‘युवाओं के लिए सिविल सेवा अब सपना नहीं रहा’

punjabkesari.in Saturday, Jan 02, 2021 - 05:38 AM (IST)

क्या भारत में महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए सिविल सर्विस का करियर चुनना एक सपना नहीं रह गया है। नैशनल स्कूल बोर्ड के 20 से ज्यादा टॉपर्स के हाल ही में किए गए सर्वे ने यह सुझाया है कि ऐसा हो सकता है। 1995 तथा 2015 के बीच स्कूल बोर्ड की परीक्षाओं में टॉप पर रहे 86 लड़कों तथा लड़कियों में से आधे लोग विदेश में रह रहे हैं और ऐसे लोग साइंस एवं तकनीक में एडवांस डिग्रियां लेने के लिए कार्यरत हैं। 

ज्यादातर कार्यों में जुटे लोग टैक सैक्टर में लगे हुए हैं। इसके बाद मैडिसिन तथा फाइनांस का नंबर आता है। आश्चर्य वाली बात यह है कि इन टॉपर्स में से मात्र एक ने सिविल सॢवस को ज्वाइन किया है। 2006 के 10वीं कक्षा के सी.बी.एस.ई. एग्जाम में टॉप पर रहे शुभंकर महापात्र ही एक सिविल सर्वेंट (मैडीकल कालेज में पढ़ाई के बाद) बने हैं। उन्होंने 2016 में आई.आर.एस. की परीक्षा पास की। फिर 2017 में आई.पी.एस. तथा अंतत: 2018 में यू.पी.एस.सी. की परीक्षा में सफल रहे।

उड़ीसा कैडर के अधिकारी शुभंकर वर्तमान में उड़ीसा में ही सब कलैक्टर तथा एस.डी.एम. के पद पर तैनात हैं। टॉपर्ज क्लब के दो अन्य लोग सिविल सॢवस एग्जाम की तैयारियों में जुटे हुए हैं। युवाओं का मानना है कि अब उनके पास कई अन्य आकर्षक विकल्प उपलब्ध हैं जो वित्तीय रूप से और सुदृढ़ हैं और उनमें सिविल सर्विसेज से उनका करियर ज्यादा उज्ज्वल है। दशकों से सिविल सर्विसेज समाज में प्रतिष्ठा की परीक्षा थी। हालांकि कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जिन्होंने सिविल सर्विसेज को छोड़ कर अच्छे मौकों की तलाश में सरकारी नौकरियां छोड़ प्राइवेट सैक्टर या फिर राजनीति को चुना है। इसमें आई.ए.एस. अधिकारियों की गिनती ज्यादा है। मगर अब लगता है कि ये बीते समय की बातें हैं। 

चुनाव आयोग ने तमिलनाडु के लिए कमर कसी : इस वर्ष मई में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने पहले से ही कमर कस ली है। इसके लिए उन्होंने चुनावी ड्यूटी  के लिए बाबुओं के साथ बातचीत शुरू कर दी है। हाल ही में राज्य  प्रमुख चुनाव अधिकारी सत्यव्रत साहू तथा प्रमुख सचिव के शानमुगम को लिखे पत्र में चुनाव आयोग ने 3 वर्ष के कार्यकाल को पूरा कर चुके अधिकारियों की प्रभावी ट्रांसफर की जरूरत पर जोर दिया है और यह भी यकीनी बनाने को कहा है कि कोई भी अधिकारी अपने गृह जिले में पोस्ट नहीं किया जाएगा। 

ऐसे अधिकारी जो 6 माह के भीतर सेवानिवृत्त हो रहे हैं तथा जिनके खिलाफ पिछली चुनावी ड्यूटियों में अवहेलना के लिए चुनाव आयोग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की है, उन्हें चुनावी ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा। इससे आगे ऐसे अधिकारी 31 मई से पहले चुनाव से संबंधित पदों पर रहते हुए 3 वर्ष पूरे कर चुके हैं उनका ट्रांसफर किया जाए। सूत्रों का कहना है कि तमिलनाडु सरकार ने 50 से ज्यादा आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों को स्थानांतरित किया है जिसमें जिला कलैक्टर तथा 20 जिलों से ज्यादा के जिला पुलिस अधीक्षक शामिल हैं। इनको पिछले 2 महीनों में स्थानांतरित किया गया है। 

कैप्टन सरकार की अदला-बदली नीति के चलते नई नियुक्ति : पंजाब सरकार ने 1995 कैडर के आई.पी.एस. अधिकारी जी. नागेश्वर राव को गृह मामलों तथा न्याय विभाग में सचिव के तौर पर उनकी नियुक्ति की है। यह एक ऐसा पद है जो पारम्परिक तौर पर आई.ए.एस. कैडर  में जाता था। कैप्टन अमरेन्द्र सरकार की कांग्रेस सरकार द्वारा अधिकारियों की अदला-बदली के चलते यह नियुक्ति की गई है। 

आई.ए.एस. तथा आई.पी.एस. अधिकारियों के बीच लम्बे समय से खींचातानी को कम करने के लिए यह कदम मदद करेगा। आई.ए.एस. अधिकारियों का मानना है कि यह उनके क्षेत्र में एक और अतिक्रमण है। मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद से यह ट्रैंड और अधिक स्पष्ट हो चला है। दो प्रमुख सेवाओं के बीच प्रतिस्पर्धा केंद्र तथा राज्य स्तर पर प्रमोशन, पे-समानता, केंद्रीय मनोनयन तथा डैपुटेशन तथा ट्रेङ्क्षनग कोर्सों के रास्तों को लेकर भी है।-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन


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