। आप उन्हें सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्त होने के लिए भी कह सकते हैं। 

पंजाब में शीर्ष पार्टी होने के कारण इसने गारंटी से ले लिया था कि हिमाचल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस वोट हासिल कर लेगी। हालांकि अब कांग्रेस के लिए किसी राज्य में नेता के बारे में निर्णय लेना आसान नहीं रहा। मुझे पता है कि भाजपा नेता भी अपनी हाईकमान के प्रति बहुत निष्ठावान हैं। यहां पर प्रत्येक कार्यकत्र्ता को, चाहे वह कितना भी छोटा हो उसे करने के लिए कोई न कोई कार्य अवश्य दिया जाता है। यदि कांग्रेस को इतने राज्यों को हारने तथा कई नेताओं के पार्टी छोडऩे के बाद भी यह एहसास नहीं हुआ तो मुझे आशा है कि वे हिमाचल तथा गुजरात को भी हारने के लिए तैयार हैं। 

जी-23 समूह को दंडित करना सर्वाधिक हानिकारक चीज है जो कोई कांग्रेसी कर सकता है। जी-23 में लगभग हर कोई प्रतिभाशाली है। वे वकील, जमीनी स्तर के कार्यकत्र्ता, अनुभवी होने के साथ-साथ पार्टी की पराजयों के कारण निराश हैं। पार्टी में नए युवा अनुभवी नहीं हैं और उन्हें पार्टी की संस्कृति के बारे में जानकारी नहीं है। आप हाईकमान में बैठ कर पार्टी नहीं चला सकते यदि आपने दौरे नहीं किए तथा विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग संस्कृतियों के अलग-अलग नेताओं से नहीं मिले। वे भाषाण लिखने में अच्छे हो सकते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर पकड़ बनाने में नहीं। मेरे मन में केंद्र से पार्टी चलाने वालों के लिए पूर्व सम्मान है, मैं उन्हें दोष नहीं दे सकती क्योंकि उन्हें नहीं पता कि राज्य के नेताओं का क्या मतलब है। कांग्रेस के पास कोई भी ऐसा  नेता नहीं है जिसमें चुम्बकीय आकर्षण हो। हर कोई नए तथा युवा चेहरे चाहता है लेकिन कांग्रेस वास्तव में अपने युवा चेहरों को बाहर जाने तथा अन्य पाॢटयों में शामिल होने को मजबूर कर रही है। 

इस संदर्भ में मेरे मन में प्रियंका गांधी के लिए पूर्ण सम्मान है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में दिन-रात काम किया। यह एक अलग कारण है कि वह मतदाताओं के साथ एक बार फिर संपर्क न होने के कारण हार गईं। जमीनी स्तर पर न कोई कार्यकत्र्ता और न ही कोई संगठन तथा न ही कोई बूथ स्तर पर कोई नियंत्रण। यदि आप कांग्रेस के लोगों की कार्यप्रणाली की तुलना भाजपा, आम आदमी पार्टी और यहां तक कि टी.एम.सी. तथा एन.सी.पी. के साथ करें तो आपको पता चलेगा कि कांग्रेस के लिए कोई अवसर नहीं है। कोई भी चमचा आपको चुनाव नहीं जिता सकता। यह किसी राज्य के संगठन से कोई व्यक्ति तथा उसकी टीम होगी, जो पी.सी.सी. द्वारा चुनाव जीतने के लिए बहुत ध्यानपूर्वक चुनी गई होगी। 

कोई भी किसी ऐसे व्यक्ति का सम्मान नहीं करता जिसे उठाकर किसी ऐसे पद पर बिठा दिया जाए जिसके वह योग्य नहीं। लोग बदलाव चाहते हैं, वे पुरानी पार्टियों से उकता चुके हैं और यहीं पर क्षेत्रीय पार्टियां लाभ में हैं। योगी हों या अरविंद केजरीवाल अथवा ममता, विजयी मंत्र है कारगुजारी दिखाना तथा संपर्क कायम करना। दुर्भाग्य से इन सभी मामलों में कांग्रेस हानि में दिखाई देती है। कांग्रेस को ऐसे लोगों की जरूरत है जो परिणाम दिखा सकें, उन्हें हाईकमान या किसी भी राज्य से किसी नेता का डर न हो। कोई भी पद योग्य व्यक्ति को ही मिलना चाहिए जो कारगुजारी दिखाकर परिणाम दे सके। इससे हाईकमान मजबूत ही होगी।-देवी एम. चेरियन 
 


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