साम्प्रदायिकता है एक धीमा जहर
punjabkesari.in Thursday, Aug 03, 2023 - 04:53 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बुनियादी ढांचे के विकास, विदेशी मुद्रा भंडार के निर्माण, नवीनतम औद्योगिकी को पेश करने और अन्य विकासात्मक मापदंडों पर अच्छा प्रदर्शन करने में भारत द्वारा की गई तीव्र प्रगति की बात की। उन्होंने कहा कि अगले 5 से 6 सालों में हमारा देश दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लेगा। इसके साथ ऐसे कई क्षेत्र भी हैं जो गंभीर चिंता का कारण बने हुए हैं। इनमें विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी, अमीर और गरीब के बीच बढ़ती असमानता के अलावा मुद्रास्फीति, भ्रष्टाचार और असंतुलित विकास जैसे अन्य मुद्दे शामिल हैं।
लेकिन अब तक देश के सामने सबसे बड़ी और गंभीर चुनौती साम्प्रदायिकता का प्रसार और समाज का धु्रवीकरण है। यह धीमा जहर गहरा है और हिंसक रूप से बढ़ रहा है और समाज को विभाजित कर रहा है। साम्प्रदायिकता समुदायों के बीच अविश्वास पैदा कर रही है। इसने न केवल अच्छे दोस्तों को एक ही समुदाय से होने के बावजूद राजनीतिक दुश्मनों में बदल दिया है बल्कि परिवारों को भी विभाजित कर दिया है। किसी खास पार्टी या विचारधारा के कट्टर समर्थक दूसरे की बात सुनने को तैयार नहीं होते। समाज में गहराते विभाजन ने बचपन के दोस्तों को साथ छोडऩे पर मजबूर कर दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म समाज के भीतर की सड़ांध को दर्शाते हैं। जहां जरा-सा भी बहाना मिलने पर नफरत फैलाने वाले लोग मैदान में कूद जाते हैं।
समाज का यही जहर पिछले कुछ दिनों में हुई दो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में झलकता है। दोनों घटनाएं असंबंधित हैं लेकिन नफरत और साम्प्रदायिक वैमनस्य की राजधानी में निहित है। एक रेलवे सुरक्षा बल के कांस्टेबल द्वारा लक्षित गोलीबारी की गई। कथित तौर पर छुट्टी न मिलने के कारण गुस्से में आकर उसने अपने वरिष्ठ ए.एस.आई. टीकाराम मीणा को गोली मार दी और फिर एक विशेष समुदाय के तीन लोगों को उठाया और उनकी गोली मार कर हत्या कर दी। अपना लक्ष्य चुनने से पहले उसने चलती ट्रेन में यात्रियों से उनके धर्म के बारे में पूछा। इसके बाद उसने उन्हें गोली मार दी और कहा कि उनके लिए भारत में कोई जगह नहीं है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और कहा जा रहा है कि वह मानसिक रूप से असंतुलित था। अद्र्धसैनिक बल को पहले कैसे पता नहीं चला कि वह मानसिक रूप से परेशान है।
क्या उसे ऐसे व्यक्ति को खतरनाक हथियार सौंपना चाहिए था? अपने वरिष्ठ जोकि उसके ही समुदाय से थे, की हत्या करने के बाद उसने अपना ध्यान केवल दूसरे समुदाय के सदस्यों की ओर लगाया। जाहिर तौर पर लम्बे समय तक उसका ब्रेन वॉश किया गया था और उस समुदाय के सदस्यों के प्रति उसकी गहरी नफरत के परिणामस्वरूप उस समुदाय के सदस्यों की चयनात्मक हत्या हुई। दुर्भाग्य से यह कोई अकेली घटना नहीं थी और भविष्य में ऐसी और भी घटनाओं की उम्मीद की जा सकती है। दूसरी घटना जिसने कम से कम 5 लोगों की जान ले ली और विनाश का निशान अपने पीछे छोड़ दिया, हरियाणा के नूंह से हुई। राज्य सरकार और स्थानीय अधिकारियों की स्थिति से निपटने में अयोग्यता के कारण 2 अद्र्धसैनिक कर्मियों सहित जान-माल की हानि के लिए बहुत कुछ जवाब देना होगा। जलूस के आयोजक बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा, लगभग 4 वर्षों से यात्रा निकाल रहे थे और कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी। हालांकि इस बार यात्रा तय होने से कुछ दिन पहले ही तनाव बनना शुरू हो गया था। सोशल मीडिया के माध्यम से भड़काऊ संदेशों को प्रचारित किया गया।
अधिकारियों को छोड़ कर क्षेत्र में सभी को यह स्पष्ट था कि तनाव बढ़ रहा था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। स्व:घोषित गौरक्षक मोनू मानेसर जो गौ तस्करी में कथित संलिप्तता के लिए 2 मुस्लिम युवकों की हत्या में वांछित है, के वीडियो रिकार्ड किए गए संदेश ने मामले को तूल दे दिया। जाहिर तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय उनके कार्यों से उत्तेजित था और उनकी यह घोषणा कि जलूस का हिस्सा होंगे, जलूस पर हमले की योजना बनाने के लिए पर्याप्त आधार था। सबसे बढ़ कर अधिकारियों ने जलूस निकालने वालों को खुलेआम बंदूकें और तलवारें ले जाने की इजाजत दे दी। इससे गुस्सा और भड़क गया। किसी सामाजिक या धार्मिक जलूस में सदस्यों के पास हथियार क्यों होने चाहिएं? झड़प का नतीजा हम सबके सामने है और हिंसा पड़ोसी इलाकों में भी फैल गई है। प्रशासन सोते हुए पकड़ा गया और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने घटनाक्रम पर अपनी आंखें मूंद ली।
जैसा कि मैंने पहले कहा कि दोनों घटनाओं का आपस में संबंध नहीं है लेकिन घटनाओं की ओर ले जाने वाली विचार प्रक्रिया एक ही है। यह साम्प्रदायिक नफरत फैलाने और शीर्ष सरकारी अधिकारी की गहरी चुप्पी का नतीजा है। नुक्सान की भरपाई के लिए कम से कम वे अल्पसंख्यकों तक पहुंच सकते हैं और इस तरह का संकेत दे सकते हैं कि देश के सभी नागरिकों के पास समान अधिकार हैं और साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए। ऐसी पहल के अभाव में देश में किए जा रहे सभी विकास और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए किए जा रहे सभी प्रयास शून्य हो जाएंगे। हम चंद्रमा और उससे भी आगे तक पहुंचने के बावजूद देश को पीछे की ओर खींचने का जोखिम नहीं उठा सकते।-विपिन पब्बी