खेती के लिए ग्रामीणों की कब्रें खोद रहे चीन के सरकारी कर्मचारी

punjabkesari.in Wednesday, May 24, 2023 - 06:02 AM (IST)

आमतौर पर किसी भी देश में यदि कोई गरीब आदमी जिसके पास पैसे नहीं होते और वो मरता है तो उसका क्रियाकर्म करने के लिए सरकार, धार्मिक और सामाजिक संगठन, यहां तक कि श्मशानघाट या कब्रिस्तान बिना पैसे लिए उसकी अंतिम क्रिया को सम्मानपूर्वक करते हैं। लेकिन क्वांगशी प्रांत में चीन सरकार किसानों की कब्रों को भी खोद कर जमीन के बाहर निकाल रही है और उस जमीन को खेती के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। 

14 मई को नानचांग प्रशासन के आदेश पर सरकारी कर्मचारियों ने खेतों में गड़ी कब्रों को खोदकर बाहर निकालना शुरू किया लेकिन ऐसा करने पर कर्मचारियों की ग्रामीणों से लड़ाई हुई जिसमें कई ग्रामीणों को चोट भी आई। स्थानीय प्रशासन ने अपने कर्मचारियों के साथ पुलिस और गैंगस्टरों को भी भेजा था ताकि अगर किसी भी तरह का कोई प्रतिरोध हो तो उसे हिंसा से दबाया जा सके। स्थानीय टी.वी. चैनल एन.डी.टी.वी. की रिपोर्ट के अनुसार लम्बे समय से च्यांगशी प्रांत की सरकार स्थानीय लोगों की कब्रों को खोदकर जमीन को खाली करती आई है। 

चीन सरकार ने कुछ दशक पहले अपने देश के कई हिस्सों में सैंकड़ों एकड़ जमीन पर वनीकरण किया था, जिससे वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्बन फुटपिं्रटस में चीन की स्थिति को सुधारना चाहती है लेकिन आज चीन के पास खाने को अनाज की कमी होने के बाद एक तरफ कम्युनिस्ट सरकार ने कर्मचारियों को जंगलों की जमीन को भी खेती के लायक बनाने की मुहिम शुरू कर दी है और गांववालों द्वारा लगाए गए पेड़ों को भी उखाड़कर फैंक रहे हैं ताकि जंगल की जमीन वापस खेती के लिए इस्तेमाल की जा सके। 60 के दशक में माओ के आदेश पर ऐसी ही बेवकूफी चीन ने की थी जब उन्होंने गौरेया चिडिय़ा का शिकार शुरू किया था। 

बताया जाता है कि उस दौर में एक अरब गौरेया का शिकार किया गया था। तब चीन गौरेया विहीन हो गया था लेकिन इसके बाद भी जब फसलें खराब होने लगीं और उन्हें कीट-पतंगें चट करने लगे तब कम्युनिस्टों को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन उस समय तक बहुत देर हो चुकी थी। गौरेया फसलों को लगने वाले कीट पतंगों को खा जाती थीं जिससे फसलों को नुक्सान  नहीं पहुंचता था।

ऐसे ही बेवकूफी भरी हरकत कम्युनिस्ट सरकार अब कर रही है, मृत लोगों की कब्रों को खोदकर उनके शवों को बाहर फैंका जा रहा है, जिन्होंने कब्रों को अपने खेतों में गाडऩे के लिए सरकार को पैसे नहीं दिए। चीन में सरकार अंतिम क्रिया के पैसे मृतकों के परिजनों से लेती है तो वहीं कब्र के लिए मृतक को अपने बचाए पैसों से अपने जीवन काल में ही जमीन खरीदनी होती है, जो बहुत महंगी होती है। ऐसे में बहुत सारे ग्रामीण अपने खेत के कोने में अपने माता-पिता और दादा-दादी की कब्रें बना देते हैं। 

ऐसे हालात में चीन सरकार के सामने किसानों के आंदोलन का खतरा भी मंडरा रहा है, चीन का अमीर वर्ग, विद्यार्थी, सरकारी कर्मचारी, छोटे और मझोले  व्यापारी, सेवानिवृत्त कर्मचारी और अब किसान, सरकार की बेसिर-पैर की नीतियों से सभी गुस्से में हैं, आने वाले समय में ये सब मिलकर एक बड़े आंदोलन का रूप कब लेता है, समय को इसका इंतजार है।


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