चीन का कपड़ा बाजार ध्वस्त, भारत ने किया रिकॉर्ड 44 अरब डॉलर का निर्यात

punjabkesari.in Thursday, Jun 16, 2022 - 06:48 AM (IST)

भारत ने वित्तवर्ष 2021-22 में अब तक का सबसे बड़ा टैक्सटाइल एक्सपोर्ट कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का टैक्सटाइल एक्सपोर्ट में छठा स्थान है। यहां पर बाजी चीन ने मारी हुई थी, लेकिन भारत ने वैश्विक बाजार को देखते हुए अपनी रणनीति में बदलाव किया और उसका नतीजा हमारे सामने है। टैक्सटाइल निर्यात 44.4 अरब अमरीकी डॉलर का हुआ है, जिसमें हैंडीक्राफ्ट (हस्तशिल्प) उत्पादों की संख्या अच्छी-खासी है। 

पिछले वित्त वर्ष, यानी वर्ष 2020-21 की तुलना करें तो भारत ने 26 प्रतिशत की तुलना में 41 प्रतिशत का इजाफा किया है। टैक्सटाइल मंत्रालय के अनुसार भारत का सबसे अधिक टैक्सटाइल निर्यात अमरीका को होता था, जो भारत के कुल टैक्सटाइल निर्यात का 27 प्रतिशत है। इसके बाद दूसरे स्थान पर यूरोपीय संघ आता है, जहां पर भारत का टैक्सटाइल निर्यात 18 प्रतिशत है। तीसरे स्थान पर 12 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ बंगलादेश और संयुक्त अरब अमीरात 6 फीसदी के साथ चौथे स्थान पर है। 

अगर हम कॉटन टैक्सटाइल की बात करें तो वित्त वर्ष 2019-21 में 67 फीसदी से घट कर वर्ष 2020-21 में यह सिर्फ 54 फीसदी रह गया। अगर मुद्रा में गणना की जाए तो 17.2 अरब डॉलर का भारत ने निर्यात किया था। वहीं वर्ष 2019-20 अैर 2020-21 में रैडीमेड कपड़ों का निर्यात महज 3 फीसदी से बढ़कर 31 फीसदी पर आ गया। मुद्रा में इसकी गणना की जाए तो यह निर्यात 16 अरब डॉलर का था और यह कुल टैक्सटाइल निर्यात का 36 फीसदी था। भारत ने हाथ से बने हुए कपड़ों के निर्यात में भी इजाफा देखा। वर्ष 2019-20 में जहां इसका शेयर सिर्फ 18 फीसदी था, वहीं वर्ष 2020-21 में बढ़ कर यह 51 फीसदी हो गया था, जिसका मूल्य 6.3 अरब अमरीकी डॉलर है। 

निर्यात में जबसे भारत ने अपने आत्मनिर्भर कार्यक्रम का शंखनाद किया है, तब से भारत 4 गुणा अधिक गति से आगे बढऩे लगा है। भारत सरकार ने अपने कपड़ा उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे लॉकडाऊन से परेशान चीन जहां वापस पटरी पर आने की जुगत लड़ा रहा है, तो वहीं भारत इस ट्रैक पर सरपट भाग रहा है। चैक गणराज्य, मिस्र, ग्रीस, जॉर्डन,  मैक्सिको, स्पेन, तुर्की, पनामा और दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों की कंपनियों ने चीन से सामान खरीदने की जगह कपड़ा आयात के लिए भारतीय कंपनियों से बातचीत शुरू भी कर दी है। 

चीन के कुछ शहरों से लॉकडाऊन हटाने के बाद भी कई अन्य शहर हैं जहां पर कोरोना महामारी के चलते अब भी लॉकडाऊन लगा हुआ है, जिसके चलते भारत के कपड़ा उद्योग के निर्यात में तेज बढ़ौतरी हुई है। चीन में जितना नुक्सान कोरोना महामारी से हुआ, उससे कहीं ज्यादा नुक्सान शी जिनपिंग की गलत नीतियों के कारण हुआ है, जिसका भुगतान चीन कर रहा है। इससे चीन के अधिकतर ग्राहकों ने उसका विकल्प ढूंढ लिया और उन्होंने अपने देश में कपड़े की खपत के लिए भारत से संपर्क किया। इसके साथ ही भारत ने 44.4 अरब अमरीकी डॉलर का कपड़ा निर्यात किया है, जोकि अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। 

कई विदेशी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों को बड़े-बड़े ऑर्डर देने शुरू किए थे, जिसकी वजह से भारत ने रिकॉर्ड निर्यात किया, स्पैनिश कपड़ा कंपनी सोतोरेवेस एस.एल. ने एक लाख पीस टाई और डाई के साथ प्रिंटेड शर्ट्स के ऑर्डर भारतीय कंपनी को दिए। दक्षिण अफ्रीकी कंपनी लिजार्ड पी.टी.वाई. जिसके 180 स्टोर हैं, ने महिलाओं के पहनने वाले कपड़ों की बड़ी खेप का ऑर्डर दिया। वहीं ग्रीस की कपड़ा कंपनी ने पुरुषों के परिधान का बड़ा ऑर्डर दिया। ये सारे खरीदार पहले चीन से सामान खरीदते थे लेकिन वहां कोविड महामारी के चलते 2 महीने के लंबे लॉकडाऊन के बाद अब ढील दी गई है, लेकिन शून्य-कोविड नीति के चलते इस समय साढ़े 6 लाख लोग अपने घरों में कैद हैं। इससे खरीदारों में अनिश्चितता देखी जा रही थी। 

इसका दूसरा असर यह हो रहा है कि चीन में विदेशी कपड़ा उद्योग से जुड़ी जितनी भी कंपनियां हैं, वे भारत आने का मन बना चुकी हैं और इससे भारत का दक्षिणी राज्य तमिलनाडु  कपड़ा उद्योग का केन्द्र बनकर उभरा है। यह सही समय है, जब भारत अपने कपड़ा उद्योग से अपनी सांस्कृतिक पोशाक को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए काम करे, क्योंकि भारत के लिए यह एक सुनहरा मौका है जब वह ऐसा कर सकता है। इसके साथ ही भारत को विदेशी खरीदारों को सर्वोच्च स्तर का सामान बेचना चाहिए, जिससे चीन के हालात ठीक होने पर भी जो ग्राहक भारत से सामान खरीद रहे हैं, वे बाद में भी अपने सप्लायरों को न बदलें।


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